पहाडिय़ों पर बन गई कालोनियां व नर्सिंग होम

नगर निगम की जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जे
झांसी। शहर के चारों तरफ बड़ी-बड़ी इमारतें बनती जा रही हैं। इन इमारतों के नीचे लगभग 10 से 15 फुट के करीब बेसमेन्ट भी बनाये जा रहे हैं और इन बेसमेन्टों में मार्केट तैयार की जा रही है। जबकि कई जमीनें अवैध रुप से कब्जा कर उन्हें किसी तरह सरकारी दस्तावेजों में तब्दील करके इसका लाभ भूमाफिया उठा रहे हैं। इस मामले में नगर निगम व जेडीए द्वारा कार्यवाही भी चल रही हैं। कई ऐसी जगह हैं जहां की भूमिधर नगर निगम है। लेकिन नगर निगम को खुद कोई जानकारी नहीं है कि उक्त जमीन उनकी सीमा के अंतर्गत है।

नगर निगम से जुड़े 15 गांव नगर निगम में आने के बाद गांव की बेशकीमती जमीनें तहसील द्वारा आंकलन के अनुसार करोड़ों रुपये की हो गई हैं और इन करोड़ों रुपये की सांठ-गांठ करके क्षेत्र के रहने वाले कुछ ताकतवर लोग जमीनों की हेराफेरी कर इन्हें लाखों रुपये में बेच रहे हैं। जमीनों का कारोबार नोटबंदी के कारण थम सा गया है। हालांकि सरकार ने 50 हजार से अधिक की रकम पाये जाने पर अपना शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। इससे जमीन की हेराफेरी करने वाले शांत होकर बैठ गए हैं।

शहर की लगभग 10 किलोमीटर की परिधि में कई ऐसी बेशकीमती जमीनें खाली पड़ी थी और इन जमीनों पर आज कालोनियों का निर्माण हो गया। आखिरकार पहाड़ों को भी बेचने वाले लोग खड़े हो गए। कई नगर निगम की चुगियां आज लोगों के कब्जे में हैं। इस तरह से सरकारी भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों को नगर निगम व जेडीए द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। कई कालोनियों के निर्माण हो गये हैं और इन कालोनियों के जेडीए द्वारा नक्शे पास नहीं हैं। जबकि नगर निगम का फरमान है कि खाली प्लाट पर भी टैक्स देना होगा। कई ऐसी जमीनें हैं जिसको जालसाज लोगों ने बेच डाली हैं। बेचने के साथ-साथ नगर निगम में भी उनका दर्जीकरण हो गया। लेकिन बाद में इस मामले की तह तक पहुंचा गया तो पता चला कि उक्त जमीन नगर निगम की थी। इस तरह का मामला 2013-14 में लहरगिर्द में देखने को मिला। जहां पर लोगों ने मकान, गोदाम बना लिये थे, लेकिन जब इसकी शिकायत हुई तो नगर निगम की टीम ने जेसीबी मशीन से उन गोदामों व दुकानों को ध्वस्त किया।

शहर के लक्ष्मी तालाब की 185 एकड़ जमीन में 85 एकड़ जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा हो गया था। जिसको कब्जा मुक्त कराया गया। लेकिन आज भी उक्त जमीन मैदान के रुप में खाली पड़ी है। जिसकी फैशिंग नगर निगम द्वारा नहीं करायी गई। मेडिकल के पास कैमासन की टोरिया जो वर्षों पुरानी पहाड़ी के रुप में हैं। जहां आज बड़ी-बड़ी इमारतें व नर्सिंग होम बन रहे हैं। इन पहाडिय़ों को बेचने वाले कुछ जालसाज लोग करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। जबकि प्रशासन द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

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