योजना में शामिल 100 जिलों में से ग्वालियर का चयन
योजना में शामिल 100 जिलों में से ग्वालियर का चयन
ग्वालियर। नई दिल्ली में "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" विषय पर आयोजित होने जा रही राष्ट्रीय स्तर की उन्मुखीकरण कार्यशाला में ग्वालियर कलेक्टर डॉ. संजय गोयल को प्रजेण्टेशन देने के लिये बुलाया गया है। भारत सरकार द्वारा शुरू की गई बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के ग्वालियर जिले में हुए बेहतर क्रियान्वयन और इस दिशा में हुए नवाचारों के आधार पर कलेक्टर डॉ. गोयल का चयन इस प्रजेण्टेशन के लिये किया गया है।
उन्मुखीकरण कार्यशाला 25 जुलाई को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित होगी। कार्यशाला में केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी व केन्द्रीय महिला-बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती कृष्णा राज सहित महिला बाल विकास, समाज कल्याण आदि विभागों के प्रमुख सचिव व चुनिंदा जिलों के कलेक्टर व सक्षम अधिकारी भाग लेंगे।
भारत सरकार द्वारा "बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" योजना के प्रथम चरण में 100 ऐसे जिलों को शामिल किया गया था, जहाँ स्त्री-पुरूष अनुपात की विषमता सर्वाधिक थी। सरकार द्वारा द्वितीय चरण में 61 नए जिले इस योजना में शामिल किए गए हैं। योजना में शामिल नए 61 जिलों के उन्मुखीकरण के मकसद से भारत सरकार द्वारा आयोजित की जा रही कार्यशाला में ग्वालियर कलेक्टर प्रजेण्टेशन देंगे। बेहतर कार्य के आधार पर प्रथम चरण के 100 जिलों में से ग्वालियर जिले का चयन इस प्रजेण्टेशन के लिये हुआ है।
"बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ" योजना के प्रथम चरण में मध्यप्रदेश के ग्वालियर, दतिया, भिण्ड व मुरैना जिले शामिल थे। द्वितीय चरण में प्रदेश के टीकमगढ़ व रीवा जिले को भी इस योजना में शामिल किया गया है।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर जिले में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत घर-घर दस्तक व शक्ति चौपाल जैसे नवाचार हुए हैं। वहीं चित्रकला, नाट्य समारोह व वॉल पेंटिंग के जरिए भी समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक वातरवरण निर्मित करने के प्रयास प्रमुखता से हुए हैं।
जिले में कन्या भ्रूण हत्या पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिये पीसी-पीएनडीटी एक्ट का भी कड़ाई से पालन कराया गया है। इस एक्ट का उल्लंघन करने वाले अल्ट्रासाउण्ड सेंटर व नर्सिंग होम के लायसेंस तक निरस्त किए गए हैं। साथ ही अस्पतालों में केवल बेटे के जन्म को प्रोत्साहन देने वाले पोस्टर व चित्र लगाने पर कड़ाई से प्रतिबंध लगाया गया है। जिले के सभी अल्ट्रासाउण्ड सेंटरों में निगरानी के लिये एक्टिव ट्रेकिंग डिवाइस भी लगाए गए हैं।