पुलिस के हाथ आने के बाद 500 किलो चांदी पचा गया गैंग

आगरा। यह अपनी तरह का पहला मामला था। हरीपर्वत की विजय नगर कॉलोनी में आठ साल पहले चांदी कारोबारी की कोठी पर मध्य प्रदेश के पारदी गिरोह ने धावा बोला। बुलेरो में पांच कुंतल चांदी लादकर भाग निकले। पुलिस के हत्थे चढऩे के बावजूद गिरोह पांच कुंतल चांदी पचा गया। खुलासे का दम भरने वाली पुलिस गिरोह से पांच किलो चांदी बरामद करके अपनी पीठ थपथपाती रही। बदमाशों को जेल भेज दिया, लेकिन मुख्य साजिश रचने वाले शातिर का नाम-पता जानने के बावजूद उस तक नहीं पहुंची। कारोबारी की तत्कालीन डेढ़ करोड़ रुपये कीमत की चांदी मिट्टी में मिला दी।

विजय नगर की गेट बंद कॉलोनी निवासी भाइयों राजवीर चौधरी और महेंद्र सिंह चौधरी का किनारी बाजार में चांदी का कारोबार है। दोनों भाई बिसावर, सादाबाद के मूल निवासी हैं। धर्मेद्र सिंह के मुताबिक 27 जून 2009 की मध्य रात्रि कोठी पर धावा बोलकर बुलेरो सवार बदमाश पांच कुंतल चांदी ले गए। कॉलोनी में जगार होने पर कारोबारी ने रिवाल्वर लेकर बदमाशों का पीछा भी किया, लेकिन वे हाथ नहीं आए। राजवीर सिंह ने हरीपर्वत थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। सनसनीखेज घटना पुलिस के लिए पहेली बन गई थी। चोरी ने चांदी कारोबारी भाइयों को आर्थिक रूप से बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया।

पुलिस को गिरोह का सुराग भी इत्तेफाक से मिला। ग्वालियर के एक तत्कालीन आला पुलिस अधिकारी ने टीवी पर चल रही पांच कुंतल चांदी ले जाने की खबर देखी। घटना को अंजाम देने का तरीका शिवपुरी (मध्य प्रदेश) के पारदी गिरोह की तरह था। अधिकारी ने उक्त गिरोह के सदस्यों और उससे जुड़े कुछ लोगों के मोबाइल नंबर आगरा पुलिस को उपलब्ध कराए। इन नंबरों को सर्विलांस पर लिया गया तो शक सही निकला, गिरोह की लोकेशन 27 जून की रात को विजय नगर कॉलोनी में थी। इसके बाद पुलिस ने दबिश देकर गिरोह के दस से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। उनसे पांच किलो से भी कम चांदी बरामद कर सकी। बताते हैं पुलिस के दबिश देने की भनक लगने पर गिरोह चांदी लेकर भाग गया था। पुलिस के हाथ गिरोह के वही लोग आए, जिनके मोबाइल बंद थे। इसके चलते उनको समय रहते सूचना नहीं मिल सकी।

महेंद्र सिंह के मुताबिक पारदी गैंग ने पुलिस को सादाबाद निवासी दिनेश का नाम बताया। दिनेश उनका रिश्तेदार था। मुख्य साजिश उसी ने रची थी। इसके बाद पुलिस ने छानबीन की घटना के तार जुड़ते गए। साजिश में दिनेश के साथ उनका नौकर लोचन सिंह भी शामिल था। दिनेश ने गिरोह को 22 जून को मथुरा रेलवे स्टेशन पर बुलाया। उससे नाम बदलकर मिला, इसके बाद सरगना को साथ लेकर 24 जून को विजय नगर स्थित उनकी कोठी दिखाने आया था। गिरोह ने तीन दिन रेकी के बाद 26 जून को दिनेश के साथ वृंदावन में दोबारा मुलाकात की। अगले दिन गिरोह ने आगरा पहुंच नौकर लोचन सिंह को फोन किया, उसने साजिश के तहत पहले ही चांदी रखने वाले कमरे का ताला खुला छोड़ दिया था।
चांदी कारोबारी के मुताबिक हत्थे चढ़े गिरोह ने पुलिस को बताया था कि उसे सिर्फ 1.82 कुंतल चांदी ही मिली है। बाकी तीन कुंतल से अधिक माल दिनेश ने रख लिया था। खुलासे के बाद कारोबारी भाई तीन महीने तक पुलिस के चक्कर काटते रहे। बाकी माल बरामद करने की गुहार लगाते रहे। उस समय सत्तापक्ष के एक प्रभावशाली नेता की सिफारिश के चलते पुलिस ने दिनेश को नहीं पकड़ा। उसे साजिश में शामिल दिखा आरोप पत्र दाखिल कर दिया। रिश्तेदार का नाम आने से परिवार में भी दिक्कत का सामना करना पड़ा, माल भी हाथ से चला गया। गिरोह बुलेरो में जिस समय चांदी लाद रहा था, कॉलोनी में जगार हो गई। इस पर वह हड़बड़ाहट में 30-35 किलो चांदी गेट पर ही छोड़ गया था। बदमाश चांदी के साथ उनकी सारी डाई और डिजाइन भी ले गए थे।

कारोबारी के मुताबिक बदमाशों द्वारा छोड़ी गई चांदी से ही उन्होंने दोबारा अपना व्यवसाय जमाया। चोरी ने उनके कारोबार को पूरी तरह ठप कर दिया था। बाजार की उधारी न होने के कारण वह दोबारा बाजार में अपनी साख जमाने में सफल रहे।

Next Story