राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद मप्र कांग्रेस में बदलाव के आसार
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भोपाल। राहुल गांधी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस में भी नई जान डलने के आसार है। लंबे समय से प्रदेश में वनवास काट रही देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस अब मप्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के हरसंभव प्रयास कर रही है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कई अहम बदलाव हो सकते है वहीं लंबे समय से उठ रही प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की मांग पर भी घोषणा की जा सकती है। पार्टी हाईकमान जल्द ही इसका निर्णय ले सकती है।
प्रदेश में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने के लिए कुछ महिनों पहले ही दिल्ली हाईकमान ने मप्र की बागडोर नव निर्वाचित प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया को सौंपी है। जिसके चलते बीते दिनों ही बावरिया ने मप्र के दौरे भी किए और प्रदेश की स्थिति और परिस्थिति को भापकर जानकारी हाईकमान को दी। बावरिया प्रदेश में कांग्रेस के गिरे स्तर को उठाने के लिए लगातार प्रयासरत है। माना जा रहा है कि बैकफुट पर आ चुकी कांग्रेस अब बावरिया के सहारे किनारे को पार लगाएगी। जल्द ही मप्र में नए संगठन का विस्तार किया जाएगा। राहुल गांधी के अध्यक्ष बननेे के बाद मप्र कांग्रेस कमेटी में संगठन विस्तार का रास्ता साफ हो गया है। इसमें संभागीय समन्वयक की भूमिका सबसे मजबूर बनेगी और कांग्रेस पार्टी एक नए रूप में उभरकर सामने आएगी।
आपकों बता दे कि बावरिया राहुल गांधी के बेहद पसंदीदा और करीबी माने जाते है। इसलिए माना जा रहा है कि आगामी चुनाव में राहुल के सहयोग से बावरिया मप्र कांग्रेस को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बीते दिनों पार्टी आलाकमान ने बावरिया को मप्र को प्रमोट करने के लिए भेजा था जिस पर वे काफी हद तक सफल भी हुए। इस दौरान उन्होंने चुनाव में युवाओं को मौका देने की बात कही थी। बावरिया ने कहा था कि बुजुर्ग नेता खुद ही पीछे हट जाएं, उन्हें टिकट की आस नहीं रखनी चाहिए, बल्कि संगठन के लिए जुटकर काम करना चाहिए। इससे संकेत मिलता है कि कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे लेकर आएगी।
इस कड़ी में बावरिया ने केरल पैटर्न पर मप्र कांग्रेस कमेटी की जिला कमेटियों में मंडलम और सेक्टर व्यवस्था लागू करने का फार्मूला दिया था जो लागू हो चुका है लेकिन इसमें अभी नियुक्ति नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि राहुल की ताजपोशी के चलते इसमें देरी की गई लेकिन अब राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद इशारा मिलते ही नियुक्तियों का काम शुरू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही नेताओं और कार्यकर्ताओं की आपसी फूट को दूर किया जाएगा। ताकि आगामी चुनाव में पार्टी सत्ता पक्ष का मजबूती से मुकाबला कर सकें।