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जम्मू कश्मीर में पिछले वर्ष 2016 में करीब 88 युवकों ने अपनाया आतंकवाद का रास्ता

जम्मू कश्मीर में पिछले वर्ष 2016 में करीब 88 युवकों ने अपनाया आतंकवाद का रास्ता
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नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में पिछले वर्ष युवकों द्वारा आतंकवाद का रास्ता अपनाने के आंकडे में काफी इजाफा हुआ है। जम्मू कश्मीर में पिछले वर्ष 2016 में करीब 88 युवकों ने आतंकवाद का रास्ता अपना लिया। वर्ष 2010 के बाद यह सबसे बडा आंकडा है। साथ ही वर्ष 2016 में कश्मीर में हिंसा की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। आंकडों के अनुसार पिछले वर्ष जुलाई से सितंबर माह के बीच हिंसा की 2100 से ज्यादा घटनाएं हुई। वहीं वर्ष 2016 में कानून व्यवस्था से जुडी कुल 820 घटनाएं दर्ज की गई।

गौरतलब है कि हिजबुल के आतंकी बुरहान वानी को सुरक्षादलों ने 8 जुलाई को एक एनकाउंटर में मार गिराया था। इस घटना के बाद घाटी में हिंसा फैल गई थी। मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्र के लिखित जवाब में गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने बताया कि वर्ष 2015 में 66, 2014 में 53, 2013 में 16, 2012 में 21, 2011 में 23 जबकि 2010 में 54 कश्मीरी युवकों ने हिंसा का रास्ता अपनाया।

वर्ष 2014 के बाद युवाओं के आतंकवाद का रास्ता अपनाने के मामले में कमी आई थी लेकिन पिछले साल बुरहान वानी की मौत और घाटी में फैली अशांति के बाद जिहादियों की भर्ती में वर्ष 2010 के मुकाबले 55 फीसदी इजाफा देखने को मिला। अहीर ने बताया कि युवाओं को आतंक की राह पर जाने से रोकने के लिए बेहतर पुलिस-पब्लिक तालमेल के अलावा खेल प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही कश्मीरी युवाओं के लिए आकर्षक योजनाएं भी लाई जा रही हैं।

स्थानीय युवाओं के लिए उडान और हिमायत जैसे कार्यक्रमों के जरिए नौकरियों के रास्ते खोले जा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि बुरहान वानी कश्मीरी युवाओं के बीच और इंटरनेट पर काफी लोकप्रिय था। बुरहान वानी के फेसबुक पोस्ट स्थानीय युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय थे।

Updated : 22 March 2017 12:00 AM GMT
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