पराली के धुएं से मिलेगी मुक्ति : बायो-एनर्जी बनाएगा पंजाब, लगेंगे 400 प्रोसेसिंग प्लांट

पराली के धुएं से मिलेगी मुक्ति :  बायो-एनर्जी बनाएगा पंजाब, लगेंगे 400 प्रोसेसिंग प्लांट
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धुएं से जल्दी ही मिलेगी मुक्ति

चंडीगढ़। पराली के धुएं को लेकर चली जबर्दस्त राजनीति में अलग ही लीक पकड़ कर चल रहा पंजाब अब पराली से बायो-एनर्जी बनाएगा। इसके लिए 400 प्रोसैसिंग प्लांट लगाए जाएंगे और यह अगले साल से काम भी करना शुरू कर देंगे। पंजाब ने इसके लिए चेन्नई की एक कंपनी से एमओयू साइन कर लिया है।

पराली जलाने के मामले में हरियाणा के साथ-साथ पंजाब पर भी उंगलियां उठी हैं। इस वजह से सबसे ज्यादा असर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर पर पड़ा। स्मॉग के कारण बने दमघोंटू माहौल और सड़क हादसों की घटनाओं के बीच सियासत भी पूरी तरह गर्म हो गई। शुरुआत में दिल्ली, हरियाणा और पंजाब आपस में उलझे और समस्या से निपटने की कवायद भी चली। इसी कड़ी में दिल्ली और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों ने संयुक्त बैठक कर इस समस्या के स्थाई समाधान के लिए रोडमैप बनाया लेकिन पंजाब ने इससे दूरी बनाए रखी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की नजर में इसका हल राज्यों की बजाय केंद्र के पास है और इसी तर्क को आगे कर अमरिंदर सिंह ने चंडीगढ़ आए केजरीवाल से मिलने तक से इनकार कर दिया था।

पंजाब के इस रुख के बावजूद दिल्ली और हरियाणा संयुक्त रूप से काम करने को राजी हुए तो इधर पंजाब ने भी पराली जलाने को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए चेन्नई की एक कंपनी के साथ एमओयू साइन किया। इसके तहत राज्य में पराली से बायो -ऊर्जा बनाने के लिए 400 प्रोसैसिंग प्लांट लगाए जाएंगे।
एमओयू पर पंजाब ब्यूरो आफ इनवेस्टमेंट प्रमोशन के सीईओ आरके वर्मा और न्यूवे के एमडी के. इयप्पन ने साइन किए। इस समझौते के अनुसार यह प्लांट न्यूवे इंजीनियर्ज एमएसडबल्यू प्राइवेट लिमटिड अगले 10 महीनों के दौरान 10 हजार करोड़ रुपए की लागत के साथ लगाएगी। इस परियोजना में सरकार सुविधाएं और पूरा सहयोग देगी। इस प्रोजेक्ट से स्किल्ड व सेमी-स्किल्ड कैटेगरी में करीब 30 हजार लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा।

कंपनी अगले साल पैदा होने वाली तकरीबन 20 मिलियन टन पराली के लिए 400 कलस्टर यूनिट बनाएगी। हर यूनिट की 50,000 टन प्रोसैसिंग क्षमता होगी। प्रत्येक यूनिट रोजमर्रा 150 से 175 टन पराली की प्रोसेसिंग करेगा। पंजाब सरकार प्रत्येक कलस्टर के लिए सात एकड़ ज़मीन अलाट करेगी जिस में से चार से पांच एकड़ जमीन हर साल 50,000 टन पराली की स्टोरेज के लिए इस्तेमाल की जाएगी। इसका रियायती समय 33 साल का होगा। राज्य सरकार इस कंपनी को रियायती दरों पर बिजली मुहैया कराएगी। इसके अलावा नयी औद्योगिक नीति में दीं गई रियायतें भी इसको उपलब्ध करवाई जाएंगी।

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