18 घंटे तक उपचार की आस में मासूम बच्ची के साथ खुले में पड़ी रही महिला

-पिता व पति लगाता रहा गुहार ,नहीं सुनी चिकित्सकों ने
ग्वालियर। जयारोग्य चिकित्सालय में चिकित्सकों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है, अस्पताल में पहुंच रहे मरीजों को उपचार के लिए घण्टों परेशान होना पड़ता है। लेकिन इस बार एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला करीब 18 घण्टों तक अपनी एक वर्षीय मासूम बच्ची के साथ न्यूरोलॉजी विभाग के बाहर खुले में पड़ी रही और महिला का पति व पिता चिकित्सकों से उसे भर्ती करने की गुहार लगाते रहे, फिर भी चिकित्सकों का दिल नहीं पसीजा और जब मामला टीकमगढ़ के जिलाधीश के पास पहुंचा तो महिला को आनन-फानन में भर्ती कर लिया गया।
जानकारी के अनुसार टीकमगढ़ ग्राम पलेरा निवासी 22 वर्षीय सुमित्रा की एक वर्ष की बेटी को कुपोषण की बीमारी है, जिसके चलते पलेरा स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र में महिला को विगत दिनों भर्ती कर बच्ची का उपचार शुरू किया गया। उपचार के दौरान सुमित्रा के पेट में दर्द हुआ तो उसने केन्द्र के स्टॉफ से दर्द की गोली मांगी तो स्टॉफ ने उसे एक दर्द का इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन लगने के बाद सुमित्रा का सीधा पैर सुन्न पड़ गया और उसने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद सुमित्रा को केद्र से टीकमगढ़ के शासकीय अस्पताल में रैफर कर दिया गया, जहां एक दिन भर्ती रहने के बाद चिकित्सकों ने उसे ग्वालियर के जयारोग्य चिकित्सालय के लिए रैफर कर दिया। लेकिन सुमित्रा के पिता करन सिंह व पति दिनेश की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह उसे ग्वालियर के जयारोग्य में ले जा सके। इस पर सुमित्रा के पिता टीकमगढ़ जिलाधीश के पास मदद के लिए पहुंचे तो वहां से जिलाधीश ने शासकीय खर्च पर उसे जयारोग्य के न्यूरोलॉजी विभाग भेजा व उपचार कराने के निर्देश दिए। इस पर सुमित्रा अपनी एक वर्षीय मासूम बच्ची, पिता व पति के साथ विगत दिवस शाम सात बजे न्यूरोलॉजी पहुंची, जहां चिकित्सकों ने उसे भर्ती करने से इंकार कर दिया। इस पर सुमित्रा अपनी एक वर्षीय बेटी के साथ पूरी रात न्यूरोलॉजी विभाग के बाहर ही जमीन पर दर्द से तड़पती रही और सुमित्रा के पिता उसे भर्ती करने की गुहार लगाते रहे। सुमित्रा को भर्ती न करने की सूचना रविवार की सुबह जैसे ही टीकमगढ़ के जिला प्रशासन सहित शहर के मीडिया को लगी तो आनन-फानन में सुमित्रा को सुबह 12 बजे न्यूरोलॉजी के महिला वार्ड में जमीन पर गद्दा बिछा कर भर्ती कर दिया। इस मामले में चिकित्सकों का कहना है कि महिला के परिजनों से भर्ती की पर्ची कटाने की बात कही गई थी, लेकिन वह पर्ची कटा कर वापस नहीं लौटे, जिस कारण उसे भर्ती नहीं किया जा सका था।
चिकित्सकों ने दी मारने की धमकी
इस मामले के सामने आने के बाद महिला को भर्ती तो कर लिया गया, लेकिन महिला के पिता को ड्यूटी पर मौजूद जूनियर चिकित्सकों ने मारने की धमकी देते हुए कहा कि अगर ज्यादा नेतागिरी करोगे को तुम्हें कमरे में बंद करके मारेंगे।