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भारत और अमेरिका करेंगे अब एक दूसरे के सैन्य तंत्र का उपयोग

भारत और अमेरिका करेंगे अब एक दूसरे के सैन्य तंत्र का उपयोग

वाशिंगटन। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस बार की अमेरिका यात्रा कई मायनों में सफल साबित हुई है। जहां व्यापार के मसलों के साथ आतंकवाद को रोकने के लिए संयुक्त प्रयत्न करने को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी है, वहीं खासबात यह भी इस यात्रा की रही है कि भारत और अमेरिका ने लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज सपोर्ट मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (लेमोआ) समझौते को यहां अंतिम रूप दे दिया है। इस समझौते के तहत अब भारत और अमेरिका यह दोनों ही देश जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के सैन्य-तंत्र का इस्तेमाल वैश्विक स्तर पर करेंगे।

इसे लेकर बुधवार को व्हाइट हाउस में मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से आए बयान में दोनों नेताओं ने लेमोआ समझौते को अंतिम रूप देने का स्वागत किया है। यहां दोनों ही देशों की ओर से दिए गए संयुक्त बयान में कहा गया कि अमेरिका भारत को एक करीबी सहयोगी तथा साझेदार की तरह तकनीक साझा करने में लगातार सहयोग करता रहेगा। वह भारत की महत्वाकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ को सफल बनाने के लिए पूरी तरह सहयोग करेगा।

वहीं अमेरिका ने भारत में स्थापित किये जाने वाले रक्षा उद्योगों को विकसित करने के लिए तकनीक के साथ अन्य प्रकार का भी सहयोग देने पर सहमति जतायी है। इसके अलावा दोनों नेताओं ने नये डीटीटीआई की स्थापना का स्वागत करते हुए नौसेना, वायुसेना तथा अन्य हथियारों को डीटीटीआई के तहत विकसित करने पर सहमति जतायी है। वायुयान वाहक तकनीक सहयोग के लिए संयुक्त संचालन समूह को अंतिम रूप देने की घोषणा की।

गौरतलब है‍ कि अमेरिका के रक्षा मंत्री एशटन कार्टर के साथ भारत की इस संबंध में सहमति अप्रैल माह में उनकी भारत यात्रा के दौरान बनी थी। इस बात के संकेत भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा पिछले महीने ही दिये गए थे जिसमें उन्होंने साफतौर पर कहा था कि लेमोआ समझौते को लेकर अमेरिका के साथ बातचीत चल रही है।

Updated : 9 Jun 2016 12:00 AM GMT
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