बिना अनुभूति के ज्ञान प्राप्त नहीं होता: कानिटकर

ग्वालियर| भारत में अनुभूति को ही ज्ञान माना जाता है। बिना अनुभूति के ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता। जिसको अनुभूति होती है उसे ही शोध कहते है। यह बात बुधवार को भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा सिटी सेंटर स्थित एमपीसीटी महाविद्यालय में पुनरूत्थान के लिए अनुसंधान विषय पर आयोजित चर्चा सत्र में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने मुख्यवक्ता के रूप में कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय शिक्षण मण्डल के राष्टÑीय संयुक्त महामंत्री उमाशंकर पचौरी ने की। मंच पर नगर अध्यक्ष गोपी मंधान व एमपीसीटी महाविद्यालय के सचिव नरेन्द्र धाकरे उपस्थित थे। इस मौके पर महाविद्यालय की छात्रा द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। तत्पश्चात योगिनी तांबे द्वारा ध्येय गीत की प्रस्तुति दी गई। अतिथियों का परिचय मध्यभारत प्रांत के प्रांत सहमंत्री पंकज नाफड़े ने दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री पचौरी ने भारतीय शिक्षण मंडल का परिचय दिया। कार्यक्रम में श्री कानिटकर ने कहा कि अनुसंधान देश के पुनरुत्थान के लिए उपयोगी होने चाहिए। पीएचडी और विशेष डिग्रियों के लिए होने वाले शोध और अनुसंधान महज दिखावा बनकर रह गए हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि आॅटोमोबाइल इंजीनियर की अगर कार खराब हो जाए तो वह अपनी कार को खुद ठीक नहीं कर पाएगा। वह कार का डिजाइन तो तैयार कर लेगा, लेकिन वह अपनी कार को आठवी फेल मैकेनिक के पास ले जाएगा। जिसके पास सर्टिफिकेट है उसके पास ज्ञान नहीं, जिसके पास सर्टिफिकेट नहीं है उसके पास ज्ञान है। कुछ ऐसी ही दुनिया की शिक्षा व्यवस्था है। उन्होनें कहा कि शोध ऐसा करो जो समाधान देने वाला हो। कट, कॉपी पेस्ट की जगह कुछ नया करने की जरूरत है। देश में शिक्षा का उद्देश्य नौकरी तक ही सीमित है। जबकि शिक्षा का उद्देश्य समग्र होना चाहिए। भारत में अनुभूति को ही ज्ञान माना जाता है। शोध और अनुसंधान के लिए जारी वर्तमान पद्धति प्रभावी नहीं है। राष्ट्रहित में इसका योगदान न के बराबर है। इस मौके पर प्राध्यापकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का जबाव भी श्री कानिटकर ने दिया। कार्यक्रम का संचालन स्वाति पेंडसे ने किया। जबकि आभार व्हीएम सहाय ने व्यक्त किया।
गुरु शब्द को अंग्रेजी में अनुवादित नहीं किया जा सकता
प्रशिक्षण प्राप्त गाइडों के मिले प्रमाण-पत्र
अंग्रेजी का शब्द गाइड बड़ा गंभीर शब्द है। संस्कृत के शब्द गुरु को अंग्रेजी में अनुवादित नहीं किया जा सकता। सबसे करीब का शब्द गुरु के लिए गाइड है। जब मास मुल्ला से कहा कि गुरु शब्द को अंग्रेजी में क्या कहोगे तो उसने तीन शब्द दिए, फें्रड, फिलोस्पर, गाइड, जो मुहावरा बन गया। ये तीनों बातें जिसमें होती हैं, उसे भारत में गुरु कहा जाता है, तो आप लोग एक तिहाई गुरु हैं। कम से कम एक तिहाई गुरुतत्व आप लोगों के अंदर होना चाहिए। ऐसा प्रमाण प्रत्र संस्थान द्वारा आप लोगों को प्राप्त हो रहा है। यह बात बुधवार को आईआईटीटीएम में आयोजित हुए छह माह के क्षेत्रीय गाइड प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रमाण पत्र वितरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने प्रशिक्षिणर्थियों से कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ. संदीप कुलश्रेष्ठ ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे एवं भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर उपस्थित थे।
इस मौके पर श्री कानिटकर ने कहा कि गाइड जिसे शिक्षक व मार्गदर्शक भी कहते हैं। गाइड लोगों को रास्ता बताता है, इसलिए आप लोग भी भारत को पहचानें और लोगों को भारत के बारे में बताएं। जो चीज विदेशों में नहीं है, वह हमारे हिन्दुस्तान में हैं और हम लोग बहुत भाग्यवान हैं, जो हमने भारतवर्ष में जन्म लिया है। विकसित देशों में सबसे बड़ी समस्या यह है कि वहां लोगों को नींद नहीं आती है। विदेशियों में जो खुशी होती है, वह कॉस्मेटिक होती है। हम लोग बहुत भाग्यशाली हैं। हमारे यहां लोगों में अभी भी खुशी है। लोग आज भी अपने परिवार से साथ रहते हैं। उन्होंने कहा कि विदेशियों ने जिस तरह अपनी संस्कृती को संभाल कर रखा है। ठीक उसी तरह हमें भी अपनी संस्कृति को संभाल कर रखना चाहिए। उन्होंने आव्हान करने हुए कहा कि मैं कभी भी विदेश नहीं गया, लेकिन मैंने सुना है कि दुनिया की सबसे बड़ी विज्ञान लैबोरेट्री सर्न के मुख्यालय में नटराज की 13 फुट की मूर्ति नृत्य करते हुए लगी हुई है। उन्होंने एक और उदाहरण देते हुए कहा कि वर्ष 2013 में अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में ओवामा के घर से मां सरस्वती की आठ फीट की मूर्ति रखी गई थी, जिससे यह प्रतीत होता है कि विदेशों में हमारे देश के देवी देवताओं को पूजा जाता है। उन्होंने छात्रों को आव्हान करते हुए कहा कि आप लोग बहुत भाग्यशाली हैं, जो आप लोगों को यह प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है। यह इस बात को प्रमाणित करता है कि आप लोग मार्गदर्शन करने के योग्य हो।
विशिष्ट अतिथि अतुल तारे ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पर्यटन मनोरंजन के लिए नहीं है। हम पर्यटन को यात्रा कहते हैं, देशाटन कहते हैं। एक गाइड के रूप में आपका दायित्व होगा कि विश्व के मानचित्र पर भारत की छवि केसी दिखाई जाए। अत: पहले आप स्वयं भारत को जानें, समझें। वहीं लोकेन्द्र पाराशर ने कहा कि देश की शिक्षा प्रणाली ने इतिहास को विकृत किया है। गाइड के रूप में आपको यह समझना होगा, ताकि आप पर्यटकों को ठीक से जानकारी दे सकें। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे निदेशक श्री कुलश्रेष्ठ ने कहा कि संस्थान ने बहुत प्रगति की है। इस संस्थान का नाम गाइड ट्रेनिंग कोर्स की वजह से लिम्बा बुक आॅफ रिकार्ड के लिए भी प्रस्तावित किया गया था। पिछले तीन वर्षों में छात्र-छात्राओं की संख्या डेढ़ गुना बढ़ी है। इस संस्थान में अध्ययनरत लगभग सभी लोगों को नौकरी मिलती है। आप लोग पर्यटक को ठीक से पहचानें व उन्हें संतुष्ट कर भेजें। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा 74 गाइडों को सर्टिफिकेट वितरित किए गए। इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. उमाशंकर पचौरी, मध्य भारत प्रांत के सहमंत्री पंकज नाफड़े, समाजसेवी श्रीमती महिमा तारे उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के डॉ. सौरभ दीक्षित ने एवं आभार प्रदर्शन प्रो. चन्द्रशेखर बरुआ ने किया।
प्राचार्याें एवं विद्यालय संचालकों से मिले महत्वपूर्व सुझाव
भारतीय शिक्षण मण्डल द्वारा शिक्षा नीति में आवश्यक सुधार की दिशा में ग्वालियर शहर के निजी विद्यालयों के संचालकों और प्राचार्यों से उनके सुझाव जाने। शहर के एक होटल में आयोजित बैठक में प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों के प्राचार्यों एवं संचालकों ने शिक्षानीति में सुधार को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। बैठक में शिक्षण मण्डल के राष्टÑीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर सहित अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे। बैठक के बाद इसी स्थान पर भारतीय शिक्षण मण्डल के स्थानीय पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं की बैठक भी आयोजित हुई, जिसमें एमपीसीटी महाविद्यालय में हुए चर्चा सत्र और निजी विद्यालय संचालकों से प्राप्त सुझावों को साझा कर कार्यकर्ताओं से उनके विचार जाने गए।
तीन महिलाओं का किया सम्मान
अंतराष्टÑीय महिला दिवस के अवसर पर कार्यक्रम में तीन ऐसी महिलाओं को सम्मानित कर सर्टिफिकेट दिए गए, जिन्होंने संस्थान से छह माह का प्रशिक्षण प्राप्त किया है।