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सहायक शिक्षिका पर मेहरबान अधिकारी

सहायक शिक्षिका पर मेहरबान अधिकारी
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ग्वालियर। बी.एड. की फर्जी अंकसूची से संविलियन, आदिवासी छात्रावास में 1.30 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता एवं फर्जी मातृत्व अवकाश की दोषी आदिवासी कन्या छात्रावास में पदस्थ महिला सहायक अध्यापिका पर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी इस कदर महरबान हैं कि शासन के आदेशों, नियम, कायदे-कानून को खूंटी पर टांग दिया गया है। शासनादेशों के बावजूद इस महिला शिक्षिका के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि शासन को गलत जानकारियां भेजकर महिला को लगातार उपकृत किया जा रहा है।

2006 में संविदा शाला शिक्षक बनी आदिवासी कन्या छात्रावास घाटीगांव में पदस्थ सहायक अध्यापक अधीक्षिका श्रीमती रंजीता जाटव को बचाने के लिए स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी एवं सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग ग्वालियर ऐढ़ी-चोटी का जोर लगाए हैं। शासन द्वारा इस महिला सहायक अध्यापक का संविदा से अध्यापक संवर्ग में किया गया संविलियन निरस्त कर दिया गया। साथ ही इसकी संविदा नियुक्ति निरस्त कर प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश कलेक्टर को दिए हैं। शासन द्वारा बार-बार कार्रवाई के निर्देश दिए जाने के बावजूद अधिकारियों द्वारा इस महिला सहायक अध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई न कर उसे उपकृत किया जा रहा है।

अधिकारियों की सख्त टिप्पणियों को किया अनदेखा:- वर्ष 2010 में तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने दोषी मानते हुए 15 दिन का वेतन राजसात किया था। इसी प्रकार पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती सूफिया फारूकी ने बी.एड. की फर्जी अंकसूची, फर्जी प्रसूति अवकाश एवं 1.30 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता मामले में दोषी मानते हुए इस महिला को भविष्य में कभी भी छात्रावास में अधीक्षिका नहीं बनाए जाने का आदेश जारी किया था। पूर्व कलेक्टर पी. नरहरि ने भी जारी आदेश में अनियमितताओं का दोषी बताते हुए छात्रावास अधीक्षिका नहीं बनाए जाने की बात लिखी। पूर्व सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग अमरनाथ सिंह द्वारा इस महिला कर्मचारी को अधीक्षक नहीं बनाया। लेकिन वर्तमान सहायक आयुक्त हरीबाबू शर्मा ने यहां पदस्थ होते ही इस महिला कर्मचारी को आदिवासी कन्या छात्रावास घाटीगांव की अधीक्षिका बना दिया। खास बात यह रही कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के आदेशों के अलावा इस महिला सहायक अध्यापक पर कार्रवाई किए जाने संबंधी शासन के आदेशों को भी अनदेखा एवं अनसुना कर सहायक आयुक्त ने इस महिला को अधीक्षक बनाकर उपकृत किया है। शासन के यह आदेश दो शिकायतकर्ताओं द्वारा सहायक आयुक्त श्री शर्मा को स्पीड पोस्ट से भेजे गए, लेकिन वह पत्र नहीं मिलने की बात कह रहे हैं।

विभागीय आयुक्त और सचिव ने लिखे छह पत्र :- आयुक्त आदिवासी विकास

म.प्र. द्वारा कलेक्टर ग्वालियर को 18 फरवरी 2016 को पत्र लिखकर फर्जी बी.एड. अंकसूची जांच उपरांत दोषी श्रीमती रंजीता जाटव की संविदा समाप्त करने एवं एफ.आई.आर. दर्ज कराने हेतु पत्र लिखा है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि श्रीमती रंजीता जाटव संविदा शाला शिक्षक द्वारा बी.एड. की फर्जी अंकसूची के आधार पर अध्यापक संवर्ग में किया गया संविलिन आदेश क्रमांक 3058 दिनांक 18 अक्टूबर 2010 द्वारा निरस्त कर बी.एड. की फर्जी डिग्री प्राप्त किए जाने संबंधी तथ्य सही पाए जाने के बाद इस अपराधिक कृत्य के लिए पुलिस कार्रवाई प्रस्तावित नहीं करते हुए पुन: संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 के पद पर शासकीय आदिवासी कन्या आश्रम घाटीगांव में पदस्थ किया गया है। प्रकरण में आपराधिक कृत्य के लिए नियमानुसार कार्रवाई किया जाना सुनिश्चित करें। इसके बाद आयुक्त आदिवासी विकास ने 18 अप्रैल 2016 को पुन: एक पत्र कलेक्टर को लिखा इसके बाद 9 दिसम्बर 2016 को उपायुक्त आदिवासी विकास मध्यप्रदेश द्वारा कलेक्टर ग्वालियर को पत्र लिखकर सीएम हेल्पलाइन में प्रकरण की आद्यतन स्थिति दर्ज किए जाने का हवाला दिया। इसी प्रकरण को लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग म.प्र. शासन के सचिव बृजेश कुमार ने कलेक्टर डॉ. संजय गोयल को अर्धशासकीय पत्र 14 मार्च 2016 को लिखकर अभिमत मांगा है। इसी प्रकार का दो पत्र सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग म.प्र. शासन द्वारा कलेक्टर संजय गोयल को 27 मई 2016 एवं 5 अगस्त 2016 को लिखे गए। इसके बावजूद इस महिला सहायक शिक्षक के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।

समकक्षके हस्ताक्षर से तैयार की सीआर!

सहायक अध्यापक पद पर संविलियन हेतु इस महिला संविदा शिक्षक की सीआर जनपद पंचायत या जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अथवा सहायक आयुक्त आदिवासी आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा लिखी जाती है। इसके विरुद्ध शासन से की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि बी.एड. की फर्जी अंकसूची से सहायक अध्यापक बनी इस महिला कर्मचारी ने अपने समकक्ष एक अन्य सहायक अध्यापक के फर्जी हस्ताक्षरों से खुद की तीन साल की सीआर लिखवा ली।

अंकसूची के कारण निरस्त हुआ संविलियन

वर्ष 2006 में संविदा शाला शिक्षक पद पर नियुक्त हुई श्रीमती रंजीता जाटव की सीआर सहायक शिक्षक के हस्ताक्षर से होने, जांच में मार्कशीट फर्जी होने सहित अन्य अनियमितताओं की दोषी पाए जाने के बाद संविलियन समाप्त किया गया था। इसके बावजूद वर्ष 2015 में इस महिला कर्मचारी का संविलियन आदेश जारी कर दिया। बताया जा रहा है कि इस महिला कर्मचारी द्वारा 2015 में बी.एड. कर लिए जाने के बाद संविलियन किया गया है। अगर ऐसा भी है तो सवाल उठता है कि पूर्व में की गई अनियमितताओं और धोखाधड़ी में इस महिला शिक्षिका को माफी किस आधार पर दे दी गई।

दस्तावेज भेजें, तुरंत कराऊंगा कार्रवाई: मंत्री

‘आपके माध्यम से अधिकारियों द्वारा जांच में दोषी पाई गई महिला सहायक शिक्षिका को बचाने की बात सामने आई है। अधिकारियों की किसी भी गड़बड़ी और लापरवाही को सहन नहीं किया जाएगा। आप दस्तावेज भेजिए, मैं तुरंत उन अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई कराऊंगा ’


ज्ञान सिंह
मंत्री आदिमजाति एवं अनुसूचित जाति
कल्याण विभाग म.प्र. शासन


इन्होंने कहा

‘फर्जीवाड़ा और वित्तीय अनियमितताएं करने वाली महिला कर्मचारी को हटाने और कार्रवाई के लिए हमारे कार्यालय से लिखे गए पत्रों पर कार्रवाई नहीं हुई यह बात आपके माध्यम से पता चली है। विभाग की वेबसाइट पर हमें वह पत्र भेजिए। पत्रों को देखने के बाद जो दोषी होगा उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। ’


श्रीमती दीपाली रस्तोगी
आयुक्त आदिवासी विकास विभाग म.प्र.


‘आप संबंधित पत्र एवं दस्तावेज सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग को उपलब्ध कराईए। निश्चित ही वह मुझे फाइल भेजेंगे। मैं फाइल देखकर ही संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करूंगा।’

संजय गोयल
कलेक्टर ग्वालियर


‘इस प्रकरण की जांच मुझसे पूर्व मेरे समकक्ष अधिकारी ने की थी। इस प्रकरण की जांच के बाद संबंधित महिला शिक्षिका का संविलियन समाप्त किया जा चुका है। जांच के संबंध में जिला पंचायत की कार्रवाई पूर्ण हो चुकी है। वर्तमान में सहायक अध्यापक पद पर किस तरह पदस्थ हैं, नस्ती देखकर इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।’

नीरज कुमार सिंह
मुख्य कार्यपालन अधिकारी
जिला पंचायत ग्वालियर


‘संविदा शाला शिक्षक श्रीमती रंजीता जाटव के विरुद्ध कार्रवाई हेतु शासन से जारी पत्र जो आपने उपलब्ध कराए हैं, मुझे पहले नहीं मिले थे। मैं पहले इन पत्रों का अध्ययन करूंगा। इसके बाद संबंधित अधिकारियों की जांच रिपोर्ट मंगवाकर अध्ययन करूंगा। कार्रवाई के संबंध में शासन को पत्र लिखकर अभिमत मागंूगा। इसके बाद ही बता पाऊंगा कि संबंधित महिला कर्मचारी पर कार्रवाई की जा सकेगी अथवा नहीं। ’

हरीबाबू शर्मा
सहायक आयुक्त
आदिम जाति कल्याण विभाग ग्वालियर


‘इस मामले में हमारे स्तर से जो कार्रवाई होनी थी, हो चुकी है। शासन से जो भी पत्र हमारे पास आ रहे हैं उनका जवाब दिया जा रहा है।’

ओ.एन.गुप्ता
सीईओ जनपद पंचायत बरई (घाटीगांव)

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Updated : 5 Jan 2017 12:00 AM GMT
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