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जैसे को तैसा

जैसे को तैसा


चीन ने भले ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में सदस्यता लेने के मामले में रोड़ा अटकाया हो लेकिन भारत ने मिसाइल टेक्नोलाजी की सदस्यता हासिल कर जरूर एक तरह से चीन से बदला ले लिया है। परमाणु आपूर्तिकर्ता की तरह ही मिसाइल टेक्नोलाजी की सदस्यता लेना भी एक प्रतिष्ठित समझौता है। इसमें 34 देश शामिल है। चीन इसका सदस्य नहीं है और इसकी सदस्यता लेने के लिए चीन लगातार प्रयास कर रहा है। ऐसे में आने वाले समय में चीन को सदस्यता दिलाने में भारत की भी स्वीकृति लेनी होगी। भारत को इसका फायदा यह होगा कि प्रमुख उत्पादक देशों से अत्याधुनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी और मॉनीटरिंग सिस्टम खरीद में मदद मिलेगी। इन्हें केवल सदस्य देश ही खरीद सकते हैं। इसके अलावा भारत के लिए अमेरिका से आधुनिक ड्रोन तकनीक लेना आसान हो जायेगा। साथ ही भारत अब मिसाइल तकनीक का निर्यात भी कर सकेगा। चीन जब इसकी सदस्यता के लिए अपना आवेदन देगा या उसके आवेदन पर विचार किया जाएगा, उस समय भारत को भी चाहिए कि वह चीन को उसी भाषा में जवाब दे जिस तरह से परमाणु आपूर्तिकर्ता भारत की सदस्यता के लिए चीन ने रोड़े अटकाए। चीन को भी समझना होगा कि वह ऐसे मामलों में बजाय टांग अड़ाने के भारत के साथ सौहार्दपूर्ण रवैया अपनाए। दूसरी बात यह है कि भले ही सरकार या राजनीतिक दल इसे कूटनीतिक जीत के रूप में देखें लेकिन सही मायने में यह भारतीय वैज्ञानिकों की मेधा का प्रतिफल है, जिन्होंने लंबी दूरी की मिसाइलों, उपग्रह प्रक्षेपण, मंगलयान व चंद्रयान मिशनों की कामयाबी से सफलता की नई इबारत लिखी। उन्होंने दुनिया को चौंकाया है। वास्तव में भारत की कोशिश रही है कि अमेरिका से हुए परमाणु समझौते के बाद तमाम उन ताकतवर देशों के समूह का सदस्य बने जो परमाणु तकनीक के नियंत्रण से जुड़ा है। विदेश सचिव एस. जयशंकर ने फ्रांस, नीदरलैंड व लक्जमबर्ग के राजदूतों की उपस्थिति में इस समूह में शामिल होने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये। दरअसल एमटीसीआर समूह के देश परंपरागत परमाणु, जैविक व रासायनिक हथियारों व तकनीक को नियंत्रित करते हैं। यह महत्वपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकी निर्यात करने वाले महत्वपू्र्ण देशों के चार समूहों में से एक है। इसका फायदा ये होने वाला है कि भारत उन्नत मिसाइल तकनीक हासिल कर पायेगा। रूस के साथ अपने संयुक्त उपक्रमों को आगे बढ़ा पायेगा। भारत को पहली बार किसी बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण समूह का सदस्य बनने का मौका मिला है।

Updated : 29 Jun 2016 12:00 AM GMT
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