यूएन में सुषमा ने दुनिया को गिनाए जन-धन, मुद्रा बैंक, उज्जवला योजना जैसे कल्याणकारी कार्य
न्यूयार्क/नई दिल्ली। अमेरिका के न्यूयार्क शहर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के 72वें अधिवेशन के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यूएन के माध्यम से दुनिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किए जा रहे लोककल्याणकारी योजनाओं का जानकारी दी। सुषमा स्वराज ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र का तो गठन ही इस पृथ्वी पर रहने वाले लोगों के कल्याण के लिए, उनकी सुरक्षा के लिए, उनके सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए और उनके अधिकारों के बचाव के लिए हुआ है। इसलिए इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आपको मेरे देश का पूरा-पूरा समर्थन मिलेगा।
आज का विश्व अनेक संकटों से ग्रस्त है। हिंसा की घटनायें निरन्तर बढ़ रही हैं। आतंकवादी विचारधारा आग की तरह फैल रही है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती हमारे सामने मुँह बाये खड़ी है। समुद्री सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। विभिन्न कारणों से अपने देशों से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन वैश्विक चिन्ता का विषय बन गया है।विश्व की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीबी और भुखमरी से जूझ रहा है। बेरोजगारी से त्रस्त युवा अधीर हो रहा है। पक्षपात से पीड़ित महिलायें समान अधिकारों की माँग कर रही हैं। इन संकटों में से बहुत से संकटों का समाधान करने के लिए हमने वर्ष 2015 में वर्ष 2030 तक का एजेंडा तय किया है। उसके 2 वर्ष बीत गए, 13 वर्ष बाकी हैं। यदि इन 13 वर्षों में वास्तव में हमें इन लक्ष्यों की प्राप्ति करनी है तो यथास्थिति से बाहर निकलना होगा। यथास्थिति बनाए रखकर इन लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता। हमें अपनी निर्णय प्रक्रिया में तेजी लानी होगी और कठोर फैसले लेने का साहस जुटाना होगा।
मुझे प्रसन्नता है कि भारत ने इस सन्दर्भ में बहुत अभिनव पहल की है। बड़े-बड़े साहसिक निर्णय लिए हैं और टिकाऊ विकास के लक्ष्य को केन्द्र में रखते हुए अनेक योजनाएं बनाई हैं। गरीबी को दूर करना टिकाऊ विकास का पहला और प्रमुख लक्ष्य है। गरीबी को दूर करने के दो रास्ते होते हैं। एक रास्ता है, आप उनका सहारा बनें और उनका हाथ पकड़कर उन्हें चलायें। दूसरा रास्ता है, आप उन्हें ही इतना सशक्त कर दें कि उन्हें किसी के सहारे की आवश्यकता ही ना पड़े और वो अपना सहारा आप बन जायें। हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने गरीबी निवारण के लिए दूसरा रास्ता चुना है और इसीलिए वह गरीबों का सशक्तिकरण करने में जुटे हैं। हमारी सारी योजनाएं गरीब को शक्तिशाली बनाने के लिए चलाई जा रही हैं। जैसे जन-धन योजना, मुद्रा योजना, उज्जवला योजना, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, क्लीन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया। योजनाएँ तो अनेक हैं किंतु समय की कमी के कारण मैं केवल तीन योजनाओं का ही उदाहरण यहाँ देना चाहूँगी।
सबसे पहली योजना है जन-धन योजना, जिसके अन्तर्गत हमने विश्व का सबसे बड़ा आर्थिक समावेश किया है। जिन गरीबों ने कभी बैंक का द्वार नहीं देखा था, ऐसे 30 करोड़ लोगों को हमने बैंक के अन्दर पहुंचाया है और उनका खाता खुलवाया है। जिनके पास पैसे नहीं थे उनका बैंक अकाउंट हमने ज़ीरो बैलेन्स से खुलवाया है। दुनिया में किसी ने यह नहीं सुना होगा की अकाउंट में पैसा नहीं होते हुए भी लोगों के पास पासबुक है। यह असंभव काम भी भारत में संभव हुआ है। 30 करोड़ की संख्या का अर्थ है अमेरिका जैसे देश की पूरी आबादी। 3 वर्षों में 30 करोड़ लोगों को बैंकों से जोड़ना कोई आसान काम नहीं था किन्तु मिशन मोड में इसे किया गया। कुछ लोग अभी बचे हैं किन्तु कार्य जारी है क्योंकि हमारा लक्ष्य 100% जनसंख्या का आर्थिक समावेश करना है।
दूसरी योजना है मुद्रा योजना जो केवल फंडिंग फॉर द अनफंडेड के लिए बनाई गई है। यानि जिसे कभी बैंक से कोई ऋण नहीं मिला, उसे मुद्रा योजना के अन्तर्गत ऋण देने की व्यवस्था की गई है और मुझे यह बताते हुए खुशी है कि इस योजना के अन्तर्गत 70 प्रतिशत से अधिक ऋण केवल महिलाओं को दिया गया है।बेरोजगारी गरीबी को जन्म देती है। इसीलिए स्किल इंडिया योजना के अन्तर्गत गरीब और मध्यम वर्ग के युवाओं के लिए, उनकी रूचि और योग्यता के अनुसार कौशल देने के बाद मुद्रा योजना, स्टार्ट अप इंडिया योजना और स्टैंड अप इंडिया योजना के अन्तर्गतऋण देकर स्वरोजगार के काबिल बनाया जा रहा है।
तीसरी योजना है उज्जवला योजना। सभापतिजी, गरीब महिलाओं को हर रोज रसोई का ईंधन जुटाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है और उनकी आँखें धुएँ से अंधी हो जाती हैं। इन दोनों कष्टों का निवारण करने के लिए उन्हें मुफ्त गैस सिलेंडर दिया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया यह एक महत्वपूर्ण कदम है। नोटबंदी जैसे साहसिक फैसले ने भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया है। जीएसटी जैसे महत्वपूर्ण निर्णय ने एक राष्ट्र, एक कर की कल्पना को साकार करके व्यापार में बार-बार टैक्स देने की असुविधा को समाप्त किया है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के अन्तर्गत लैंगिक समानता जैसे विषयों पर जोर देकर और स्वच्छ भारत अभियान चलाकर भारत एक सामाजिक क्रांति की ओर बढ़ रहा है।
मैं यहाँ यह अवश्य कहना चाहूँगी कि समर्थ देश तो अपने बल-बूते पर इन लक्ष्यों को प्राप्त कर लेंगे लेकिन छोटे और अविकसित देशों की मदद हम सबको करनी होगी। इसीलिए इन एसडीजी में ग्लोबल पार्टनरशिप का सिद्धांत रखा गया था। उस सिद्धांत के अनुरूप हम सभी उनकी मदद करें ताकि छोटे देश भी 2030 तक इन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि भारत ने इस वर्ष इंडिया-यूएन डेवेल्पमेंट पार्टनरशिप फंड की शुरुआत की है।'