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जल संसाधन विभाग ने न्यायालय में पानी को लेकर दी गलत जानकारी

जल संसाधन विभाग ने न्यायालय में पानी को लेकर दी गलत जानकारी
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-उच्च न्यायालय की कड़ी फटकार के बाद नगर निगम ने दूसरे दिन ही पेश किया जवाब

ग्वालियर।
अल्प वर्षा के कारण ग्वालियर शहर में जल संकट पैदा होने के मामले में जल संसाधन विभाग द्वारा उच्च न्यायालय में पानी को लेकर गलत जानकारी देने के कारण पानी का संकट गंभीर होता जा रहा है। यायालय में नगर निगम द्वारा जो जानकारी पेश की गई है, उसमें बताया गया है कि तिघरा में अब मात्र 719.50 फीट पानी ही शेष है। इस पानी से शहर को दो माह तक पानी का विरतण किया जा सकता है। यदि पानी का वितरण एक दिन छोड़कर किया जाता है तो यह पानी तीन माह तक चल सकता है। उच्च न्यायालय की कड़ी फटकार के बाद नगर निगम ने दूसरे दिन शुक्रवार को अपना जवाब पेश कर दिया। प्रस्तुत जवाब में नगर निगम ने कहा है कि शहर की आबादी के लिए कुल 8.8 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता है। यह पानी प्रतिदिन दिए जाने की मात्रा है।

इस पानी में से लगभग 20 प्रतिशत पानी का नुकसान हो जाता है। इस नुकसान को घटाकर कुल 7.4 एमसीएफटी पानी की आवश्यकता होती है। जल संसाधन विभाग द्वारा 7.4 एमसीएफटी पानी की आपूर्ति शहर में की जाती है। इसी प्रकार टयूबबैल से 1.40 एमसीएफटी पानी की आपूर्ति की जाती है। शहर में विभिन्न स्थानों पर ट्यूबवेल स्थापित हैं, जिनसे लोगों को पानी मिलता है।
17 वार्डों में सिर्फ ट्यूबवैल का सहारा

नगर निगम ने न्यायालय के समक्ष जवाब प्रस्तुत करने के दौरान कहा कि शहर के कुल 17 वार्ड ऐसे हैं, जिनमें ट्यूबवेल से जल वितरण किया जा रहा है। वार्ड क्रमांक 1, 4, 5, 6, 7, 8, 15, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 28, 49, 50 और वार्ड 60 में ट्यूबवेल से टंकियों में पानी भरकर उक्त वार्डों के लोगों को पेयजल का वितरण किया जाता है।

दस स्थानों पर वॉटर हार्वेस्टिंग

नगर निगम ने जवाब में यह भी कहा कि उन्होंने शहर के 10 स्थानों पर वॉटर हार्वेस्टिंग कराई है, जिसका परिणाम अनुकूल है। इसकी रिपोर्ट भी साथ में प्रस्तुत की गई है।

एक दिन छोड़कर पेयजल आपूर्ति की लगाई गुहार

नगर निगम ने उच्च न्यायालय में जवाब के साथ दिए गए शपथ पत्र में कहा है कि शहर में अल्प वर्षा के कारण पानी का संकट गंभीर समस्या की तरफ बढ़ता जा रहा है। इसको देखते हुए एक दिन छोड़कर पानी की आपूर्ति देने की अनुमति प्रदान की जाए, ताकि पानी के संकट और इससे पैदा हो रही समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सके।

Updated : 12 Aug 2017 12:00 AM GMT
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