इस मिलावट के हमने ऐसे-ऐसे चमत्कार भुगते हैं..

इस मिलावट के हमने ऐसे-ऐसे चमत्कार भुगते हैं..
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नृत्य से दर्शाया नवरस का महत्व लिटिल एंजेल्स में धूमधाम से मना हिन्दी उत्सव।
ग्वालियर। इस मिलावट के हमने ऐसे-ऐसे चमत्कार भुगते हैं, काली मिर्च बोओ तो पपीते उगते हैं...। यह हास्य व्यंग्य की कविताएं दिल्ली से आए हास्य व्यंग्य के कवि वेदप्रकाश वेद ने ग्वालियर के लिटिल एंजेल्स स्कूल में आयोजित हिन्दी उत्सव के उपलक्ष्य में कवि सम्मेलन में श्रोताओं के बीच प्रस्तुत करते हुए सभी से खूब ठहाके लगवाए।

इससे पूर्व स्कूल की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना पर नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई। तत्पश्चात छात्रों ने मुशायरा प्रस्तुत किया। मुशायरा की प्रस्तुति देखकर बाहर से आए कवि भी अपने आप को ताली बजाने से नहीं रोक पाए। कार्यक्रम में कवियों का स्वागत स्कूल के संचालक सुनील ओल्याई ने शॉल व श्रीफल भेंटकर किया।

तत्पश्चात छात्र-छात्राओं ने अपनी रंगारंग प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। दर्शकों ने भी तालियों के साथ उनका उत्साहवर्धन किया। नवरस पर छात्राओं ने जीवन में नौ रसों की महत्ता का नृत्य नाटिका से वर्णन किया, जिसमें बेटी बचाओ नृत्य लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहा। छात्रों ने होली, बैशाखी, ईद व क्रिसमस के पर्व महत्व को नृत्य के जरिए प्रस्तुत किया। प्रधानाचार्य शिल्पा त्यागी ने वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी।
डिग्री से अनुभव बड़ा होता है, मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं, जिन्होंने एज्यूकेशन लोन लेकर आईआईटी की थी, फिर उस लोन को चुकाने के लिए उन्हें आईटीआई करना पड़ी...।’

सम्पत सरल, जयपुर

‘आंखों में पानी दादी की कहानी, घर में मेहमान पड़ोसी की पहचान, परोपकारी बंदे अर्थी के कपड़े...।’

अरुण जेमिनी

‘सड़क पर दौड़ते एक आदमी से हमने रोककर पूछा कहां जा रहे हो? वो बोला आत्म हत्या करने, मैंने कहा फिर तो मैं तुम्हारे बहुत काम आ सकता हूं, तुम्हे अपने साथ किसी कवि सम्मेलन में ले जा सकता हूं, वह बोला बस-बस रहने दीजिए ये जुल्म न कीजिए, आपको मालूम है, मैं आत्महत्या करने क्यूं जा रहा हूं, बात दरअसल यह है कि मैं अभी-अभी एक कवि सम्मेलन से छूटकर आ रहा हूं...।’

महेन्द्र अजनबी, दिल्ली

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