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जंगल में रखा मिला पांच ट्रक फर्शी पत्थर

जंगल में रखा मिला पांच ट्रक फर्शी पत्थर
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मौके पर ही किया नष्ट अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

ग्वालियर| वन विभाग ने गुरुवार को सोनचिरैया अभयारण्य में खनन माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। अभयारण्य के अंतर्गत डांडा खिड़क और महुआखेड़ा के जंगल में रखे मिले करीब पांच ट्रक फर्शी पत्थर को जब्त कर मौके पर ही तोड़-फोड़कर नष्ट कर दिया गया। जब्त फर्शी पत्थर की कीमत करीब सात लाख रुपए बताई गई है।

जानकारी के अनुसार सोनचिरैया अभयारण्य की गैमरेंज घाटीगांव के अंतर्गत डांडा खिड़क और महुआखेड़ा के जंगल में खनन माफिया ने बड़ी मात्रा में अवैध रूप से उत्खनित पर्शी पत्थर विभिन्न स्थानों पर छिपाकर रख दिया था। माफिया इस पर्शी पत्थर को होली के दौरान परिवहन कर बामौर भेजने की फिराक में थे, लेकिन गुरुवार को इसकी सूचना मुख्य वन संरक्षक श्रीमती कंचन देवी तक पहुंच गई। इस पर सहायक वन संरक्षक जी.के. चंद एवं सोनचिरैया अभयारण्य के प्रभारी अधीक्षक बी.एस. चौहान के नेतृत्व में आठ वाहनों के साथ 68 अधिकारी व कर्मचारियों को कार्यवाही के लिए मौके पर भेजा गया, जिनमें गैमरेंज घाटीगांव, गैमरेंज तिघरा, घाटीगांव उत्तर तीन रेंजों का स्टाफ और 14 बंदूकधारी एसएएफ व आर्मी के सेवानिवृत्त जवान शामिल थे।

बताया गया है कि वन विभाग का भारी बल जब डांडा खिड़क और महुआखेड़ा के जंगल में पहुंचा तो माफिया के लोग भाग खड़े हुए। इस दौरान 10 से 12 अलग-अलग स्थानों पर गड्ढों में छिपाकर रखा गया करीब पांच ट्रक (36 घनमीटर) फर्शी पत्थर रखा मिला, जिसे जब्ती में लेकर मौके पर ही नष्ट कर दिया गया। मौके से फर्शी पत्थर के खनन में उपयोग किया जाने वाला करीब 15 हजार रुपए कीमत का सामान भी बरामद किया गया। इस मामले में वन विभाग ने अज्ञात लोगों के खिलाफ वन अपराध भी दर्ज किया है।

वन कर्मचारियों को रिकवरी का भय
सोनचिरैया अभयारण्य में एक ही दिन में इतनी बड़ी मात्रा में अवैध फर्शी पत्थर जब्त होने से मैदानी वन कर्मचारियों को रिकवरी का भय सता रहा है क्योंकि अब सवाल यह उठेगा कि माफिया के लोगों ने इतनी बड़ी मात्रा में फर्शी पत्थर का खनन कर लिया और कर्मचारी सोते रहे। दरअसल वन क्षेत्रों में अवैध खनन होने पर संबंधित वन क्षेत्र में तैनात कर्मचारी पर रिकवरी निकालकर उससे उतने पत्थर की कीमत वसूल की जाती है, जितना कि पत्थर खनन माफिया द्वारा निकाला गया होता है। सूत्रों की मानें तो इस प्रकार से कर्मचारियों से वसूली करने को लेकर वन विभाग के पास कोई वैध आदेश या निर्देश नहीं हैं, लेकिन वसूली की यह परिपाटी कई सालों से निरंतर चली आ रही है। हालांकि विभागीय वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की इस परेशानी से अनभिज्ञ नहीं हैं कि कम संख्या बल के साथ जंगल में खनन माफिया के खिलाफ कार्यवाही कर पाना मुश्किल है। बावजूद इसके वरिष्ठ अधिकारी स्वयं को बचाने के फेर में अवैध खनन के लिए कर्मचारियों को ही दोषी ठहराकर उन पर रिकवरी निकाल देते हैं।

अवैध खनन रोकने ऐसी ही कार्यवाही की जरूरत
वन विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार सोनचिरैया अभयारण्य की गैमरेंज घाटीगांव में डांडा खिड़क व महुआखेड़ा सहित अन्य वन क्षेत्रों में जहां खनन माफिया सक्रिय हैं, वहां घनघोर जंगल है और रास्ते दुष्कर हैं, जहां तक वनकर्मियों का वाहन से पहुंच पाना आसान नहीं है। इसके अलावा खनन माफिया के लोग हथियारों से लैस होते हैं। आसपास बसे गांवों के लोग भी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर खनन माफिया की मदद के लिए आगे आकर वनकर्मियों पर हमला कर देते हैं। ऐसे में वन विभाग के दस-बीस कर्मचारियों के लिए खनन माफिया के खिलाफ कार्यवाही कर पाना आसान काम नहीं है। मैदानी कर्मचारियों का कहना है कि खनन माफिया को यदि सख्ती से रोकना है कि तो आज जैसी ही कार्यवाही करने की जरूरत है और इसके लिए उतने ही बल की जरूरत है, जितना कि बल आज कार्यवाही के लिए मौके पर भेजा गया था।

इनका कहना है
‘‘डांडा खिड़क और महुआखेड़ा के जंगल से आज करीब सात लाख रुपए कीमत का पांच ट्रक फर्शी पत्थर जब्त किया गया है। इस प्रकार की कार्यवाही आगे भी जारी रहेगी। चूंकि फर्शी पत्थर जब्त हो चुका है, इसलिए मेरे विचार से संबंधित वन क्षेत्रों के कर्मचारियों पर रिकवरी नहीं निकाली जाना चाहिए।’’

जी.के. चंद
सहायक वन संरक्षक, ग्वालियर

Updated : 10 March 2017 12:00 AM GMT
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