राष्ट्रपति ने कहा, वह दिन दूर नहीं जब दुनिया की 5 टॉप इकॉनोमी में होगा भारत
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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि वह दिन दूर नहीं जबकि संपूर्ण मूल्य के लिहाज भारत दुनिया की पांच टॉप अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा और भविष्य में देश की सार्वजनिक कंपनियों में कई नए सुनहरे पन्ने जुड़ेंगे। यहां सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शीर्ष संगठन स्कोप के पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने 1956, 1973, 1980 व अंतत: 1991 में लाए गए महत्वपूर्ण बदलावों को रेखांकित किया। विशेषकर 1991 में जिसे उदारीकरण युग की शुरूआत माना जाता है और जिसके परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं के द्वार खुले और आज वह उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर उबर रही है।
राष्ट्रपति ने कहा- वह दिन दूर नहीं जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था कुल मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीसरे, चौथे या 5वें नंबर पर होगी। उन्होंने कहा कि क्रय क्षमता के लिहाज से तो भारतीय अर्थव्यवस्था पहले ही तीसरे स्थान पर है। मुखर्जी ने पूरा विश्वास जताया कि भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की गाथा अभी खत्म नहीं हुई है बल्कि यह धीरे-धीरे सामने आ रही है और आने वाले वर्षों में कई और सुनहरे पन्ने इसमें शामिल होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि उनके बारे में यह धारणा कि ‘वह उस प्रणाली के निकले हैं जिसका सार्वजनिक क्षेत्र में पूरा भरोसा था’ ठीक नहीं होगा, क्योंकि मंत्री के रूप में मेरा 35 साल का कार्यकाल समान रूप से उदारीकरण पूर्व व उदारीकरण के बाद के युग में बराबर-बराबर बंटा है। भारी उद्योग और लोक उप्रकम मंत्री अनंत गीते ने कहा कि बीते कुछ साल में देश के सार्वजनिक उप्रकमों को चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार उन केंद्रीय कंपनियों (सीपीएसई) को बंद करने का कड़वा फैसला कर रही है जो कि चलने में सक्षम नहीं ताकि जनता के पैसे का इस्तेमाल उनकी खुद की प्रगति में किया जा सके। संस्थागत श्रेणी में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम, नाल्को, मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन लिमिटेड, ओएनजीसी विदेश लिमिटेड, ईसीआईएल और जीएसएल को तथा अलग-अलग क्षेत्रों में अच्छे काम के लिए एचपीसीएल, पीएफसी, एचएएल, वापकोस, नाल्को, आरईआईएल, सेल, आरइईसी, गेल और एनटीपीसी को स्कोप अवॉर्ड प्रदान किया गया।