Home > Archived > जनधन, आधार और मोबाइल की ट्रिनिटी से पूरा देश बनेगा वित्तीय-डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा : वित्तमंत्री अरुण जेटली

जनधन, आधार और मोबाइल की ट्रिनिटी से पूरा देश बनेगा वित्तीय-डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा : वित्तमंत्री अरुण जेटली

जनधन, आधार और मोबाइल की ट्रिनिटी से पूरा देश बनेगा वित्तीय-डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा : वित्तमंत्री अरुण जेटली
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नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि देश जल्द ही ‘1 अरब, 1 अरब, 1 अरब’ के सपने को पूरा करने जा रहा है यानि जाम ट्रिनिटी (जनधन, आधार और मोबाइल) पर आधारित वित्तीय समावेशन जिससे पूरा देश वित्तीय और डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा बन जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘1 अरब-1 अरब-1 अरब दृष्टि देश की पहुंच के भीतर हैं। इसका मतलब है कि 1 अरब आधार नंबर 1 अरब बैंक खातों और 1 अरब मोबाइल फोन से जुड़ना है। एक बार ऐसा हो गया तो पूरा देश एक वित्तीय और डिजिटल मुख्यधारा का हिस्सा बन जाएगा।’’ प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) को वित्तीय समावेशन का एक महत्वपूर्ण अंग बताते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि आज इस योजना को प्रारंभ हुए तीन साल हो गये हैं जिसका उद्देश्य गरीबों को वित्तीय सेवायें प्रदान करना था। उन्होंने कहा, ‘‘इनमें गरीबों के लिए बैंक खाते खोलना, उन्हें भुगतान के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (रुपये कार्ड के माध्यम से) देना और उन्हें क्रेडिट व बीमा का लाभ लेने की स्थिति में लाना शामिल है।’’

">इस दौरान उन्होंने जनधन खातों की उपलब्धियां गिनाते हुए कई आंकड़े पेश किये जिसमें 16 अगस्त तक कुल जनधन खातों की संख्या 29.52 करोड़ होना जिसमें से 17.64 करोड़ का ग्रामीण क्षेत्रों में होना। इसके अलावा इन खातों में शून्य शेष वाले खातों की संख्या घटकर 21.41 प्रतिशत तक आना शामिल है।

जाम को उन्होंने समाजिक क्रांति की संज्ञा देते हुए कहा कि इसने वित्तीय समावेश, आधार और मोबाइल को एक साथ ला दिया है। साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा जाम शब्द गढ़ा गया और एक दृष्टिकोण को संकल्पित किया गया, यह एक सामाजिक क्रांति से कम नहीं है क्योंकि इसमें वित्तीय समावेश (पीएमजेडीवाई), बायोमेट्रिक पहचान (आधार) और मोबाइल दूरसंचार शामिल हैं। आज, लगभग 52.4 करोड़ अद्वितीय आधार संख्याएं भारत में 73.62 करोड़ खातों से जुड़ी हैं।’’

उन्होंने कहा कि इन्ही सभी प्रयासों का नतीजा है कि गरीब इलेक्ट्रोनिक माध्यमों से लेन-देन कर रहे हैं। उन्होंने, ‘‘सबसे बढ़कर, सरकार अब सालाना 35 करोड़ लाभार्थियों के वित्तीय खातों में 74 हजार करोड़ रुपये का सीधे हस्तांतरण करती है।’’ इन को सबको जीएसटी से जोड़ते हुए वित्तमंत्री कहा कि यह एक सामाजिक क्रांति से कम नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे जीएसटी ने एक कर, एक बाजार, एक भारत बनाया वैसे ही पीएमजेडीवाई और जाम क्रांति सभी भारतीयों को एक समान वित्तीय, आर्थिक और डिजिटल क्षेत्र से जोड़ सकती है। कोई भी भारतीय मुख्यधारा के बाहर नहीं होगा यह एक सामाजिक क्रांति से कम नहीं है।’’

Updated : 27 Aug 2017 12:00 AM GMT
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