परेशान मरीजों ने घेरा मंत्री माया सिंह व जिलाधीश को, सुनाई अपनी पीड़ा

-माधव डिस्पेंसरी में करने पहुंचे थे हैल्पडेस्क का शुभारम्भ
ग्वालियर। जयारोग्य चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं के चलते आए दिन मरीज परेशान होते हैं। मरीजों को उपचार से लेकर छोटी-छोटी जांचों तक के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है, जिसके कई मामले लगातार सामने भी आते हैं। उसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन मरीजों की परेशानी को दूर नहीं करता। इसी के चलते बुधवार को माधव डिस्पेंसरी में हेल्पडेस्क का शुभारम्भ करने पहुंची नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह को भी पीड़ित मरीजों ने घेर लिया और अपनी परेशानी सुनाई। खासगी बाजार निवासी देवी सिंह माहौर ने मंत्री श्रीमती सिंह से शिकायत करते हुए कहा एक दुर्घटना में उनके मुंह में चोट आ गई थी।
जिसके उपचार के लिए वह अस्पताल के दंत रोग विभाग में पहुंचे थे। लेकिन दंत रोग विभाग के चिकित्सक द्वारा उनसे आॅपरेशन के लिए 40 हजार रूपए मांगे जा रहे हैं, जबकि उनके पास दीनदयाल उपचार कार्ड भी है और जब उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया तो चिकित्सक ने उन्हें इंदौर में जाने की बात कह दी। जिस कारण वह परेशान हो रहे हैं। हेल्पडेस्क के शुभारम्भ अवसर पर मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा कि जरूरतमंद मरीजों की मदद करना सबसे बड़ी पूजा है। उन्होंने कहा ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जेएएच समूह में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के मरीज बड़ी संख्या में इलाज के लिये आते हैं। उनकी मदद के लिये हैल्पडेस्क खोलकर जिला प्रशासन ने रेडक्रॉस के सहयोग से सराहनीय पहल की है। हैल्पडेस्क के शुभारंभ अवसर पर जिलाधीश राहुल जैन, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के प्रभारी अधिष्ठाता डॉ. यू.एस. तिवारी, अस्पताल प्रभारी अधीक्षक डॉ. घनयश्याम दास, पुलिस अधीक्षक डॉ. आशीष, सहायक अधीक्षक डॉ. जे.एस. नरवरिया, रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव डॉ. आर पी शर्मा तथा अन्य चिकित्सकगण व मरीजों के परिजन मौजूद थे।
दवा के लिए परेशान न होना पड़े इसके लिए सिस्टम तैयार करें
इसी तरह दवा न मिलने से परेशान मोतीझील निवासी अशोक शर्मा भी जिलाधीश राहुल जैन के पास जा पहुंचा और कहा कि उसे चिकित्सक ने एक लाल पर्ची पर दवा लिख कर दी है। लेकिन दवा स्टोर में दवा न होने पर उसे वापस लौटा दिया गया, जिस कारण वह दवा के लिए परेशान हो रहे हैं। जबकि उनके पास दीनदयाल उपचार कार्ड भी है। जिस पर जिलाधीश ने तत्काल प्रभारी अधीक्षक डॉ. घनश्याम दास व सहायक अधीक्षक डॉ. जे.एस. नरवरिया को बुलाया और निर्देश दिए कि चिकित्सक वही दवा लिखें जो अस्पताल में उपलब्ध है। अगर बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं तो वह दवा गरीब मरीजों को उपलब्ध कराई जाए। दवा न मिलने की परेशानी आए दिन सामने आती है, इसके लिए भी एक सिस्टम बनाया जाए। इस पर सहायक अधीक्षक डॉ. नरवरिया ने तत्काल मरीज की पर्ची पर हस्ताक्षर कर दवा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।