याचिका पर उच्च न्यायालाय ने दिया स्थगन, त्रिशला माता मंदिर में नहीं होगी तुड़ाई
ग्वालियर| किला क्षेत्र स्थित उरवाई घाटी के पास जैन माता त्रिशला अतिशय क्षेत्र मंदिर को अवैध निर्माण मानते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और जिला प्रशासन ने उस पर लाल निशान लगाए थे। इस पर उच्च न्यायालय ने बुधवार को स्थगन आदेश दिया है।
यहां बता दें कि लाल निशान लगाने के विरोध में सुभाषचन्द्र जैन ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की थी। न्यायाधीश शील नागू एवं न्यायाधीश एस.ए. धर्माधिकारी की युगलपीठ में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौरव मिश्रा ने तर्क पेश करते हुए कहा कि जैन अतिशय त्रिशला माता मंदिर किला तलहटी से काफी दूर है। ये 300 मीटर की परिधि में नहीं आता है। इस कारण इसे अतिक्रमण नहीं माना जाए। युगलपीठ ने इसके बाद स्थगन आदेश देकर कहा कि अगली सुनवाई तक जिला प्रशासन और एएसआई उक्त स्थान पर तोड़फोड़ की कार्रवाई न करे।
जिला प्रशासन ने लगाया था लाल निशान:- जानकारी के अनुसार हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और जिला प्रशासन के संयुक्त दल ने उरवाई घाटी, खेड़ापति कॉलोनी और सेवानगर में एक दर्जन से ज्यादा अतिक्रमणों को तोड़ने के लिए लाल निशान लगाए थे। इनमें उरवाई घाटी स्थित जैन अतिशय त्रिशला माता मंदिर को भी अतिक्रमण मानकर तोड़ने के लिए लाल निशान लगाया गया था।
आठवीं शताब्दी का है अतिशय क्षेत्र
इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिवक्ता ने बताया कि उरवाई घाटी पर स्थित मंदिर लगभग आठवीं शताब्दी का है। यह पूरा क्षेत्र केन्द्र सरकार और एएसआई से संरक्षित है। इसके बाद भी इस पर लगातार अतिक्रमण और कब्जा किया जा रहा है। हम उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई में इसके साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे।
शासन ने दिए हैं राष्ट्रीय धरोहरों के सीमांकन के आदेश:- यहां बता दें कि शासन ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश भर में जितनी भी राष्ट्रीय धरोहरों हैं, उनकी जमीन का ब्यौरा दें। वहीं इनकी जमीन पर किसी का कब्जा है तो उसकी सूची बनाकर शासन को दें, लेकिन अतिक्रमण और सीमांकन करना तो दूर एएसआई पहले के 178 अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं कर सका है। अब पीड़ित लोगों ने उच्च न्यायालय में तुड़ाई का विरोध करते हुए स्थगन आदेश लेना शुरू कर दिए हैं।