आतंक का विचार प्रवाह कैसे रोका जाए?

आतंक का विचार प्रवाह कैसे रोका जाए?
जयकृष्ण गौड़
अच्छे-बुरे व्यक्ति का निर्माण संस्कारों से होता है। घर से लेकर शिक्षा से मिले संस्कारों से व्यक्ति जीवन में कर्म करता है। महाराष्ट्र में एक बकरी चराने वाली माँ अपने बेटे महादेव जानकर के मंत्री बनने पर लालबत्ती की गाड़ी के सामने जमीन पर बैठकर कहती है कि यदि बेटे ने अच्छा काम नहीं किया तो बहुत मारूंगी। जो ९१ वर्षीय माँ इस प्रकार के संस्कार अपने बेटे को देती है, यही घर के ऐसे संस्कार हैं जिससे व्यक्ति अच्छे काम की ओर प्रेरित होता है। शिक्षण संस्था भी संस्कार भूमि है जहां गुरु से संस्कार मिलते हैं। वर्तमान संदर्भ में यह सवाल विवाद का है कि मदरसे की शिक्षा से आतंकवाद की ओर युवक प्रेरित क्यों होते हंै।
यह भी वास्तविकता है कि जिहाद के नाम से मुस्लिम युवकों में जुनून पैदा करने मेंं सफल हो जाते है, डॉ. जाकिर नाइक एवं हफीज सईद, बगदादी जैसे लोग युवकों को खूंखार आतंकवादी बनाने में सफल हो रहे हैं। यह विवाद का विषय रहा है, कि इस्लाम में ऐसे कौन से तत्व हैं, जिससे जिहाद के नाम से आतंकवादी निर्दोषों का खून बहा रहे हैं। इन दिनों डॉ. जाकिर नाइक जो इस्लाम के जाने-माने विद्वान है उनकी तकरीरों की चर्चा है। तकरीरों को सुनने हजारों मुस्लिम आते हैं। बताया जाता है कि उनके एक करोड़ से अधिक समर्थक हैं। वे अपनी तकरीरों में कहते है कि ‘मैं सारे मुस्लिमों से कहता हूँ कि वे आतंकी बन जाएं, आतंकी मतलब ऐसा आदमी जो भय फैलाए।’ इसी प्रकार जाकिर नाइक की तकरीरें युवकों को आतंकवाद की ओर प्रेरित कर रही हैं, इसी का परिणाम है कि बांग्लादेश की राजधानी ढाका के आतंकवादी हमले में पकड़े गये संदिग्ध आतंकी निवास और रोहन इम्तियाज ने स्वीकार किया है कि वे जाकिर नाइक की तकरीरों से प्रेरित होकर आतंकवादी बने हैं। आवामी लीग के नेता के बेटे सोहन ने जाकिर नाइक का वीडियो फेसबुक पर शेयर किया है। इसी प्रकार बताया जाता है कि हाफिज सईद जैसे आतंकी सरगना जाकिर नाइक की तकरीरों का समर्थन करते हैं। आईएस के आतंकी भी जाकिर नाइक की तकरीरों से प्रेरित हंै। एक आईएस के आतंकी ने स्वीकार किया है कि हम हमले जैसे हमले करते रहेंगे, जब तक बांग्लादेश में शरीयत के कानून लागू नहीं होते। यह सवाल अलग चर्चा का है कि इस्लामी शरिया कानून मानवीय मूल्यों की दृष्टि से उचित है या नहीं? दुनिया को इस सवाल का उत्तर स्पष्ट नहीं मिलता है कि आतंकवाद के कारखानों को कैसे बंद किया जाय? पाकिस्तान की सच्चाई सबको पता है कि वहां हाफिज सईद जैसे सरगना खुले आम घूमकर युवकों को आतंकवाद की ओर प्रेरित करते हैं। वहां सरकारी एजेंसी आईएसआई हिंसक आतंकी बनाने के प्रशिक्षण अड्डे चलाती है। अभी तक कश्मीर और भारत के अन्य नगरों में जो आतंकी हमले हुए हैं वे पाकिस्तान की ओर से हुए हैं, इस प्रकार हम कह सकते हैं कि पाकिस्तान आतंकवादी तैयार करने का सबसे घातक देश है। विडंबना यह है कि आतंकियों को हथियार और पैसा उपलब्ध कराया जाता है। इराक और सीरिया को आईएस आतंकियों ने मनुष्यों का स्लाटर हाउस बना दिया है। शरीयत को कठोरता से लागू करने के लिए बगदादी खलीफा राज्य का बर्बर नमूना तैयार हो गया है।
भारत के संस्कारों में उदारता, सहिष्णुता हमेशा से रही है। अति सहिष्णुता के कारण बर्बर हमले भी बर्दाश्त किये हैं। तलवार के बल पर भारत में इस्लाम भी फैला है लेकिन उसका भी सूफीकरण संतों ने किया है। अब आतंक के शिक्षक जाकिर नाइक तर्क के साथ कहते हैं कि दरगाह को पूजना गलत है, उन्हें इसमें भी मूर्ति पूजा दिखाई देती है। पैगम्बर मोहम्मद की शहादत पर मोहर्रम निकलते हैं क्या वह भी मूर्ति पूजा है? जाकिर नाइक ऐसे इस्लामी विद्वान हैं, जो इस्लाम को विकृत रूप में प्रस्तुत करते है। भारत में दिग्विजय सिंह जैसे नेता है, जो जाकिर की सभा में जाकर न केवल उनकी तकरीर की सराहना करता हैं वरन् उन्हें शांति दूत भी कहते हैं। जो आतंकवादी बनने की ओर युवकों को प्रेरित करते है ऐसे विचार के समर्थक हमारे सेक्यूलर हैं, आतंकी विचारों में इनको शांति दिखाई देती है।
सेक्यूलरों के कारण ही भारत में आतंकी समस्या गंभीर हुई है। इन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि जाकिर नाइक की तकरीरों से युवक आतंक की ओर प्रेरित होते हैं, ढाका में आतंकियों ने 22 लोगों का खून कर दिया। जाकिर जिस पर कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों ने प्रतिबंध लगाया है, लेकिन भारत में उन्हें आतंकी जहर उगलने की पूरी आजादी है। अब मोदी सरकार ने जाकिर नाइक की तकरीरों की जांच करने को कहा है। जाकिर सूट-बूट में इस्लाम के बारे में तकरीरें करते हैं, महाराष्ट्र की सरकार ने भी जांच के लिए पुलिस के उच्च अधिकारी से कहा है। जांच प्रक्रिया लम्बी होती है, इसके बाद न्यायिक प्रक्रिया में मामला उलझ जाता है, इसमें लम्बा समय लग जाता है। भारत के सेक्यूलरों की कठिनाई यह है कि वे आतंकवाद की विचार भूमि में भी वोटों की तलाश करते हैं, यह तो भगवान की कृपा है कि सेक्यूलरी पाखंड से मुक्त होने की चेतना जागृत हुई है। ऐसी सेक्यूलरी को नकार कर जनता ने राष्ट्रवादी विचारों का दामन पकड़ा है। नरेन्द्र मोदी का देश के लिए समर्पित नेतृत्व भारत को मिला है, वे दुनिया के देशों में जाकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने की अपील कर रहे हैं, जहां एक ओर सेक्यूलर वोटों की तलाश मजहबी साम्प्रदायिकता में करते हैं, वही प्रधानमंत्री श्री मोदी देशहित की तलाश में जुटे हैं। भारत ने गत पांच दशकों से सेक्यूलरी सरकारों को अवसर दिया है। पहली बार भारत में राष्ट्रवादी विचारों का प्रवाह है।
भारत की अति सहिष्णुता का परिणाम है कि हम आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं कर पाते। कश्मीर के अलगाववादियों एवं पाकिस्तानी और आईएस के आतंकियों को हम बर्दाश्त कर रहे हैं। सेक्यूलरी नीति और वोट के लिए ऐसे तत्वों को भी संतुष्ट करना जो देश के एक वर्ग के युवकों को आतंक की ओर ले जाना चाहते हैं, ऐसे भी लोग भारत में हैं, जो देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त हैं, उनको संतुष्ट करने की बजाय उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बिना देश की सुरक्षा और अखंडता स्थिर नहीं रह सकती। हाल ही में समान आचार संहिता की चर्चा प्रारंभ करने की बात हुई थी, कुछ कट्टरपंथी विरोध में चिल्लाने लगे। हम देश को एक स्वरूप में रखकर ही लोकतंत्र को सुदृढ़ रख सकते हैं। सबसे पहले आतंकी विचार प्रवाह को किसी भी तरह रोकना होगा।
लेखक-राष्ट्रवादी लेखक और वरिष्ठ पत्रकार