उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण के लिए केंद्र तैयार

उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण के लिए केंद्र तैयार
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उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण के लिए केंद्र तैयार

नई दिल्ली| उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को लेकर विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने की व्यवहार्यता पर शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट के लिए सरकार तैयार है। उत्तराखंड में बहुमत परीक्षण के लिए केंद्र तैयार है।

जानकारी के अनुसार, केंद्र ने उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण के उच्चतम न्यायालय के सुझाव पर सहमति जताई। उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड में सदन में शक्ति परीक्षण के तौर तरीकों पर विचार विर्मश किया। कोर्ट ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सदन में विश्वास मत हासिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों केंद्र की उस याचिका को स्वीकार कर लिया था, जिसमें केंद्र ने उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने की व्यवहार्यता के न्यायालय के सुझाव पर जवाब देने के लिए उससे दो और दिन का समय मांगा था। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को बताया था कि उन्होंने न्यायालय के सुझाव को केंद्र तक पहुंचा दिया है और सरकार इस पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है। शुक्रवार तक इस पर ‘ठोस’ फैसला किया जाएगा। इसके बाद न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह ने इस मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया था। शीर्ष अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए छह मई की तारीख तय की थी।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल की इस बात को रिकॉर्ड में लिया कि ‘केंद्र सरकार इस मामले में उपजे विवाद को खत्म करने के लिए विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने के इस न्यायालय के सुझाव पर गंभीरता के साथ विचार कर रही है।’ अदालत ने यह भी कहा कि उसने हटाए गए मुख्यमंत्री हरीश रावत के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की इस बात पर भी गौर किया कि सरकार द्वारा सुझाव को स्वीकार कर लिए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। पीठ ने कहा कि यदि सरकार सुझाव को स्वीकार कर लेती है तो यह लोकतंत्र के लिए अच्छा होगा। मामले की सुनवाई को छह मई के लिए स्थगित करते हुए पीठ ने कहा कि यदि अटार्नी जनरल को सुझाव पर निर्देश नहीं मिलते हैं तब भी मामले की सुनवाई की जाएगी।

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