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पिटे हुए मोहरों से दांव खेल रहे सिंधिया

पिटे हुए मोहरों से दांव खेल रहे सिंधिया
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-29 सेक्टर बनाकर मुंगावली में लगाई चुनाव ड्यूटी

ग्वालियर/विशेष प्रतिनिधि।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुंगावली उप चुनाव में बाहरी नेताओं की ड्यूटी चुनाव जीतने के लिए लगाई है। इसके लिए 29 सेक्टर बनाकर कांगे्रस नेताओं को वहां भेजा गया है। लेकिन इनमें से तमाम चेहरे स्थानीय स्तर पर पिटे हुए हैं, ऐसे में जो नेता स्थानीय स्तर पर जीत हांसिल नहीं कर पाया, वो मुंगावली में क्या कर पाएगा, इसकी चर्चा है।

जानकारी के मुताबिक श्री सिंधिया अपने लोकसभा क्षेत्र गुना शिवपुरी को लेकर बेहद चिंतित रहते हैं, ऐसे में अशोक नगर के मुंगावली और शिवपुरी के कोलारस के उपचुनाव उनके लिए चुनौती भरे हैं, क्योंकि भाजपा ने भी इन दोनों सीटों को प्रतिष्ठा मानते हुए ताकत झौंक रखी है। श्री सिंधिया ने मुंगावली को 29 सैक्टरों में बांटकर दूसरे स्थानों के नेताओं को प्रभारी बनाया है, जिसमें ग्वालियर-चंबल अंंचल के दो दर्जन से अधिक नेताओं को मुंगावली भेजा गया है। इनमें पूर्व विधायक रामवरन सिंह गुर्जर, मोहन सिंह राठौड़, प्रद्युम्न सिंह तोमर, मुन्नालाल गोयल, बृजराज सिंह, राकेश मावई, इमरती देवी, अलबेल सिंह घुरैया, पुनीत शर्मा पप्पन, मोहित जाट, अशोक शर्मा, मीतेन्द्र दर्शन सिंह, किरण खेनवार, विद्यादेवी कौरव, राम सुन्दर उर्फ रामू यादव, देवेन्द्र शर्मा, मीरा शर्मा आदि प्रमुख हैं। इन नामों के बारे में जिला कांगे्रस के पास किसी तरह का लेखा-जोखा या अन्य जानकारी नहीं है, उक्त नेताओं को सीधे महल से फरमान जारी कर मुंगावली भेजा गया है। इनमें अधिकांश चेहरे कोई न कोई चुनाव हारे हुए हैं और भविष्य में टिकिट पाने की उम्मीदों से सिंधिया के प्रति आस्थावान बने हुए हैं। मुन्नालाल गोयल दो बार कांगे्रस से और कई चुनाव जनता दल में रहते हार चुके है, वर्तमान में वे ग्वालियर पूर्व से पुन: दावेदार है। ग्रामीण कांगे्रस अध्यक्ष मोहन सिंह राठौर बसपा में जाकर भितरवार से चुनाव हार चुके, साथ ही पिछले दिनों डबरा नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव की पराजय इनके और डबरा विधायक इमरती देवी सुमन के सिर मढी गई है। रामवरन सिंह गुर्जर मुरार से विधानसभा चुनाव हारे हुए हैं और पिछलीबार ग्वालियर ग्रामीण से रामसेवक बाबूजी को टिकिट मिलने पर इन पर भितरघात के आरोप लगे थे। हाल ही में बड़ी सिफारिश से कांगे्रस के प्रदेश प्रतिनिधि बने पुनीत शर्मा पप्पन वार्ड 35 से अपनी पत्नी को चुनाव नहीं जिता पाए थे। अलबेल सिंह घुरैया भले ही अपनी पत्नी गंगा घुरैया को पार्षद का चुनाव जिता लाए, लेकिन ठेकेदारी में लोकायुक्त जांच और चैक बाउंस के विवादास्पद मामले उनके साथ हैं। मोहित जाट वार्ड 40 से चुनाव हारे हुए है। स्व. दर्शन सिंह के सुपुत्र मीतेन्द्र सिंह राजनीति में प्रवेश कर चुके, लेकिन उनके वार्ड 18 एवं 19 में कांगे्रस को पराजय का सामना करना पड़ा, वहीं उनके पिता भी महापौर चुनाव में लगभग 80 हजार मतों से पराजित हुए थे। बृजराज सिंह भी श्योपुर से विधानसभा चुनाव हारे हुए है।

अशोक शर्मा ग्वालियर विधानसभा से नरेन्द्र सिंह तोमर से बडेÞ अंतर से पराजित हुए थे, उस समय उमा सेंगर का फार्म रद्द हो गया था। देवेन्द्र शर्मा भी कांगे्रस को छोड़ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ चके हैं उनकी पत्नी भी पार्षद का चुनाव हार चुकी है। इस तरह मुंगावली और गुना-शिवपुरी के नेताओं पर भरोसा न कर बाहरी नेताओं को बुलाकर श्री सिंधिया क्या चाहते है, यह कोई नहीं समझ पा रहा। उन्होंने चंदेरी के होटल तानावाना में उक्त नेताओं की बैठक लेकर सभी को सक्रिय बने रहने की हिदायद दी है।

परिहार ने लिखा था पत्र

कांगे्रस की बैठक में जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगने पर दिल्ली में श्री सिंधिया ने डॉ. गोविन्द सिंह से चर्चा में इसे अच्छी बात नहीं बताया था, जिस पर दिग्विजय सिंह समर्थक बृजमोहन परिहार ने उन्हें एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि लोकसभा या अन्य चुनावों में ग्वालियर के नेताओं की ड्यूटी गुना-शिवपुरी में लगाए जाने से ग्वालियर कांगे्रस विहीन हो जाता है और हम हार जाते हैं।

Updated : 4 Nov 2017 12:00 AM GMT
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