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जनसहयोग से ही जलाशयों का संरक्षण संभव

विश्व जलाशय दिवस पर एप्को में राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

भोपाल। जन-सहयोग से ही जलाशयों का संरक्षण संभव है। केन्द्र एवं राज्य सरकार के प्रयासों के अपेक्षित परिणाम जन-सहयोग के बिना संभव नहीं है। यह बात विश्व जलाशय दिवस पर एप्को परिसर में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव डॉ. अमिता प्रसाद ने कही।

उन्होंने सहभागियों से अपील की कि जलाशय के संरक्षण के लिए हर संभव कारगर प्रयास करें। वेटलेंड ( तालाब, जलाशय, झील, पोखर आदि) जीवन के लिए अति आवश्यक है, इन्हें प्रदूषण एवं अतिक्रमण से बचाना होगा।
डॉ. अमिता प्रसाद ने कहा कि वेटलेंड की मानव एवं पशु जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है। इनसे कई पशु-पक्षियों, पौधों एवं मानव समूह का जीवन संचालित होता है। साथ ही वेटलेंड भू-जल स्तर बढ़ाने में महत्वूर्ण है। प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वेटलेंड के संरक्षण के लिए योगदान अवश्य दें। उन्होंने कहा कि सभी प्रचार माध्यमों का उपयोग कर जन-जागरूकता लाई जाये।

वर्तमान में नियम भी हैं विशेषज्ञ भी हैं और कार्यकर्ता भी हैं। आवश्यकता केवल कार्य में प्रगति लाने की है। डॉ. प्रसाद ने बताया कि विश्व के लगभग 170 देशों में विश्व जलाशय दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।

डॉ. प्रसाद ने सिंहस्थ में आयोजित वैचारिक महाकुंभ के दौरान क्षिप्रा के जल की गुणवत्ता सुधारने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। प्रमुख सचिव नगरीय विकास, आवास एवं पर्यावरण श्री मलय श्रीवास्तव ने कहा कि जलाशय संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा चौतरफा प्रयास किए जा रहे हैं। 'नमामि देवि नर्मदे'' अभियान देश ही नहीं विश्व का अनूठा एवं कारगर प्रयास है। इस अभियान से जन-समूह एवं विभिन्न संगठन स्वेच्छा से जुड़ रहे हैं।

Updated : 3 Feb 2017 12:00 AM GMT
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