बिना चिकित्सक चल रहा सरकारी अस्पताल

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शो पीस बनीं सिविल डिस्पेंसरी

उपचार के लिए भटक रहे मरीज

ग्वालियर।
प्रशासन की लाख कवायद के बाद भी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो रहा है। ऐसे में उपचार के लिए परेशान लोगों को निजी चिकित्सालयों का सहारा लेना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि सिविल डिस्पेंसरी भी आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में सिर्फ शोपीस बन कर रह रह गई हैं।
इन दिनों कुछ ऐसी ही स्थिति दीनदयाल नगर डी-एच. 36 स्थित सिविल डिस्पेंसरी की है। कई बार क्षेत्रवासियों ने भी इसे लेकर सिविल सर्जन डॉ. डी.डी. शर्मा से शिकायत की है, लेकिन फिर भी व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। यहां ना तो मरीज की बीमारी से सम्बन्धित जांच होती है और ना ही उचित उपचार मिलता है। अस्पताल में पदस्थ डॉ. चौहान के लम्बी छुट्टी पर जाने के कारण जिला अस्पताल मुरार में पदस्थ डॉ. विनोद बाथम को यहां अटैच कर दिया गया। डॉ. बाथम यहां यदाकदा ही दिखाई देते हैं, लेकिन सबकुछ सिविल सर्जन की जानकारी मेें होने के बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही।

छह हजार किराया बीस हजार का भुगतान
दीनदयाल नगर में जिस मकान नम्बर डी.एच. 36 में कई वर्षो से यह डिस्पेंसरी संचालित है, उस भवन का किराया पहले 6 हजार रूपए था, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों की संाठगांठ के चलते पिछले कुछ माह से अचानक ही इसका किराया तीन गुना अधिक भुगतान किया जा रहा है। जबकि इसी भवन के आस पास के भवनों का किराया अब भी सिर्फ 6 से 7 हजार रूपए ही है। इस भवन के मालिक डॉ. जसराज सिंह भदौरिया स्वयं एक वेटनरी चिकित्सक हंै और इन दिनों ग्वालियर में ही पदस्थ हैं। इस मामले में जब सिविल सर्जन डॉ.डीडी शर्मा से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया कि भवन का किराया अभी भी लगभग 6 हजार रूपए ही है, लेकिन जब भवन के मालिक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें जनवरी 2015 से 20 हजार रूपए किराया मिल रहा है। इससे स्पष्ट है कि किस तरह वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा शासन को चूना लगाया जा रहा है।

तीन दिन रहती है ड्यूटी
डिस्पेंसरी में अटैच किए गए डॉ. बाथम की तीन दिन डिस्पेंसरी में और तीन दिन जिला अस्पताल में ड्यूटी रहती है, लेकिन डॉ. बाथम पूरे छह दिन यहां से गायब रहते हैं। यहां उपचार के लिए आने वाले लोगों ने कई बार इसकी शिकायत की लेकिन उनके खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब इस संवाददाता द्वारा डिस्पेंसरी की सेवाओं की पड़ताल की गई तो पता चला कि यहां पर आज तक डॉ. बाथम का कोई भी ड्यूटी चार्ट नहीं बनाया गया है, जिसका लाभ डॉ.बाथम उठाते हैं, और मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस डिस्पेंसरी से सीधे जुडऩे वाले लोगों की संख्या लगभग एक लाख है। लेकिन इन लोगों को उपचार के लिए जिला अस्पताल जाना पड़ता है।

इनका कहना है

''मुझे अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, मैं कल ऑफिस में देखकर ही कुछ बता पाऊंगा।''

डॉ. डी.डी. शर्मा
सिविल सर्जन, ग्वालिय

''यदि मकान मालिक को 20 हजार रूपए किराए के रूप में दिया जा रहा है, तो इसकी जानकारी लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी।''

डॉ. संजय गोयल
जिलाधीश, ग्वालियर

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