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जब पं. रविशंकर ने बजाया था आधी रात से सुबह तक सितार

जब पं. रविशंकर ने बजाया था आधी रात से सुबह तक सितार
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यादों में तानसेन समारोह

-प्रशांत शर्मा
तानसेन संगीत समारोह में समय के साथ-साथ काफी बदलाव आया है। वर्षों पहले यह आयोजन घरेलू जैसा नजर आता था, लेकिन अब प्रोफेशनल हो गया है। शास्त्रीय गायक प्रो. स्मिता सहस्त्रबुद्धे ने तानसेन समारोह को लेकर अपनी स्मृतियां ताजा करते हुए बताया कि इस समारोह में पहले की अपेक्षा काफी बदलाव आया है। चयन प्रक्रिया से लेकर आयोजन के स्वरूप में भी निरंतर परिवर्तन आता गया।

दो दशक पहले के तानसेन समारोह को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उस समय विश्व विख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर तानसेन समारोह में प्रस्तुति देने आए थे। वह एक ऐसा क्षण था, जो सभी संगीत रसिकों को हमेशा याद रहेगा। उस समारोह में पंडित रविशंकर का सितार सुनने के लिए संगीत रसिकों में ऐसी दीवानगी थी कि कार्यक्रम में रात 2.30 बजे जब पंडित रविशंकर मंच पर प्रस्तुति देने बैठे तो सितार पर उनकी उंगलियां ऐसी जमी कि भोर के छह कब बज गए किसी को पता तक नहीं चला। पंडितजी और श्रोता दोनों ही इस महफिल की शान बने। इस क्षण को मैं आज भी नहीं भूल पाई हूं।

उस समय भीषण ठंड में भी उमड़ती थी भीड़

प्रो. स्मिता सहस्त्रबुद्धे लगभग 35 वर्षों से तानसेन समारोह को सुनती आ रही हैं। उन्होंने बताया कि पुराने समय में भीषण ठंड पड़ने के बाद भी श्रोताओं की अपार भीड़ तानसेन समारोह में कलाकारों को सुनने के लिए उमड़ती थी, लेकिन समय के साथ-साथ अब बहुत कुछ बदल गया है।

Updated : 19 Dec 2017 12:00 AM GMT
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