उधार लो, खाओ-पियो मजे करो, यह है कर्जदारों की नीयत

उधार लो, खाओ-पियो मजे करो, यह है कर्जदारों की नीयत
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ग्वालियर/ विशेष प्रतिनिधि। उधार लो, खाओ-पियों और मजे करो। यह शहर के उन नामी- गिरामी धन्ना सेठों की नीयत का हाल है, जिन्होंने जरूरत के वक्त पैसा उधार लिया और जब देने का समय आया तो यह कहकर अंगूठा दिखा रहे हैं कि अब उनके पास कुछ नहीं है। ऐसे में विश्वास के साथ चलने वाला लेनदेन का कारोबार बुरे दौर से गुजर रहा है। इसमें देने वाला परेशान है और लेने वाला न न प्रकार के बहाने बनाकर पैसा डकराने की फिराक में हैं।

शहर में इन दिनों कई सेठ बाजार से लाखों-करोड़ों रुपए ब्याज पर लेने के बाद अब खुद को दीवालिया बताकर पैसा पचाना चाहते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इन लोगों ने पूरी प्लानिंग के साथ इस पैसे को इधर से उधर कर दिया और देने के नाम पर व्यापारियों को परेशान कर रहे हंै। इतना ही नहीं पैसे को अपने नाते-रिश्तेदारों के नाम इन्वेस्ट कर दिया या प्रापर्टी में लगा दिया। चूंकि पैसा देने वालों को यह विश्वास था कि उनका पैसा सेफ है लेकिन कुछ समय से लेनदारों ने इसे न देने के लिए कई तरह के बहाने गढ़ना शुरू किए तो विश्वास टूटने लगा। इसमें लेनदारों की सोची समझी साजिश दिखाई दे रही है, इसमें कर्जदार यह कह रहे हैं कि उन्हें व्यापार में नुकसान हो गया या सट्टे में हार गए। लेकिन इन लेनदारों के पास शहर में बड़ी मात्रा में संपत्तियों है, जिससे पैसा चुकाने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन ऐसा दवाब और माहौल पैदा कर रहे हैं, जिससे उनका काम औने-पौने दामों में हो जाए। यानिकी एक रुपया उधार लेने पर उसे सैटिलमेंट के जरिए 40 पैसे अथवा 50 पैसे में निपटाने की बात की जा रही है। स्वदेश टीम ने जब ऐसे कर्जदारों की फेहारिश्त तैयार कर जांच पड़ताल की तो यह तथ्य सामने आएं हैं कि नजदीकि नातेदार-रिश्तेदार भी जानबूझकर सही हकीकत बयां नहीं कर कहीं न कहीं कर्जदार को बचाने के लिए झूठ सच बोल रहे हैं।

इनके द्वारा कहा तो यह जा रहा है कि फलां ने कितना पैसा किसको कब दिया हमें नहीं मालूम, लेकिन प्रापर्टी में वे हक भी रख रहे हैं। जानबूझकर उन लोगों के साथ छल करने की कोशिश की जा रही हैं जिन्होंने व्यापारिक मदद के नाम पर रकम उधार दी। इनमें दालबाजार, सराफा बाजार और तिल्ली कारोबारियों के मामले उजागर होने के बाद विश्वास का कारोबार पूरी तरह डगमगा गया है। इसमें सराफा बाजार की एक नामी फर्म द्वारा पैसा चुकाने के नाम पर तरह-तरह के आडम्बर किए जा रहे हैं, जबकि यह परिवार एक इशारे पर सबका हिसाब चूकता कर सकता है, लेकिन नजदीकी नातेदार ऐसा शो कर रहे हैं जैसे उस शख्स से उनका कोई नाता तो नहीं है। इसलिए फर्म संचालक भी यह कह रहे हैं कि वो अकेले हैं, सब कुछ डूब गया, एक प्रापर्टी है, उसे बेचकर जो होगा सो करूंगा। दरअसल वे जिस प्रापर्टी की बात कर रहे हैं वह एक बाडेÞ में हैं उसके वे बाजार रेट से कई गुना अधिक दाम मांग रहे हैं, इसलिए तकादेदार यह मान चुके कि इस सेठ की नीयत बदल गई है। और उसके द्वारा जानबूझकर नौटंकी की जा रही है।

धमकी आत्मदाह की

शहर के एक धन्नासेठ करोड़ों की उधारी को सट्टे के कारोबार में गंवाने के बाद अब यह चर्चा जोरों पर फैला रहे हैं, कि उनसे किसी ने पैसे मांगे तो वे आत्मदाह कर लेंगे। यद्यपि उनकी इस धमकी का असर इसलिए भी नहीं हो रहा कि सभी को उनकी अकूत संपत्ति की जानकारी है। धन्नासेठ की इस धमकी से व्यापारी परेशान हैं जो बेचारे ब्याज के लालच में इन्हें पैसा दिए हुए हैं। एक और मजेदार बात यह है कि जो दलाल पैसे लेने देने का काम कर बीच की दलाली खाते हैं वे इस घटना के बाद से बगलें झांक रहे हैं। इन दलालों की साख पर भी बट्टा लग रहा है।

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