इसरो अगले वर्ष चांद की सतह पर भेजेगा दो यान

नई दिल्ली। अगले साल इसरो भारत के दो यान चांद पर भेजेगा जिसमें से पहला यान इसरो द्वारा और दूसरा वैश्विक प्रतियोगिता में भाग ले रही टीम इंडस द्वारा तैयार किया जा रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2018 में ही इन दो चन्द्र अभियान की तैयारी में है। पहला यान चंद्रयान-2 है जो इससे पहले इसरो के अभियान चंद्रयान 1 के मुकाबले कई गुना बेहतर होगा। दूसरा यान अंतरिक्ष उत्साही लोगों के एक समूह इंडस टीम का होगा।
चन्द्रयान-2 का उद्देश्य चांद की सतह के नीचे की जांच करना है। वहीं इंडस के अभियान का उद्देश्य 21 दिनों की यात्रा के बाद 26 जनवरी को वैश्विक चंद्र प्रतियोगिता के तहत भारत का तिरंगा चांद की सतह पर फहराना है।
आईआईटी दिल्ली के छात्र रहे राहुल नारायण के नेतृत्व में इंडस कई युवा इंजीनियर्स का समूह है। उनके अनुसार वैश्विक प्रतियोगिता जीतने वाले समूह को गूगल से तकरीबन 192.46 करोड़ रुपये मिलेंगे। इस प्रतियोगिता में टीम को चांद की जमीन पर 500 मीटर तक का चक्कर लगाना है। इसके साथ हाईडेफिनेशन वाली पिक्चर धरती पर भेजनी है।
इसरो के चेयरमैन ए एस किरण कुमार ने कहा कि टीम इंडस ने एक एंट्रिक्स (इसरो की व्यावसायिक विंग) के साथ पीएसएलवी का इस्तेमाल करने के लिए समझौता किया है जो 600 किलो के बेबी स्पेसक्राफ्ट को चांद पर भेजेगा।
भारत की टीम इंडस के अलावा अमरीका का मून एक्सप्रेस, इजरायल का स्पेसआईएल और अंतर्राष्ट्रीय टीम का सिनर्जी मून भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हैं।
चंद्रयान-2 भारत का चंद्रयान -1 के बाद दूसरा चंद्र अन्वेषण अभियान है जिसे इसरो ने विकसित किया है। अभियान को जीएसएलवी प्रक्षेपण यान द्वारा अगले वर्ष के पहले तीन महीनों के बीच प्रक्षेपण करने की योजना है। इस अभियान में भारत में निर्मित एक लूनर ऑर्बिटर (चन्द्र यान) तथा एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल होंगे। इस सब का विकास इसरो द्वारा किया जायेगा।
इसरो के अनुसार यह अभियान विभिन्न नयी प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल तथा परीक्षण के साथ-साथ 'नए' प्रयोगों को भी करेगा। पहिएदार रोवर चन्द्रमा की सतह पर चलेगा तथा ऑन-साइट विश्लेषण के लिए मिट्टी या चट्टान के नमूनों को एकत्र करेगा। आंकड़ों को चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के माध्यम से पृथ्वी पर भेजा जायेगा।