Home > Archived > जेल लेकर पहुंची जिदंगी में आगे बढऩे की तमन्ना

जेल लेकर पहुंची जिदंगी में आगे बढऩे की तमन्ना

नवजात बच्चें की खरीद-फरोख्त का मामला

कुछ ही साल में किया लाखों रुपए का हेरफेर

ग्वालियर। पलाश अस्पताल का संचालक और फर्जी झोलाछाप डॉक्टर तापोश पैसे कमाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार था। जिदंगी में आगे बढऩे की चाहत में उसने वो काला कारनामा कर डाला, जिससे प्रदेश ही नहीं, देश भी शर्मसार हो रहा है। पैसे कमाने के शॉर्टकट रास्ते ने उसे जेल पहुंचा दिया, लेकिन वह और उसकी पत्नी ने हार नहीं मानी है।

जिस पैसे को कमाने के फेर में फर्जी और झोलाछाप डॉक्टर तापोश कुमार गुप्ता उर्फ बंगाली इन दिनों जेल की चार दीवारों में कैद है, उसे उसी पैसे पर भरोसा है कि जल्दी ही जेल से बाहर आ जाएगा। तापोश का जेल से पुराना रिश्ता है। वह इससे पहले भी जेल की हवा खा चुका है। जिदगी में कुछ कर गुजरने और आगे बढऩे की तम्मना में वह अपने परिवार को भी समय नहीं दे पा रहा था। पुलिस को चकमा देकर वह पलाश अस्पताल खोलकर नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त का काला कारनाम कर रहा था। उसका साथ अरुण भदौरिया दे रहा था। इस गोरखधंधे की नींव यदि कोई मजबूत कर रहा था, तो वह थी आशा कार्यकर्ता, जिनकी दम पर पलाश अस्पताल फलफूल रहा था और लाखों रुपए का धंधा हो रहा था।

पुलिस ने तापोश और अरुण भदौरिया के पास से मात्र 18 हजार रुपए बरामद होने का दावा किया है। पुलिस ने तापोश के पास से यह रुपए कहां से बरामद किए। यह तो वह स्वयं ही बता सकती है, लेकिन उसकी पत्नी का कहना है कि उसके घर की कभी भी तलाशी नहीं ली गई और उसका पर्स तक मैंने घर में रख लिया था। ऐसे कई उदाहरण हैं, जो इस हाईप्रोफाइल मामले को इतनी सहजता से निपटाने पर शंका की ओर इशारे करते हैं। वैसे भी यह मामला अब लगभग दब चुका है। तापोश पर किसी न किसी खाकीधारी की मेहरबानी हुई है।

तभी तो हाजिर होने के बाद तापोश के साले नारायण पाल को पुलिस ने फ्री कर दिया था। नारायण पाल पलाश अस्पताल में मेडीकल चलाता था और उसे बच्चों की खरीद-फरोख्त का न मालूम हो। संभव ही नही हैं, लेकिन तापोश ने जो कमाया था, वह उसके बुरे समय में काम आ गया, जिसकी वजह से कई लोगों के मुंह बंद हो गए और कुछ ने अपनी जेब गर्म कर ली।

हर महीने गरीबोंं को बांटता था पैसा
तापोश को पता था कि जो वह कर रहा है, उसका परिणाम बुरा ही निकलेगा। अपने पापको छिपाने के लिए तापोश उर्फ बंगाली नदी पार टाल स्थित अपनी क्लीनिक पर हर महीने दरबार लगाता था और गरीब महिलाओं को सौ रुपए देकर पुण्य कमाता था। तापोश की पत्नी तुलसी का कहना है कि बलात्कार के मामले में जेल में बंद होने के बाद तापोश बाहर आया तो उसने गरीब महिलाओं को मदद करने के लिए रुपए बांटना शुरू किया था। श्रीनगर कॉलोनी, कबीर आश्रम, अशोक कॉलोनी, साठ फुटा रोड, कुम्हरपुरा, गौतम नगर आदि स्थानों से गरीब महिलाएं पैसे लेने दुकान पर आती थीं।

जौरा से थी नजर, छत्तीसगढ़ में ठिकाना
तापोश उर्फ बंगाली काफी शातिर दिमाग है। उसने दो माह पहले अपना कारोबार जौरा मुरैना में जमा लिया था। साथ ही वह छत्तीसगढ़ में भी दुाकन खोलकर ग्वालियर में चल रहे गोरखधंधे पर नजर रखे हुए था। जौरा में तापोश ने दुकान खोली थी और पलाश अस्पताल में नारायण से हर जानकारी लेता रहता था।

किसी भी सूरत में बच्ची नही दूंगी
तापोश की पत्नी तुलसी ने साफ कर दिया कि वह किसी भी सूरत में बच्ची को नहीं देगी। तुलसी के घर पलाश अस्पताल से ली गई बच्ची है, जिसकी परवरिश वह कर रही है। पुलिस ने अभी तक कोई प्रक्रिया नहीं चलाई है और तुलसी ने भी साफ कर दिया कि जान दे दूंगी, लेकिन बच्ची को नहीं ले जाने दूंगी। अरुण भदौरिया ने ही पुलिस के समक्ष इस बच्ची का राज खोला है। तुलसी का कहना है कि मैंने बच्ची को खरीदा नहीं था। उसके माता-पिता ने बच्ची मुझे सौंपी थी।

Updated : 9 May 2016 12:00 AM GMT
Next Story
Top