दलालों की करामात से बिगड़ा खेल
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ग्वालियर/विशेष प्रतिनिधि। शहर में कर्जा लेकर बैठे कारोबारी किसी का पैसा चुकाने को तैयार नहीं है, इसके पीछे कुछ दलालों की करामात भी सामने आ रही है, जिसमें उन्होंने मूल धनी से तो 80 पैसे अथवा एक रुपए प्रति सैकड़ा ब्याज पर पैसा लिया, लेकिन देनदार से डेढ़ से दो रुपए सैकड़ा तक का ब्याज वसूला, जिससे मामला गड़बड़ा गया। उधर सराफा कारोबारी से सट्टा कारोबारी बने सेठजी शहर में तमाम सम्पत्ति होने के बावजूद पैसा चुकाने को तैयार नहीं है, जिससे इस नामी-गिरामी फर्म की साख पूरी तरह डूब गई है।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों शहर में सूदखोरी का बाजार बुरी तरह दम तोड़ गया हैं, जहां एक आवाज पर लाखों करोड़ों रुपए व्यापारी एक दूसरे को विश्वास के कारण दे देते थे, लेकिन कर्जदारों के रवैये ने इस व्यवहार को दुश्मनी में बदल दिया है। क्योंकि पैसा लेने वाले अपनी बदनामी भूलकर किसी भी कीमत पर उधार लिया पैसा चुकाने को तैयार नहीं है। इसके पीछे बड़ा कारण यह भी सामने आया है कि इस धंधे में उतरे कुछ दलालों ने अपनी जेबें भरने के लिए अनाप-शनाप तरीके से दलाली वसूल की। जिसकी जानकारी पैसा देने वालों को भी नहीं दी और कर्जदार से अपनी मर्जी से पर्चा लिखाकर बीच में ही जबर्दस्त ढंग से गटर-शटर की। इससे उधारी पर पैसा देने का कारोबार दम तोड़ गया है और दलालों से भरोसा उठ गया है। दालबाजार के दो कर्जदार बार-बार पैसा चुकाने की बात तो कर रहे हैं लेकिन मामला लम्बा खिंचने पर एक व्यापारी तो दीपावली के पहले से ही लापता है, वहीं दूसरा व्यापारी पूरा गेम अपनी लड़की के माध्यम से खेल रहा है। जिससे उधार देने वाले व्यापारी बेहद मायूस हैं।
सराफा कारोबारी पर है तमाम सम्पत्ति
कहने को कंगाली का ढोंग अलाप रहे सराफा कारोबारी की करतूतें एक के बाद एक सामने आती जा रही हैं। वह यह कह रहा है कि उसके पास सिर्फ एक मकान है, लेकिन जब पड़ताल की गई तो इनके, इनकी पत्नी और नजदीकी रिश्तेदारों के नाम तमाम सम्पत्तियां सामने आई है। जिसमें इन सेठजी के नाम सराफा बाजार में 700, 500, 187,80,88 फीट की पांच अलग-अलग सम्पत्तियों का पता चला है। इसी तरह इनकी पत्नी के नाम गेंडेवाली सड़क पर 3930 फीट का मकान, जीवाजीगंज में 400 फीट का मकान और सराफा बाजार में भी कई सम्पत्तियां है। इनके बेटे के नाम सराफा बाजार में आधा दर्जन से अधिक सम्पत्ति हैं। और तो और इनकी नातिन के नाम हरीशंकरपुरम और सखियाविला झांसी रोड पर दो वेशकीमती सम्पत्तियों का भी पता लगा है। अब यह सम्पत्तियां किस तरह अर्जित की गई, क्या इनका भुगतान चैक से किया गया, यदि भुगतान नगद में हुआ है तो इसकी जांच होना चाहिए। लोगों की मेहनत का पैसा पचाने में लगे सेठजी के बारे में चर्चा हैं कि इस बुढ़ापे में जाकर इन्होंने अपने परिवार की साख पर बट्टा लगा दिया।
खाने वाला पचा नहीं पाएगा: अग्रवाल
चेम्बर के पूर्व अध्यक्ष एवं दाल बाजार के प्रतिष्ठित व्यवसायी गोविंददास अग्रवाल भी बाजार की बिगड़ती दशा से बेहद व्याकुल हैैं। वे कहते हैं कि देने वाला कितना भी परेशान हो सकता है, लेकिन जिसकी मंशा पैसे लेकर पचाने की है, उसे ईश्वर की मार झेलना पडेÞगी, उससे वो कभी नहीं बच पाएगा।