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राज्यसभा चुनाव में घमासान, कांग्रेस में अंदरूनी उठापटक से तन्खा की बढ़ी मुश्किलें

राज्यसभा चुनाव में घमासान, कांग्रेस में अंदरूनी उठापटक से तन्खा की बढ़ी मुश्किलें

प्रमोद पचौरी

विनोद गोटिया के मैदान में उतरने से भले ही राज्यसभा चुनाव का मामला प्रतीकात्मक रूप से दिलचस्प हो गया हो लेकिन कांग्रेस में अंदरूनी घमासान के चलते उम्मीदवार विवेक तन्खा की उलझनें बढ़ गई हैं। शुक्रवार शाम तक कांग्रेस के तीन विधायकों ने मतदान में हिस्सा न लेने का मन बनाया। तीनों विधायकों का निर्णय अगर 11 जून तक बरकरार रहता है तब समझो मध्य प्रदेश राज्यसभा कांग्रेस मुक्त होने के रास्ते में एक कदम और आगे बढ़ गया। तन्खा के समर्थन में जिस तरह प्रदेश कांग्रेस के दो दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह व कमलनाथ उतरे थे उससे लग रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रबंधन दोनों के सामने भारी पड़ता नजर आ रहा है।

गोटिया इधर भाजपा के लिए सांप-छछूंदर की स्थिति बन गए है तो कांग्रेस के लिए लुटिया डुबोने वाले कारक। वे हारते हैं तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर सवाल उठेंगे। क्योंकि भाजपा आलाकमान प्रदेश में कांग्रेस मुक्त राज्यसभा से कम पर कोई समझौता नहीं करना चाहता। गोटिया के रूप में भाजपा रणनीतिकारों ने ऐसा दांव चला है कि हारे तो ठीकरा शिवराज सिंह चौहान पर और जीते तो सब की वाहवाही। सच कहा जाए तो शिवराज सिंह के समक्ष असंभव को संभव करने की परीक्षा है। दूसरी ओर तन्खा कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक से इतने असहज है कि उनके लिए एक कदम की दूरी पाटने में नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। कांग्रेस में अंदरूनी उठापटक इतनी ज्यादा तेज हो गई है कि उसके तीन विधायक मतदान में भाग नहीं लेने का मन बना चुके हैं। हालांकि कमलनाथ फील्ड वर्क कर रहे हैं और लाज बचाने में सब कुछ झोंके हुए हैं।

हालांकि तन्खा एक वोट का जुगाड़ करने की बात कहते है लेकिन यह भी मानते हैं कि यह बहुत ही टेड़ा काम है। इसके लिए उन्होंने पत्ते खोलने से इंकार किया है। लेकिन कांग्रेसी सूत्र बताते हैं तीन विधायकों में खलल पड़ गई है। सत्यदेव कटारे बीमारी के चलते मुंबई में है और मतदान के लिए उनकी उपस्थिति भी कांग्रेस को पशोपेश में ले आई है। हालांकि देर शाम तक यह तय कर लिया गया उनका मत डाक द्वारा शामिल कर लिया जाएगा। कांग्रेस के इस बेहद संकट भरे क्षणों में कमलनाथ को गोल साधने के लिए आगे किया गया है। सो कमलनाथ गोलकीपर की भूमिका में आ गए है। तन्खा और कांग्रेस के समक्ष बसपा के चार वोट ही एकमात्र उम्मीद का सहारा हैं। उत्तराखंड की तर्ज पर बसपा प्रमुख मायावती अगर अपने स्टेंड पर कायम रहते हुए कांग्रेस के पक्ष में मतदान करवाती है तब माना जा सकता है कि तन्खा लाख संकटों के बावजूद अपनी नाव मझदार से निकालने में कामयाब हो जाएंगे। वरना इस उच्च सदन की सियासत में वे फिलहाल घिरे ही नजर आ रहे हैं।

Updated : 4 Jun 2016 12:00 AM GMT
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