पेट की खातिर अवैध वेण्डरों की जान हथेली पर

पेट की खातिर अवैध वेण्डरों की जान हथेली पर

ग्वालियर। चलती ट्रेन में अवैध रूप से खाने-पीने का सामान बेचने वाले वेण्डर अपने पेट की खातिर जान की परवाह भी नहीं करते हैं। यात्री ट्रेनों में सामान बेचने वाले अवैध वेण्डर जहां चलती ट्रेन में सामान लेकर चढ़ जाते हैं, वहीं पकड़े जाने के भय से रेलवे स्टेशन के आने के पहले ही चलती ट्रेन से अपनी जान की परवाह न करते हुए सीधे कूद पड़ते हैं। ऐसे में कई बार दुर्घटनाएं होने के बावजूद रेल प्रशासन ऐसे लोगों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। ऐसा नहीं है कि रेलवे की ओर से ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कोई नियम नहीं बनाए हैं।

दुर्घटना रोकने के नियम तो बनाए गए हैं, लेकिन हर दिन कई लोग इन नियमों को ताक पर रखकर अपनी जान से खिलवाड़ करते हैं, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। यात्री ट्रेनों में सामान बेचने वाले युवक अपने सिर पर डलिया, चाय की केतली या थैला रखकर छोटे स्टेशन से चढ़ जाते हैं। यह लोग यात्री गाड़ी के हर कोच में सामान बेचते हुए अपने निर्धारित स्टेशन पर उतरने से पहले कोच के दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं और जैसे ही ट्रेन की गति धीमी होती है तो वे कूद पड़ते हैं।

मासिक पास तक बनवा रखे हैं
ट्रेनों में खान-पान का सामान बेचने वाले अवैध वेण्डरों ने यात्री के रूप में मासिक पास बनवा रखे हैं। इनका कारोबार रेलवे कर्मचारियों या सुरक्षा के लिए ट्रेन में तैनात रहने वाले गार्डों की मेहरबानी से चलता है।

कई बार पकड़े जा चुके हैं
टे्रनों में अवैध रूप से खान-पान की सामग्री बेचने वाले अवैध वेण्डरों पर रेलवे द्वारा सख्त कार्रवाई की जा चुकी है। यहां तक कि कई बार आरपीएफ ने भी अवैध वेण्डरों को रंगे हाथों पकड़ा है, लेकिन उसके बाद भी यह लोग ट्रेनों में सामान बेचते हुए देखे जा सकते हैं।

इन्होंने कहा
अधिकांश ट्रेनों में यात्रियों को चाय-पानी व खाने तक के लिए पेंट्री कार की सुविधा है। इसके बाद भी कुछ लोग ट्रेनों में चढ़कर खाद्य सामग्री बेचते हैं। जिनके खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाया जाता है।

टी.के. अग्निहोत्री, आरपीएफ निरीक्षक

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