बिहार विधानसभा में जीएसटी बिल हुआ सर्वसम्मति से पारित

बिहार विधानसभा में जीएसटी बिल हुआ सर्वसम्मति से पारित
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पटना। बिहार विधान सभा में बिहार माल और सेवा कर विधेयक (जी एस टी )' 2017 सोमवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।
बिहार के वाणिज्य कर (प्रभारी) मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने सर्वसम्मति से इस बिल की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव करते हुए विधान सभा में कहा कि विभिन्न तरह के समाज , संस्कृति और दलीय व्यवस्था के बीच इस बिल पर राष्ट्रीय स्तर पर सहमती बनी है। देश और राज्य हित में इस बिल को फायदेमंद बताते हुए उन्होंने कहा कि इस बिल के पास होने पर गाँव में रहने वाले लोगों और गरीबों को सहूलियतें मिलेंगी। छोटे व्यापारियों और आम लोगों के लिए इस बिल को सुविधाजनक बताते हुए उन्होंने कहा कि विलासिता सम्बन्धी कर इस बिल में लगाये गए हैं। मंत्री ने कहा कि जो लोग एक करोड़ रूपये की गाडी इस्तेमाल करते हैं और जेवरातों की खरीदारी करते हैं, उन्हें कर के दायरे में रखा गया है।

यादव ने स्वतंत्रता संग्राम के समय महात्मा गाँधी की ओर से दिए गए विदेशी कपड़ों के बहिष्कार से जुड़े उदाहरण देते हुए कहा कि भारत से कच्चे माल ले जाकर विदेश में कपड़ा तैयार कर उसे यहाँ भेजा जाता था1 उन्होंने कहा कि उसी समय ऐसे बिल का प्रारूप तैयार कर लिया गया था और अब 82 साल बाद इसे पारित किया गया है।

उन्होंने मुख्य विपक्षी पार्टी, भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब तक केंद्र में भाजपा विपक्ष में रही, इसने इस बिल का विरोध किया। यहाँ तक कि भाजपा शासित गुजरात , मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ भी इसके विरोध में था।
विजेंद्र यादव ने प्रसन्नता वयक्त की कि एआईएडीएमके को छोड़ कर सभी दलों ने इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस बिल के माध्यम से एक ऐसी नई व्यवस्था बन रही है जिससे कई तरह की जटिलताएं समाप्त हो जायेंगी।

इस बिल पर बोलते हुए विधान सभा में कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि तत्कालीन केन्द्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने वर्ष 2006 में इस बिल को लाया था किंतु भाजपा ने अपनी हठधर्मिता की वजह से इसे पास नहीं होने दिया। उन्होंने कहा कि इस बिल पर 1993 से ही विचार चल रहा था और यूपीए सरकार में वित्तमंत्री ने 2006 से 2014 के बीच इसे पास कराने की कोशिश की , परन्तु भाजपा ने इसे होने नहीं दिया। सिंह ने कहा कि इस बिल के पास होने का सेहरा ले रही भाजपा यदि वर्ष 2006 में इसके पारित होने में सहयोग करती दो देश में अब तक 12 हजार करोड़ रूपये की राशि विकास के लिए उपलब्ध होती। उन्होंने कहा कि बिहार को भी 32 करोड़ की जगह 42 करोड़ रूपये मिल गया होता। भाजपा को सीधे तौर पर इसके लिए दोषी और ज़िम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि यदि भाजपा इस बिल के पारित होने में सहयोग करती तो देश और राज्य को इतना बड़ा नुक्सान नहीं होता।

इस बिल के पारित हो जाने से देश को होने वाले लाभ का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि देश में समान कर प्रणाली होगी तो उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा और राष्ट्रीय बाज़ार में कर में एकरूपता आएगी। आमजनों पर कर का बोझ भी कम होगा। सिंह द्वारा भाजपा को इस बिल के पारित होने में देरी करने के कारण होने वाले नुकसान के समर्थन में सत्तारूढ़ राजद के विधायक भाई वीरेंदर ने कहा कि भाजपा को इसके लिए प्रायश्चित करना चाहिए।
जीएसटी बिल पर बोलते हुए बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता प्रेम कुमार ने प्रधानमन्त्री और केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ-साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस बिल को राज्य में पास कराने के लिए धन्यवाद दिया । उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने से एक राष्ट्र ,एक कर और एक बाज़ार की परिकल्पना पूरी होगी । समान कर होने से जीडीपी में वृद्धि के साथ – साथ उद्योग धंधे में भी विकास होगा । उन्होंने कहा कि बिल के पारित होने से महंगाई पर नियंत्रण होगा और रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार विधान सभा में भी इसे पारित कराने के लिए धन्यवाद देते हुए प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार में उत्पादन कम, खपत अधिक है और इस बिल से राज्य को भी लाभ मिलेगा । जीएसटी को सर्वांगीण विकास में मील का पत्थर बताते हुए उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद जीएसटी बिल केंद्र सरकार का सुधारवादी कदम है। उन्होंने कहा कि अल्कोहल, पेट्रोलियम पदार्थ जीएसटी के दायरे से बाहर हैं । प्रेम कुमार ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद केन्द्रीय कर , सेवा कर वैट, सेल्स टैक्स तथा अन्य कई तरह के करों में लोगों को छूट मिलेगी।

बिहार कराधन विधि ( संशोधन ) विधेयक 2017 पर बोलते हुए भाकपा (माले) के महबूब आलम ने जीएसटी बिल को वापस लेने की मांग करते हुए भूमि और आवास समस्या पर विशेष सत्र बुलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के अवसर पर समारोहों की नौटंकी बंद कर, सरकार को भूमि आवास और जमीन से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करना चाहिए। महबूब आलम ने बधोपाध्याय कमेटी की अनुशंसाओं को भी लागू करने की मांग की।

बिहार कराधन विधि ( संशोधन ) विधेयक 2017 पर बोलने को खड़े हुए महबूब आलम ने कहा कि जीएसटी के जरिये कॉरपोरेट घरानों को छूट मिलेगी और आम जनता पर कर का बोझ बढ़ेगा | जीएसटी को वापस लेने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि इससे जनता का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा। इस पर मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने महबूब आलम से कहा कि वाम विचारधारा के चीन और रूस में भी जीएसटी लागू है । उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थ, कच्चा पेट्रोलियम , प्राकृतिक गैस , मानव उपयोग की शराब, रियल स्टेट समेत छह वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर हैं । जीएसटी के दायरे से बाहर छह वस्तुएं राज्य के अधिकार में हैं जिन पर राज्य आवश्यकतानुसार कदम उठाएगी । इसके बाद बिहार कराधन विधि ( संशोधन ) विधेयक 2017 सर्वसम्मति से पारित हो गया।

भू-अर्जन , पुनर्वासन, पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार ( बिहार संशोधन ) विधेयक – 2017 के संशोधन प्रस्ताव पर बोलते हुए भाजपा के मिथिलेश तिवारी ने मांग की कि जिन लोगों की जमीन अधिगृहित हो रही हैं उन्हें अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने से लेकर अधिग्रहण की अंतिम प्रक्रिया पूरी होने तक 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी दिया जाना चाहिये । ऐसे लोगों को समय पर मुआवजा राशि देने का सरकार से उन्होंने आग्रह किया ।

इस पर विपक्ष के नेता डा. प्रेम कुमार ने भी कहा कि किसानों को भी समय पर मुआवज़ा नहीं मिल रहा हैं। उन्होंने कहा कि धान खरीद के 24 घंटे के अंदर मुआवजा राशि का भुगतान करने के राज्य सरकार के निर्णय की प्रशंसा करते हुए कहा कि जितने भी क़ानून बन रहे हैं, उन्हें जमीन पर उतारना चाहिए। बाद में इस विधेयक को भी सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया ।
विधान सभा में बिहार राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन ) विधेयक 2017 की स्वीकृति के प्रस्ताव पर बोलते हुए शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि विश्वविद्यालयों को प्रशासनिक दृष्टिकोण से सुदृढ़ बनाने के लिए बिहार प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त पदाधिकारियों को कुल सचिव के पद पर नियुक्त करने का प्रस्ताव है उन्होंने कहा कि कुलसचिव का मूल दायित्व संचालन का है

अपने संशोधन प्रस्ताव पर बोलते हुए भाजपा के मिथिलेश तिवारी ने कहा कि बिहार प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारियों को विश्वविद्यालयों में बिठा कर सरकार विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता समाप्त करना चाहती है। बाद में यह विधेयक पारित कर दिया गया। इसी तरह पटना विश्विद्यालय (संशोधन) विधेयक 2017 की स्वीकृति का प्रस्ताव करते हुए शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार के लिए बासा के सेवानिवृत्त अधिकारियों को रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि ऐसे पदाधिकारी प्रशासनिक कार्यों में दक्ष हैं जबकि प्रोफेसर इस कार्य में उतने दक्ष नहीं होते, सदन ने इस विधेयक को भी सर्वसम्मति से पारित कर दिया।

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