12 फीसद को एन्डोमेट्रिओसिस और 40 फीसद में बांझपन: डॉ. जयदीप मल्होत्रा

आगरा|बदलते दौर में महिलाओं में एक नई बीमारी एन्डोमेट्रिओसिस तेजी से बढ रही है। भारत में 12 फीसद महिलाएं इसकी शिकार हैं और इसमें से 40 फीसदी बेवजह बांझपन की शिकार हो रही हैं। रविवार को रेनबो हॉस्पिटल में इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन आईएसएआर की मास्टर क्लास में एन्डोमेट्रिओसिस के कारण और इलाज पर चर्चा की गई।
आईएसएआर की यूपी की चेयरमैन डॉ जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि एन्डोमेट्रिओसिस एक तरह की चोकोसिस्ट है जो गर्भाशय की झिल्ली पर होती है। यह गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब और गर्भ के पीछे कहीं भी हो सकता है। इसका कारण पता नहीं है, लेकिन बदलते दौर में वंशानुगत के अलावा तनाव भरी जिंदगी, अनियमित दिनचर्या से बीमारी बढ रही है। यह उम्र के साथ बढती जाती है। इसमें मासिक धर्म के दौरान असनीय दर्द होता है, कई बार यह दर्द पूरे महीने तक बना रहता है। इसके अलावा पीठ में दर्द, कंधों में दर्द और पेशाब में खून आना भी इसका कारण हो सकता है। ये लक्षण हैं, तो नजरअंदान न करें। डॉ कांति बंसल, अहमदाबाद ने बताया कि 12 फीसद को एन्डोमेट्रिओसिस, 40 फीसद में बांझपन की समस्या होती है। आईएसएआर के प्रेसीडेंट डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने एन्डोमेट्रिओसिस पीडित महिला का लाइव ऑपरेशन किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टर को मरीज के हिसाब से यह निर्धारित करना होता है कि उसे सर्जरी की जरूरत है या दवाओं से इलाज संभव हो सकता है। जबकि कई मामलों में ऐसा नहीं होता है।
डॉ निहारिका ने बताया कि इस तरह के केस में इंट्रायुट्रिन इनसेमिनेशन आईयूआई से गर्भधारण कराया जा सकता है। डॉ केशव मल्होत्रा ने अंडाणु के माइटोकांड्रिया छोटा होने पर उसकी एनर्जी कम हो जाती है और इससे भी बांझपन बढ रहा है। इसके लिए अंडाणु को बैंक में सुरक्षित रखा जा सकता है, जिससे गर्भधारण के लिए अच्छे अंडाणु का इस्तेमाल किया जा सके। फोग्सी की उपाध्यक्ष डॉ साधना गुप्ता ने स्वागत किया। मास्टर क्लास में शामिल हुए चिकित्सकों को आईसीओजी की तरफ से दो और एमसीआई की तरफ से चार अंक के लिए प्रमाण पत्र दिए गए। डॉ रजत रे, डॉ संतोष सिंघल, डॉ रिचा सिंह, डॉ नीलम ओहरी, डॉ रजनी पचौरी सहित यूपी के 150 चिकित्सक शामिल हुए।
