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जम्मू-कश्मीर : धारा 35ए को निरस्त करने की मांग पर सुनवाई टली

जम्मू-कश्मीर : धारा 35ए को निरस्त करने की मांग पर सुनवाई टली
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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में धारा 35ए को निरस्त करने की मांग करनेवाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि कश्मीर के लिए एक वार्ताकार की नियुक्ति की गई है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि इस याचिका पर छह महीने के लिए सुनवाई टाल दी जाए। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई आठ हफ्ते के लिए टाल दी।

पिछले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने धारा 35ए को चुनौती देने वाली एक याचिका को मुख्य मामले के साथ टैग कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि धारा 35ए से लैंगिक भेदभाव पैदा होता है। जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि कोर्ट इस मामले को सुनवाई के लिए पांच जजों की संविधान बेंच को सौंप सकती है।

याचिका डॉ. चारु वली खन्ना ने दायर की है जो एक कश्मीरी पंडित हैं जिन्होंने अंतर्जातीय विवाह किया है और जम्मू-कश्मीर से बाहर जाकर बस गई हैं। उन्होंने कश्मीर के महाराजा बहादुर के 20 अप्रैल 1927 के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी है जिसमें उस महिला का अधिकार खत्म कर देता है जो पत्नी या विधवा होते हुए राज्य छोड़कर बाहर जाकर बस जाती है।

पिछले 17 जुलाई को दिल्ली की एक एनजीओ वी द सिटिजंस द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख रखने से बचने की कोशिश की थी। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि ये मामला बहुत संवेदनशील है और इस पर बड़ी बहस होनी चाहिए। इसमें संवैधानिक मसले जुड़े हुए हैं| इसलिए इसे बड़ी बेंच को सुनवाई के लिए रेफर कर दिया जाना चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में धारा 35ए को असंवैधानिक करार देने की मांग की है।

Updated : 30 Oct 2017 12:00 AM GMT
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