Home > Archived > जेनरिक दवा नहीं लिखी तो रद्द हो सकता है चिकित्सक का लाइसेंस

जेनरिक दवा नहीं लिखी तो रद्द हो सकता है चिकित्सक का लाइसेंस

जेनरिक दवा नहीं लिखी तो रद्द हो सकता है चिकित्सक का लाइसेंस
X

नई दिल्ली| देशभर के डॉक्टरों को लाइसेंस जारी करने और उनके कामकाज पर नजर रखने वाली भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) ने अब डॉक्टरों के लिए दवाओं का जेनरिक नाम ही लिखना अनिवार्य कर दिया है। अगर उन्होंने इसका पालन नहीं किया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। ऐसी कार्रवाई में परिषद को संबंधित डॉक्टर का लाइसेंस तक रद्द करने का अधिकार है।

एमसीआई की ओर से इसकी सचिव डॉ. रीना नैयर ने इस संबंध में स्थिति स्पष्ट की है। शुक्रवार को जारी उनके आदेश में कहा गया है कि भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद कानून के तहत रजिस्टर्ड सभी डॉक्टरों को निर्देश दिया जाता है कि वे संबंधित प्रावधान का बिना किसी लापरवाही के पालन करें। उन्होंने यह बात भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद कानून के संशोधित प्रावधान 1.5 के संबंध में कही है। एमसीआई ने पिछले साल सितंबर में ही अधिसूचना जारी कर इस प्रावधान में संशोधन किया था। इसमें डॉक्टरों को जेनरिक दवा ही लिखने को कहा था। हालांकि, तब इसे अनिवार्य नहीं किया गया था। ताजा आदेश में उन्होंने साफ कहा है कि सभी फिजीशियन को जेनरिक नाम और स्पष्ट अक्षर से ही दवा लिखनी चाहिए और जहां तक संभव हो बड़े अक्षरों का उपयोग करें। साथ ही उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि दवा जरूरत के अनुरूप ही लिखी गई हो। परिषद ने सभी राज्य सरकारों, राज्य आयुर्विज्ञान परिषदों, अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों को भी इस निर्देश का पालन करवाने को कहा है। इसी सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि वह चाहते हैं कि लोगों को महंगी दवा लेने के लिए मजबूर न होना पड़े और इसके लिए सरकार जल्द ही नियम बनाएगी। इसके बाद औषधि विभाग भी संबंधित नियम तैयार कर रहा है।

60 दवाइयां घटिया दर्जे की
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आॅर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) द्वारा मार्च में कराए गए किए गए गुणवत्ता परीक्षण में 60 दवाइयां फेल हो गई हैं। सीडीएससीओ राष्ट्रीय ड्रग नियामक एजेंसी है जिसने इन दवाइयों का नमूना आधारित स्क्रीनिंग के तहत गुणवत्ता परीक्षण किया था। इनमें दर्द निवारक के रूप में लिए जा रहे कॉम्बिफ्लेम, ऐंटी-कोल्ड मेडिसिन डी कोल्ड टोटल, ऐंटी-अलर्जिक सेटिरीजिन और वे ऐंटीबायॉटिक्स सिप्रोफ्लॉक्सेसिन और ओफ्लॉक्सेसिन शामिल हैं।

सीडीएससीओ ने अपनी रिपोर्ट में इन्हें घटिया दर्जे का बताया है। सीडीएससीओ ने मार्च में अपने सेफ्टी बुलेटिन जारी किया था। जिसमें इनका जिक्र करते हुए कहा है कि ये दवाइयां मापदंडो पर खरी नहीं उतरी हैं। बुलेटिन में बताया गया है कि ये नकली, मिलावटी हैं और इनकी गलत ब्रांडिंग की गई है। कॉम्बिफ्लेम और डी-कोल्ड के टेबलेट खराब पाए गए हैं जबकि सिप्रोफ्लॉक्सेसिन और ओफ्लॉक्सेसिन में दवाई के जरूरी तत्वों की मात्रा मापदंड के अनुरूप नहीं पाई गई। परीक्षण में खरी न उतरने वाली दवाओं के नाम और इसकी वजह सीडीएससीओ ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया है।

Updated : 23 April 2017 12:00 AM GMT
Next Story
Top