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रानी घाटी के जंगल में विचरण कर रही है मादा तेंदुआ

रानी घाटी के जंगल में विचरण कर रही है मादा तेंदुआ
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-तीन मवेशियों का कर चुकी है शिकार, दो शावक भी हैं साथ

ग्वालियर।
वन मंडल ग्वालियर के मोहना वन परिक्षेत्र में तेंदुआ की मौजूदगी से आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है। इस वन क्षेत्र में पिछले एक माह से दो शावकों के साथ मादा तेंदुआ विचरण कर रही है। हालांकि उसने किसी ग्रामीण पर हमला नहीं किया है, लेकिन वह तीन पालतू मवेशियों सहित अन्य वन्यजीवों को अपना शिकार बना चुकी है। यह तेंदुआ जंगल से निकलकर गांवों की ओर न जा पाए , इसके लिए वन विभाग के कर्मचारी उसकी सतत निगरानी कर रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्वालियर के जंगलों में यद्धपि तेंदुआ नहीं हैं, लेकिन कभी-कभी समीपवर्ती जिलों विशेषकर शिवपुरी व श्योपुर के जंगलों से विचरण करते हुए तेंदुआ ग्वालियर के जंगलों में आ जाते हैं। बताया गया है कि मोहना वन परिक्षेत्र के अंतर्गत रानी घाटी एवं करहिया के जंगलों में पिछले एक माह से दो शावकों के साथ मादा तेंदुआ विचरण कर रही है, जो ग्रामीणों को कई बार नजर आ चुकी है। विगत एक माह पूर्व इस मादा तेंदुआ ने करहिया में एक गाय और रानी घाटी में गाय के एक बछड़े को अपना शिकार बना लिया था। विगत तीन दिन पूर्व रानी घाटी में उसने एक और गाय का शिकार किया था।

बताया गया है कि ग्रामीणों द्वारा रानी घाटी और करहिया के जंगलों में मादा तेंदुआ की मौजूदगी की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को आए दिन दी जा रही है, लेकिन जब तक वन कर्मचारी मौके पर पहुंचते हैं, तब तक वह अपना स्थान बदल देती है। इसके चलते वन कर्मचारियों को मादा तेंदुआ अब तक एक बार भी नजर नहीं आई है, लेकिन उसके पैरों के निशान और उसके द्वारा किए गए शिकार के अवशेष अवश्य मिले हैं, जिसके आधार पर वन विभाग के अधिकारी मादा तेंदुआ के होने की पुष्टि कर रहे हैं। इसी क्रम में रविवार और सोमवार को भी रानी घाटी के जंगल में मादा तेंदुआ नजर आने की सूचना मिलने पर वन विभाग का अमला ग्रामीणों द्वारा बताए गए स्थान पर पहुंचा, लेकिन तब तक वह वहां से गायब हो चुकी थी।

शावकों के साथ आक्रामक होती है मादा तेंदुआ

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार मादा तेंदुआ शावकों को जन्म देने से पहले अपना स्थान बदलकर सुरक्षित जगह पर पहुंच जाती है और शावकों को जन्म देने के बाद भी वह बार-बार स्थान बदलती रहती है। शावकों की सुरक्षा को लेकर वह अत्यंत आक्रामक भी हो जाती है। ऐसे में वह किसी पर भी हमला कर सकती है। मादा तेंदुआ की इसी प्रकृति को लेकर ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। इधर मादा तेंदुआ और उसके शावकों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग भी संवेदनशील नजर आ रहा है।

Updated : 24 Oct 2017 12:00 AM GMT
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