बैस की दमदारी पर वर्णवाल पड़े भारी

प्रशासनिक सर्जरी में मुख्यमंत्री ने दिए कई संकेत
* प्रवीण दुबे
तबादलों से प्रतिबंध हटने के बाद यह तो तय माना जा रहा था कि आईएएस अधिकारियों को इधर से उधर किया जाएगा लेकिन यह प्रशासनिक सर्जरी इतने बड़े पैमाने पर होगी यह किसी को अंदाजा नहीं था। मुख्यमंत्री सचिवालय में लंबे समय से तैनात इकबाल सिंह बैस को हटा दिया जाएगा, इसकी चर्चा दूर-दूर तक नहीं थी। बात यहीं समाप्त नहीं होती इस दमदार अधिकारी की जगह मुख्यमंत्री अशोक वर्णवाल पर भरोसा करेंगे यह भी आश्चर्यजनक ही रहा। कमोबेश यही स्थिति एक अन्य आईएएस राधेश्याम जुलनिया की जल संसाधन विभाग से विदाई को लेकर है।
राकेश श्रीवास्तव की आबकारी से मंडी की जिम्मेदारी दिया जाना भी कई संकेत देती है। राज्य शासन ने रविवार को प्रदेश के 33 आईएएस अधिकारियों की सूची जारी करके यह स्पष्ट कर दिया कि बड़े नौकरशाह यह कतई न समझें कि वे जहां हैं उस विभाग से उन्हें अन्य जगह की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती। इस दृष्टि से सबसे बड़ा चौंकाने वाला निर्णय मुख्यमंत्री के सर्वाधिक निकट माने जाने वाले तथा लंबे समय से सीएम सचिवालय में तैनात वरिष्ठ आईएएस इकबाल सिंह बैस की विदाई कहा जा सकता है।
इससे भी बड़ी बात यह रही कि इकबाल सिंह बैस की जगह अशोक वर्णवाल जैसे आईएएस को मिलेगी यह शायद किसी ने कल्पना नहीं की होगी। वास्तव में मुख्यमंत्री की इस प्रशासनिक सर्जरी ने साफतौर पर संकेत दिया है कि अच्छे काम के साथ मिलनसारिता और सबसे प्रमुख बात जनप्रतिनिधियों को प्राथमिकता देने की मानसिकता रखने वाले अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी।
यहां लिखने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि अशोक वर्णवाल का जो स्वभाव रहा है वह इन बातों पर पूरी तरह खरा उतरता है। उन्होंने पीडीएस में बेहतर काम करके अपनी प्रशासनिक योग्यता को बखूबी सिद्ध किया है। इसके साथ वे मिलनसार होने के अतिरिक्त सहज व सरल स्वभाव के अधिकारी हैं। चूंकि सरकार ने अपना आधा कार्यकाल पूर्ण कर लिया है। आने वाले समय में मुख्यमंत्री सचिवालय में तैनात अधिकारी की कारगुजारी को लेकर जनप्रतिनिधि कोई शिकायत न करें। इस बात पर भी अशोक वर्णवाल खरे उतरेंगे ऐसी शायद मुख्यमंत्री की मंशा रही है।
जहां तक बैस का सवाल है मिलनसारिता की कमी उनके लिए इस परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण मानी जा रही है। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले आनंद विभाग की जिम्मेदारी उन्हें दी गई है। हो सकता है इसमें वह मुख्यमंत्री की इच्छानुरूप कुछ कर के दिखाएं।
उधर एक अन्य बड़े अधिकारी राधेश्याम जुलानियां को जल संसाधन विभाग से पूरी तरह हटाए जाने की भी खासी चर्चा है। जुलानियां भी पहुंच वाले अधिकारियों में शामिल थे। उधर एक अन्य वरिष्ठ आईएएस राकेश श्रीवास्तव को आबकारी आयुक्त से मुक्त कर मंडी बोर्ड की कमान सौंपी गई है। ऐसा लगता है कि इसके पीछे राजस्व में वृद्धि करने की इच्छा रही है। वैसे राकेश श्रीवास्तव की आबकारी मुख्यालय ग्वालियर की जगह भोपाल में ज्यादा रूचि रही है, इस परिवर्तन के पीछे एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है।
शीघ्र बदलेंगे कई कलेक्टर
प्रशासनिक सर्जरी के पहले हिस्से में राज्य सरकार ने कलेक्टरों को पूरी तरह अछूता रखा है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि उनके तबादले नहीं होंगे। इसके पीछे प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और बाढ़ प्रमुख कारण है। सूत्रों का कहना है कि कलेक्टरों की तबादला सूची पूरी तरह तैयार है। जैसे ही बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का सर्वे कार्य पूर्ण होगा वैसे ही कलेक्टरों की तबादला सूची जारी कर दी जाएगी। संभावना है इसमें बड़े पैमाने पर कलेक्टर इधर से उधर किए जाएंगे।
अब भी भारी प्रभारी
प्रदेश सरकार भले ही बड़े पदों पर प्रभारी अधिकारियों की तैनाती नहीं करने की बात कहती रही है। लेकिन रविवार को जो सूची जारी हुई है उसमें एक बार फिर प्रभारी पद्धति सामने आई है। खाद्य आयुक्त के पद से मनोहर अगनानी को हटाए जाने के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के एमडी फैज अहमद को इसका अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। उधर होशंगाबाद कमिश्नर पद पर भोपाल कमिश्नर अजात शत्रु प्रभारी रूप से तैनात रहेंगे। उधर मोहम्मद सुलेमान को प्रमुख सचिव विज्ञान और प्रोद्योगिकी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।