'पितृपक्ष की थाली' भी हुई महंगी, सब्जियों व दुग्ध पदार्थों के बढ़े दाम

ग्वालियर। हिन्दू धर्म में अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों के साथ ही अपने प्रियजनों को भोजन कराने की परम्परा है। इसी के चलते इन दिनों में सब्जियों और अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम यकायक बढ़ गए हैं। बढ़े हुए दामों के कारण थाली में से पकवानों की संख्या कम होती जा रही है। क्योंकि इसका असर सीधा लोगों की जेब पर पड़ रहा है। वहीं पितृपक्ष के बाद नवदुर्गा, दशहरा, करवाचौथ एवं दीपावली जैसे बड़े त्यौहार हैं। इस दौरान फल,सब्जियों के साथ ही अन्य खाद्य पदार्थो के दामों में और भी तेजी की संभावना है।
पितृपक्ष में महंगाई का असर सबसे ज्यादा निम्न और मध्यम वर्ग लोगों पर दिखाई दे रहा है। वर्तमान में जहां किसी भी दाल की कीमत 100 रुपए किलो से कम नहीं है। वहीं आलू 25 रुपए तो गोभी 80 रुपए किलो के भाव से बिक रहा है। बाजार में नींबू 100 रुपए किलो और मूली 10 रुपए की एक आ रही है। दूध, दही, पनीर, मेवा और मटर ने तो दम ही निकाल दिया है। इस स्थिति में पितृपक्ष में अपनी मंशा के अनुसार ब्राह्मणों और प्रियजनों को भोजन कराना भी कठिन हो रहा है।
पहले थाली में होता था यह सब
एक समय था जब पितृपक्ष के दौरान थाली में खीर, मालपुए, कचौरी, मटर पनीर, आलू गोभी, दहीबड़े, सलाद, कचौरी एवं इमरती जैसे पकवना हुआ करते थे। यह थाली उस समय बमुश्किल 50 से 60 रुपए की पड़ती थी।
लेकिन आज की स्थिति में यह 100 रुपए से अधिक की पड़ रही है। इसके चलते आज अधिकतर लोग सब्जी, पूड़ी, रायता और खीर से ही काम चला रहे हैं।
सरल नहीं है पनीर खरीदना
पितृपक्ष में दूध से बनी वस्तुओं का अधिक उपयोग होता है। वर्तमान में ऐसी सभी वस्तुओं के दाम सातवें आसमान पर हैं। बाजार से पनीर खरीदना और इसकी सब्जी बनाना हर किसी के लिए शायद संभव नहीं है।
४दूध 40 से 60 रुपए तो दही
४60 से 80,मटर
४70 से 80 और
४पनीर 240 से 250 रुपए किलो मिल रहा है।