आॅस्ट्रेलिया में दौड़ेगी भारत में बनी मेट्रो ट्रेन

नई दिल्ली| जल्द ही आॅस्ट्रेलिया में दौड़ने वाली मेट्रो पर लिखा होगा 'मेड इन इंडिया'। मिडिल ईस्ट और एशिया के कई और देशों में भी भारत में बनी मेट्रो चलेगी। दरअसल भारत में प्लांट लगाकर मेट्रो का निर्माण करने वाली कंपनी अलस्टोम और बम्बार्डियर इंक ने अब यहीं से दूसरे देशों में भी मेट्रो निर्यात का फैसला किया है।
भारत में अर्बन ट्रांसपोर्टेशन के बढ़ते बाजार को देखकर फ्रांस और कनाडा की इन मल्टीनैशनल कंपनियों ने 2008 और 2010 के बीच देश में मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग आॅपरेशंस की शुरूआत की। अब ये कंपनियां दूसरे देशों से मिल रहे आॅर्डर की पूर्ति भी भारत से ही करेंगी। अलस्टोम और बम्बार्डियर यहां के इंजिनियर्स और सस्ते कुशल श्रमिकों का इस्तेमाल करते हुए उसी तरह आगे बढ़ना चाहती हैं, जिस तरह फोर्ड और हुंडई मोटर्स जैसी कंपनियों ने देश को आॅटो हब बनाने में मदद की। असस्टोम इंडिया और साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर भारत सलहोत्रा ने बताया, 'आॅस्ट्रेलिया में सिडनी कंपनी का पहला प्रॉजेक्ट होगा। यहां कोच बनाकर सिडनी भेजे जाएंगे। भारत के साथ बने रहेंगे, ना सिर्फ भारतीय बाजार के लिए बल्कि विदेशी बाजारों के लिए भी।'
उन्होंने बताया कि अलस्टोम सिडनी के आॅर्डर को साउथ इंडिया में बने अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से पूरा करेगा। कंपनी मिडिल ईस्ट और साउथ ईस्ट एशिया पर भी फोकस कर रही है। भारत में कंपनी के मुख्य प्रतिनिध हर्ष धींगड़ा ने बताया कि बम्बार्डियर ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग पर 33 मिलियन यूरो का निवेश किया है और इसके पास आॅस्ट्रेलिया के लिए 450 मेट्रो रेल कोच के अलावा ब्राजील, आॅस्ट्रेलिया और सऊदी अरब में पार्ट्स भेजने का आॅर्डर है।
कंपनी मैन्यूफैक्चरिंग गुजरात में करती है और ट्रांसपॉर्टेशन-इंजिनियरिंग सर्विस सेंटर गुरुग्राम में है। हर्ष धींगड़ा ने कहा, 'हम इस क्षेत्र के अलावा दूसरे देशों में निर्यात की संभावना भारत से ही तलाशते रहेंगे। भारत में निर्माण करना सस्ता है। इसलिए हम भारर से निर्यात कर रहे हैं।'
भविष्य का रास्ता
भारत में कम से कम 10 शहरों में मेट्रो प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है। सरकार ने 1012 में 20 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में मेट्रो की संभावना तलाशने की बात कही थी। प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स के मनीष अग्रवाल बताते हैं कि भारत में अभी 50000 करोड़ रुपये के मेट्रो प्रॉजेक्ट्स पर काम जारी है और इस आंकड़े में वृद्धि तय है। इसलिए कंपनियां इंडिया में निर्माण करना चाहती हैं।