पॉलीथिन खाने से गौवंश की अकाल मौत

जाने-अनजाने में कहीं हम सब गौ हत्या के आरोपी तो नहीं
अनिल शर्मा/भिण्ड, ब्यूरो। आए दिन पॉलीथिन खाने की वजह से गायों की अकाल मौत होने की खबरें मिल रही हैं। कहीं न कहीं इन मौतों के लिए वे लोग जिम्मेदार हैं। जो पॉलीथिन में भरकर खाना सड़कों पर फैंकते हैं। वे मौत के जिम्मेदार ही नहीं बल्कि जाने-अनजाने में कहीं न कहीं गौ हत्या के आरोपी भी बन रहे हैं। जो चिंतनीय विषय है। देश में औसतन 20 गाय पॉलीथिन खाने से मरती हैं। भारतीय समाज व धर्म शास्त्रों में गौ हत्या को महा पाप माना गया है। संविधान में गौ हत्या की जो भी सजा निर्धारित हो, लेकिन भारतीय समाज द्वारा गौ हत्या के पापी को जो सजा मुकर्रर है, वह काफी भयानक है। यह सजा प्रत्यक्ष गौ हत्या के आरोपी को मिलने का तो डर रहता है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कहीं न कहीं गौ हत्या के आरोपी हम सब भी हैं। यह हमें भी नहीं पता है और पुण्य के नाम पर जो पाप की गठरी अनजाने में इकट्ठी कर रहे हैं। उसका पश्चाताप भी नहीं करते। क्योंकि हमें पता ही नहीं है। हमने गौ हत्या जैसा जघन्य अपराध किया है।
भिण्ड शहर में एक युवाओं की टीम गौ सेवा के लिए गोकुल धाम चलाकर उत्कृष्ट कार्य करने में जुटी है। इन युवाओं की जितनी पीठ थपथपाई जाए कम है। लेकिन भिण्ड में बहुत बड़ा समाज का एक हिस्सा पुण्य के नाम पर गौ हत्या का पापी बनने का काम भी कर रहा है। हालांकि उसे नहीं पता कि जो कृत्य उसने किया है, वह पाप है, बल्कि उसकी नजर में तो उसने भूखे को भोजन देने का पुण्य कार्य किया है। वेशक उसे पुण्य के स्थान पर जाने अनजाने पाप का ही भागीदार होना पड़ रहा है।
पूरे देश में औसत प्रतिदिन 20 गायों की अकाल मौत सिर्फ पेट में पॉलीथिन जमा होने से हो रही है। लेकिन पूरे देश की चिंता करे बगैर मैं सिर्फ भिण्ड पर आपका ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूं। यहां भी वे सहारा लाचार दूध न देने वाली अथवा कम मात्रा में दूध देने वाली गाय भारी मात्रा में शहर व ग्रामीण अंचल में आवारा घूम रही हैं। लेकिन गाय को आवारा कहने की बजाय यूं कहें कि आवारा लोगों की वजह से उनकी यह दुर्दशा है, तो ज्यादा अच्छा होगा। क्योंकि गाय तो हमारी माता है। उसमें सौ करोड़ देवताओं का वास है। उसके स्पर्श मात्र से तमाम रोग क्लेश को शांति मिलती है तो वह तो आवारा कैसे हो हो सकती है।
मेरा यहां आशय सिर्फ इतना भर है कि जो लोग गौ माता को अनुपयोगी मानकर उन्हें घर से निकाल बाहर करते हैं वे तो पाप के भागीदार हैं, लेकिन आप हम सब भी इस पाप से बच नहीं सकते। सड़कों, गलियों में भूखी, प्यासी घूम रही गौ माता को कचरे के ढेर में जो भी खाद्यान्न पदार्थ मिलता है, वह अपने भूखे पेट को भरने के लिए खा जाती है। लेकिन कचरे के ढेर में कई बार हम अपने घर की झूठन, बचा हुआ वासी खाना या जो भोजन मनुष्य के खाने के लायक नहीं बचा अर्थात वह विष के समान हो गया है। उसे हम बड़े चाव के साथ पॉलीथिन की थैली में भरते हैं और सड़क पर इस आशा के साथ फैंक देते हैं कि कोई भूखा जानवर आएगा और उसके पेट में तो कम से कम चला जाएगा। उसकी भूखी आत्मा की तृप्ति मिलेगी और हमें उसका पुण्य स्वरूप आशीर्वाद। इस आशा के साथ हर घर में कोई न कोई जरूर पॉलीथिन में भरकर भोजन फैकता है। होता यह है कि भूखी प्यासी गाय कचरे के ढेर से अपनी भूख को मिटाने का साधन ढूंढती पहुंच ही जाती है और उसमें तब मिलता है पॉलीथिन में भरा जूठन व वासा खाना, पॉलीथिन खुल नहीं पाता तो वह पॉलीथिन समेत यह खाद्यान्न पदार्थ निगल जाती है। भूखी गाय का दोष नहीं है। उसे नहीं पता पेट भरने के लिए वह विष पान कर रही है। आप भी इस तथ्य से अनजान रहते हैं। क्योंकि तत्काल स्वरूप में आपने पॉलीथिन खाते ही गाय को मरते नहीं देखा है। लेकिन हकीकत यह है कि आपका यह पॉलीथिन में फैका गया भोजन कभी न कभी गाय की मौत का कारण तो बनेगा ही और आप होंगे गौ हत्या के आरोपी। कई बार लोगों को हमने यह कहते हुए सुना है कि हमने कभी पाप कर्म नहीं किया। और न ही किसी के साथ अन्याय, फिर भी मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ। शायद पिछले जन्म का पाप कर्म होगा। जिसकी सजा मिल रही है। हकीकत में यह कलयुग है। जिसमें पिछले जन्म की सजा तो मिलती ही होगी, लेकिन इस जन्म के पाप भी आपको इसी जन्म में भुगतने होंगे। इसलिए हमें विचार करना चाहिए, कहीं हम जाने अनजाने में ऐसा कोई पाप तो नहीं कर रहे जो हमारी नजर में पुण्य हो और कर रहे पाप। ऐसा ही कुछ सड़क पर कचरे में पॉलीथिन भरकर खाद्यान्न फैकने वाले कर रहे हैं। उन्हें कम से कम अब तो सजग हो जाना चाहिए। देर है, अंधेर नहीं, आपके पाप कर्म की सजा आपको मिलेगी जरूर।