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जब कार्रवाई का साहस ही नहीं तो सूची कैसी?

जब कार्रवाई का साहस ही नहीं तो सूची कैसी?
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अवैध खनन: पहले भी माफिया के जिलाबदर के लिए बन चुकी थी सूची
रासुका और जिलाबदर के लिए माफिया की फिर सूची बन रही है
अधिकारियों का मत: रासुका व जिलाबदर की कार्रवाई संभव नहीं

ग्वालियर।
वन क्षेत्रों में सक्रिय माफिया पर शिकंजा कसने के लिए वन विभाग एक बार फिर रणनीति बना रहा है। एक-एक आदतन वन अपराधी के खिलाफ दर्ज वन अपराधों के आंकड़े एकत्रित कर उन्हें सूचीबद्ध किया जा रहा है। इसके बाद पुलिस और प्रशासन की मदद से इन सूचीबद्ध वन अपराधियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून और जिला बदर जैसी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन वन विभाग ऐसी कोई कार्रवाई कर पाएगा? इसमें संशय है क्योंकि वर्ष 2011 में भी लगभग 31 आदतन वन अपराधियों की ऐसी ही एक सूची तैयार की गई थी, जिस पर आज तक कोई कार्रवाई प्रकाश में नहीं आई है।

ग्वालियर के जंगलों में खनन माफिया के साथ-साथ लकड़ी व भू-माफिया और शिकारी भी सक्रिय हैं। वन विभाग इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए समय-समय पर रणनीति तो बनाता है, लेकिन इच्छा शक्ति के अभाव में हर बार रणनीति असफल हो जाती है। सूत्रों के अनुसार ग्वालियर की तत्कालीन वन मंडल अधिकारी बिन्दू शर्मा ने वर्ष 2011 में अवैध खनन, कटाई, अतिक्रमण जैसे वन अपराधों में संलग्न करीब 31 आदतन वन अपराधियों को सूचीबद्ध किया था। रासुका और जिला बदर की कार्रवाई के लिए यह सूची पुलिस अधीक्षक को भेजी गई थी, लेकिन सूत्रों के अनुसार बाद में वन विभाग ने इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई। इसका परिणाम यह हुआ कि उस सूची का आज तक कोई अता-पता नहीं है।

दोबारा तैयार की जा रही है सूची
सूत्रों के अनुसार वन विभाग एक बार फिर ऐसे वन अपराधियों की सूची तैयार कर रहा है, जो अवैध खनन, कटाई और अतिक्रमण जैसे अपराधों में सक्रिय हैं। ऐसे वन अपराधियों का पुराना आपराधिक रिकार्ड जुटाया जा रहा है। इसके बाद इनके खिलाफ रासुका और जिला बदर जैसी कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। सूत्रों की मानें तो इस संबंध में वन संरक्षक विक्रम सिंह परिहार ने पुलिस अधीक्षक और जिलाधीश से विचार-विमर्श भी किया है।

वर्ष 2011 में इन्हें किया गया था सूचीबद्ध
वन विभाग द्वारा रासुका और जिला बदर की कार्रवाई के लिए वर्ष 2011 में जिन आदतन वन अपराधियों को सूचीबद्ध किया गया था, उनमें वन परिक्षेत्र ग्वालियर के अंतर्गत अवैध खनन करने वाले बलवान सिंह पुत्र रतन सिंह गुर्जर निवासी नयागांव, टाल पर अवैध लकड़ी का क्रय-विक्रय करने वाले आनंद पुत्र दयाराम राजपूत निवासी मुरार, अवैध कटाई करने वाले बेंकट पुत्र अयर खां व पाले खां पुत्र सपात खां निवासी महपुरा, टाल पर अवैध लकड़ी का क्रय-विक्रय करने वाले अतर सिंह पुत्र रतीराम यादव निवासी एम.एच. चौराहा मुरार, घर पर अवैध लकड़ी का क्रय-विक्रय करने वाले उग्रसेन पुत्र रामस्वरूप जैन व अशोक कुमार जैन पुत्र रामस्वरूप जैन निवासी मामा का बाजार लश्कर, अतिक्रमण करने वाले मुन्ना पुत्र गरीबा यादव निवासी सौंसा, छविराम पुत्र ओछा जाटव निवासी जारगा, अवैध कटाई करने वाले चरण सिंह पुत्र सेवाराम यादव निवासी सौंसा, अतिक्रमण करने वाले कदम सिंह पुत्र भंवर सिंह गुर्जर निवासी औहदपुर, अवैध उत्खनन करने वाले मुकेश पाण्डे पुत्र शंकरलाल पाण्डे निवासी छौंड़ा, अवैध रूप से लकड़ी काटने वाले मुकेश पुत्र पंचम सिंह यादव निवासी सौंसा, अवैध उत्खनन करने वाले महेश पुत्र फेरन यादव निवासी कुलैथ, वन क्षेत्र बेहट के अंतर्गत अतिक्रमण करने वाले छोटेलाल पुत्र रामचरण बघेले निवासी आरौली, वन परिक्षेत्र घाटीगांव उत्तर के अंतर्गत अवैध उत्खनन करने वाले राजेन्द्र सिंह पुत्र मोहन सिंह तोमर निवासी रेंहट, अतिक्रमण करने वाले गोपाल पुत्र मुक्खा कुशवाह निवासी सिमरिया, अवैध कटाई व उत्खनन करने वाले अर्जुन सिंह पुत्र हरिकंठ सिंह निवासी जखौदा, अवैध उत्खनन करने वाले रामनाथ सिंह पुत्र अर्जुन सिंह गुर्जर निवासी आंतरी-जखौदा, शिवसिंह पुत्र हाकिम सिंह गुर्जर निवासी बेरखेड़ा, श्रीमती गौराबाई पत्नी भागीरथ आदिवासी निवासी सिरोल फार्म, कुलदीप दुबे पुत्र बी.एस. दुबे निवासी मेजर करतार सिंह कॉलोनी ग्वालियर, श्रीमती रामदुलारी बाई निवासी डांडा खिड़क, अशोक चौरसिया पुत्र रामगोपाल चौरसिया, घनश्याम आदिवासी पुत्र रामकिशन निवासी चराई श्यामपुर, सोनचिरैया अभयारण्य की गेमरेंज घाटीगांव के अंतर्गत अवैध उत्खनन करने वाले हिमाचल पुत्र जयसिंह, जण्डेल सिंह, नरेश सिंह, महेन्द्र सिंह निवासी आंतरी, ललुआ पुत्र विद्याराम गुर्जर निवासी आंतरी एवं अवैध कटाई करने वाले पप्पू मुसलमान एवं अन्य निवासी सौंसा आदि आदतन वन अपराधी शामिल थे।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
किसी भी अपराधी के खिलाफ रासुका या जिला बदर जैसी कार्रवाई के लिए उसके खिलाफ कम से कम तीन से चार संगीन अपराध दर्ज होना आवश्यक है, जबकि वन विभाग के पास जिन अपराधियों की सूची है, उनमें से अधिकांश के खिलाफ इतनी संख्या में अपराध दर्ज नहीं हैं क्योंकि वन विभाग ज्यादातर मामलों में अज्ञात में वन अपराध दर्ज करता है। इस कारण वन अपराधियों के खिलाफ रासुका या जिला बदर जैसी कार्रवाई संभव ही नहीं है। ऐसे ही कारणों से वन विभाग द्वारा वर्ष 2011 में सूचीबद्ध किए गए वन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई संभवन नहीं हो पाई होगी।

अजय तिवारी, पूर्व वन अधिकारी

Updated : 20 Jan 2017 12:00 AM GMT
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