पत्थर कारोबार को बंद कराने पर तुला वन विभाग

-स्टोन पार्क के पत्थर कारोबारियों ने मांगी अन्य व्यवसाय की अनुमति
ग्वालियर। वन विभाग जंगलों की सुरक्षा की आड़ लेकर ग्वालियर में पत्थर कारोबार को बंद कराने पर तुला हुआ है। वन विभाग द्वारा राजस्व क्षेत्र की खदानों की नीलामी के लिए पर्यावरण स्वीकृति न दिए जाने से स्टोन पार्क के कारोबारियों का पत्थर कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है। इससे परेशान स्टोन पार्क के सभी पत्थर कारोबारियों ने शासन से स्टोन पार्क में उन्हें आवंटित स्थान पर पत्थर की वजाय अन्य कारोबार करने की अनुमति देने की मांग की है।

यहां बता दें कि ग्वालियर के स्टोन पार्क में 53 लोग पत्थर का कारोबार करते हैं। चूंकि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश से जून 2016 से राजस्व क्षेत्र की सभी पत्थर खदानें बंद कर दी गई थीं। हालांकि अब इन खदानों को शुरू करने की अनुमति मिल गई है, लेकिन वन विभाग इन खदानों की नीलामी में अपनी टांग अड़ा रहा है। इसके चलते स्टोन पार्क के कारोबारियों को फर्शी पत्थर नहीं मिल पा रहा है। इस कारण पिछले करीब 15 माह से उनका कारोबार ठप पड़ा हुआ है, लेकिन नियम व शर्तों के अनुसार उनको स्टोन पार्क में पत्थर कारोबार के अलावा अन्य कोई व्यवसाय करने की अनुमति नहीं है, इसलिए स्टोन पार्क के सभी 53 पत्थर कारोबारियों ने स्टोन पार्क में अन्य उद्योग व्यवसाय करने की अनुमति मांगी है। इस संबंध में स्टोन पार्क एसोसिएशन द्वारा एक प्रस्ताव औद्योगिक अधोसंरचना विकास निगम ग्वालियर (आईआईडीसी) को दिया गया है। आईआईडीसी ने यह प्रस्ताव भोपाल मुख्यालय को भेज दिया है, जहां से यह प्रस्ताव उद्योग मंत्रालय को भेजा जाएगा। वहां से यदि अनुमति मिलती है तो स्टोन पार्क के कारोबारी स्टोन पार्क परिसर में आवंटित अपनी जगह पर अन्य उद्योग कारोबार खड़ा कर सकेंगे।

प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं वन विभाग के अधिकारी:- घाटीगांव विकासखंड के अंतर्गत जखौदा की छह खदानों की नीलामी प्रक्रिया में अड़ंगा लगाते हुए वन विभाग के अधिकारी जिला प्रशासन को यह कहकर गुमराह कर रहे हैं कि उक्त खदानों में फर्शी पत्थर बचा ही नहीं है, इसलिए स्वीकृत खदानों की आड़ में खनन कारोबारी वन क्षेत्रों से फर्शी पत्थर का खनन करेंगे, जबकि खनिज विभाग ने भौतिक सत्यापन एवं स्थल जांच रिपोर्ट में उक्त सभी छह खदानों में पर्याप्त मात्रा में फर्शी पत्थर होने की बात कही है। खनिज विभाग की रिपोर्ट के अनुसार ग्राम जखौदा में नीलामी के लिए प्रस्तावित खदान सर्वे क्रमांक 941 व 942 रकवा 2.500 हैक्टेयर में 20 हजार घनमीटर, सर्वे क्रमांक 947 व 948 रकवा 2.604 में 20 घनमीटर, सर्वे क्रमांक 949 रकवा 4.800 में 20 हजार घनमीटर, सर्वे क्रमांक रकवा 4.983 में 25 हजार घनमीटर एवं सर्वे क्रमांक 966 रकवा 3.995 में 24 हजार घनमीटर फर्शी पत्थर मौजूद है और यह सभी खदानें सोनचिरैया अभयारण्य घाटीगांव की सीमा से 250 मीटर से तीन कि.मी. दूर हैं। पत्थर कारोबारियों के अनुसार खनिज विभाग द्वारा इन खदानों में जितना पत्थर बताया गया है, उसके अनुसार इन खदानों में चार से पांच साल तक खनन कार्य जारी रखा जा सकता है।

बिलौआ में स्वीकृति, जखौदा में अडंÞगा:-सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 फरवरी 2017 को हुई डिया की बैठक में वन विभाग की सहमति से बिलौआ की काली गिट्टी की 72 में से 42 खदानों को पर्यावरण स्वीकृति दे दी गई थी, जबकि अवैध खनन के आंकड़े देखें तो अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 तक काली गिट्टी के अवैध खनन व परिवहन के 425 मामले दर्ज हुए थे, लेकिन फर्शी पत्थर के इस अवधि में अवैध खनन व परिवहन के 15 से 20 मामले ही सामने आए थे। बावजूद इसके वन विभाग के अधिकारी जखौदा की फर्शी पत्थर की खदानों की नीलामी के लिए अपनी अनापत्ति देने को तैयार नहीं है। इससे वन विभाग के अधिकारियों का दोहरा चरित्र साफ उजागर हो रहा है।

वन विभाग की आपत्ति पर विचार करना जरूरी नहीं: शुक्ला

स्टोन पार्क एसोसिएशन ग्वालियर के अध्यक्ष सत्यप्रकाश शुक्ला का कहना है कि मेरे द्वारा सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में मुख्य वन संरक्षक और वन संरक्षक दोनों ने अपने पत्रों में इस बात को स्वीकार किया था कि ग्वालियर के आरक्षित व संरक्षित वन क्षेत्रों में यदाकदा ही अवैध खनन होता है। इस संबंध में मेरी उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान एवं उप सचिव व्ही.के. बरोनिया से चर्चा हो चुकी है। उन्होंने कहा है कि खदानों के संबंध में कलेक्टर वन विभाग के अभिमत को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। उनको अन्य पहलुओं और क्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने पत्र के माध्यम से कलेक्टर से इस संबंध में निर्णय लेने का आग्रह किया है।

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