पत्नी का खाना नहीं बनाना क्रूरता नहीं: सुप्रीम कोर्ट

पत्नी का खाना नहीं बनाना क्रूरता नहीं: सुप्रीम कोर्ट
X

नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि पति के परिजनों के प्रति सम्मान नहीं दिखाना और घर में खाना बनाने के बजाय बाहर से खाना मंगाने के लिए कहना पति के प्रति क्रूरता नहीं हो सकती। इसे तलाक का आधार नहीं बनाया जा सकता।

सर्वोच्च अदालत ने यह कहते हुए पति को मिली तलाक की डिक्री को रद्द कर दिया। साथ ही, उसे आदेश दिया कि वह पत्नी के साथ रहे और दांपत्य अधिकारों का निर्वहन करे। जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस एएम सप्रे की पीठ ने बुधवार को दिए एक फैसले में यह व्यवस्था दी। कोर्ट ने कहा, पति सरकारी विभाग में केयरटेकर है। उन्हें अपने परिवार का रखवाला भी बनना चाहिए, जो उनका प्राथमिक कर्तव्य है। लेकिन साथ में वह सरकारी ड्यूटी भी करें, जो परिवार को चलाने के लिए आय का स्रोत है।

कोर्ट ने तलाक रद्द करते हुए फैसले में कहा कि पति ने क्रूरता के नौ आधार बताएं हैं, जिनमें न तो कोई तारीख है और न ही कोई विशेष विवरण। पति ने कहा है कि पत्नी उसके परिजनों का सम्मान नहीं करती। ससुराल में जाने पर उसे अकेला छोड़ देती है और खाने के लिए भी नहीं पूछती। घर में वह खाना नहीं बनाना चाहती और बाहर से खाना मंगाने के लिए जोर देती है।


Next Story