इस विधायकी नहीं, जनसेवा से तय होगी आगे की राजनीति

इस विधायकी नहीं, जनसेवा से तय होगी आगे की राजनीति
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-उप्र में विकास के नए रास्ते तैयार करेगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली
-राजनीतिक संघर्ष में उलझने की बजाय जनसंवाद बनेंगे विकास मंत्र
आगरा/मधुकर चतुर्वेदी। भारतीय संस्कृति का हृदयस्थल अगर कोई है तो वह उत्तर प्रदेश है। श्रीराम-कृष्ण की भूमि में नर्तन-गान, धर्म-दर्शन से लेकर राजनीति तक, जीवन का वह कौन का हिस्सा है जिस पर यहां बहने वाली गंगा, यमुना, सरयू व गौमती के जल की बूँद ना पड़ती हो। लेकिन आजादी के बाद से प्रदेश में रहने वाली जनता इन पुण्यकारी सलिलाओं की मिठास का अनुभव नहीं कर पा रही थी। क्योंकि यह बूंदें वर्षो से भष्ट्राचार, भाई-भतीजावाद और जातिवाद के साथ राजनीति दुराग्रह में भयंकर प्रदूषित हो चुकी हैं। चूंकि भारतीय प्रकृति में अपने को स्वछंद बनाने का गुण विद्यमान है और वर्षो बाद यह गुण उप्र में भाजपा को मिले सर्वसमाज के जनादेश से प्रकट हुआ है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह जनादेश केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभी तक के कार्यकाल को देखकर जनता द्वारा विधायकी की धारणा को तोड़ जनप्रहरी की भावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए दिया गया है।
दरअसल आजादी मिलने के बाद के वर्षों में भारत ने आर्थिक और तकनीकी तरक्की की, लेकिन उप्र पिछ़डे राज्यों की श्रेणी में गिना जाता रहा। क्योंकि सरकारों से लेकर मंत्रियों और विधायकों की कार्यशैली से विकास रूपी फल जनता को समान रूप से नहीं मिल पाया, नतीजतन अमीर और गरीब के बीच की खाई और अधिक चैड़ी हुई है और योजनाओं का लाभ कुछेक हाथों में केन्द्रित होे गया। देश शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति कर रहा था तो उप्र में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर की शिक्षा की उपेक्षा हो रही थी। सड़कों पर लालबत्ती की आवाजों के बीच इलाज कराना गरीब तो क्या, मध्यवर्ग के बूते के भी बाहर हो चला था। मजे की बात यह है कि जनता की संवेदनाओं से दूर पांच सितारा जीवन जीने वाले अब यह कह रहें हैं कि गड़बड़ी हमारी नहीं, वोटिंग मशीन की है। अब जनता पूछ रही है कि जब भ्रष्टाचार में वृद्धि होती गई और राजनीति को सेवा का माध्यम के बजाय मुनाफा पैदा करने वाले उद्योग में बदला जा रहा था तब मशीनरी को ठीक क्यों नहीं किया गया।
सूत्रों की मानें तो उप्र में भाजपा सरकार अपने विधायकों को पांच सितारा सुविधाएं तो नहीं, बल्कि टारगेट देने जा रही है और टारगेट भी जनसेवा के लक्ष्यों की प्राप्ति का जिसे उन्हें तय समय में पूरा करना होगा।
केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यप्रणाली ने जिस तरह से महज ढाई साल में अनगिनत उपलब्धियांें द्वारा विश्व के मंच पर भारत की साख बढ़ाई है, उसी से प्रेरित होकर उप्र की सरकार की कोशिश रहेगी कि वह प्रदेश में निवेश को आकर्षित कर जिले भर में रोजगारों का सजृन करे, जिसकी जिम्मेंदारी आपके विधायकों पर रहेगी। जीत के तुरंत बाद भाजपा नेतृत्व ने विधायक को स्पष्ट संदेश भी दे दिया है कि वह राजनीतिक संघर्ष में उलझनें की बजाय क्षेत्र की जनता से निरंतर संवाद स्थापित कर चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करें। जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं अवरुद्ध ना हों।
योग्यता प्रमाणित करों और मंत्री बनों
मथुरा में एक बार पं. दीनदयाल उपाध्याय जी से उनके साथी बांकेबिहारी माहेश्वरी के कहा कि आपको एक चिकित्सकों के सम्मेलन में संबोधन को चलना है तो दीनदयाल ने मना करते हुए कहा कि मित्र मुझे सामान्य जानकारी है लेकिन मैं इस विषय का विशेषज्ञ नहीं। सूत्रों की मानें तो भाजपा नेतृत्व उप्र की नई सरकार में मंत्री बनने योग्य विधायकों के साक्षात्कार कर रहा है। सम्बंधित विभागों के बारे में गहराई से जानकारी, भविष्य की योजनाओं पर पकड़ और रूचि के आधार पर विधायकों को मंत्री पद दिने की तैयारी है।
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