बाल आश्रम में सीमा हत्याकांड: कमियों और सुरक्षा पर उठाए सवाल, आश्रम में खामोशी

महिला बाल विकास विभाग की टीम ने किया निरीक्षण
ग्वालियर। कांच मिल स्थित बाल आश्रम में पिता व चाचा द्वारा जघन्य तरीके से की गई सीमा गुर्जर की हत्या के बाद प्रशासन की नींद खुली और महिला बाल विकास विभाग की टीम ने शनिवार को निरीक्षण किया। आश्रम में रहने वाली निराश्रित और नारी निकेतन से आईं बालिकाओं ने कई कमियों को उजागर किया। सवालों के घेरे में आए आश्रम में अनुदान मिलने के बाद भी सुरक्षा के इंतजाम न होने पर जांच पड़ताल की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि विगत शुक्रवार को बाल गृह व वृद्धा आश्रम कांच मिल में कल्याण और उसके भाई लाखन गुर्जर ने बेटी सीमा गुर्जर की कटार से गोदकर नृशंस हत्या कर दी थी। आश्रम में हत्या के बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और एक टीम बनाकर जांच के लिए भेजी।
लोकसेवक जिला महिला शसक्तिकरण अधिकारी शालीन शर्मा, उप संचालक, ऊषा किरण केन्द्र, रेखा अग्रवाल और समन्वयक सोनम जैन ने आश्रम में जाकर निरीक्षण किया तो उन्हें कई कमियां और सुरक्षा व्यवस्थाएं चाक-चौबंद नजर नहीं आईं। आश्रम में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे, जबकि आश्रम की व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए अनुदान दिया जाता है। जिस स्थान पर सीमा की मुलाकात उसके पिता व चाचा से कराई जा रही थी, वह स्थान उपयुक्त ही नहीं था। इसके साथ ही उक्त स्थान पर आश्रम का कोई भी व्यक्ति एवं होमगार्ड की महिला जवान प्रीति भी उपस्थित नहीं थी। कई ऐसी कमियां थीं, जिससे पिता और चाचा को हत्या करने का मौका मिल गया। वहीं नियम कहता है कि कोई भी परिजन आश्रम में मिलने आता है तो उसे आगंतुक कक्ष में पहरे में मिलाया जाता है। कई ऐसे सवाल हैं, जो निरीक्षण के दौरान सामने आए। सूत्र बताते हैं कि टीम एक बार फिर आश्रम का निरीक्षण करेगी और निराश्रित बच्चियों से बातचीत कर आश्रम की गतिविधियों को समझेगी।
सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे
आश्रम में सीसीटीवी कैमरे और लगाए जाएंगे। चार कैमरे वर्तमान में लगे हुए हंै तो वहीं सुरक्षा गार्ड का इंतजाम करने के लिए साफ निर्देश दिए गए हंै। मिलने आने वालों को पहले चैक करने के बाद अंदर प्रवेश दिया जाएगा और उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
हत्या के बाद फोरेंसिक एक्सपर्ट को नहीं बुलाया
आश्रम में सीमा की हत्या के बाद पुलिस ने घटना स्थल देखने के बाद शव को उठाकर शव विच्छदेन गृह पहुंचा दिया, जबकि घटना स्थल का निरीक्षण फोरेंसिक एक्सपर्ट द्वारा किया जाता है, जिससे घटना के साक्ष्यों में पुलिस को काफी मदद मिलती है। यह पुलिस की लापरवाही कही जा सकती है।
55 बच्चियों पर एक महिला जवान
इस समय इस बाल आश्रम में 32 बालिकाओं सहित निराश्रित और नारी निकेतन से आईं अन्य बालिकाएं कोर्ट के आदेश से रह रही हैं। इस प्रकार कुल 55 बच्चियों की सुरक्षा का दायित्व होमगार्ड की एक जवान पर रहता है, जबकि वहां 14 महिलाओं का स्टॉफ काम करता है।
सरकार का फरमान बेटी बचाओ लेकिन...
अब आश्रम के कर्मचारियों को पीड़ा हो रही है कि हमारी सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करती है, लेकिन हम बेटी को कहां बचा पा रहे हैं। वहीं सरकारी अनुदान से चलने वाले आश्रम में कई बेटियां अपना जीवन गुजार रही हैं। सीमा की नृशंस ढंग से हत्या हो जाने पर आश्रम में निरीक्षण करने पहुंची टीम को भी अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि नियमों का आश्रमों में पालन कराया जाता तो सीमा की जान बच जाती।
कहां जाता है सुरक्षा गार्डों का अनुदान
आश्रम की सुरक्षा के लिए अनुदान दिया जाता है। वृद्ध और बाल आश्रम में चार गार्डों का अनुदान स्वीकृत है। यह अनुदान लिया भी जाता है, लेकिन एक भी गार्ड वहां पर तैनात नहीं रहता है।
सीमा के सामान की नहीं ली तलाशी, पिता व चाचा फरार
पुलिस हत्या के बाद भी सक्रिय नहीं है। एक दिन बाद भी सीमा के सामान की तलाशी नहीं ली गई, जबकि जांच-पड़ताल की जा रही है। पुलिस इस आश्रम में कभी जाकर नहीं देखती थी और न ही आश्रम के किसी कर्मचारी पर थाना प्रभारी से लेकर बीट के दीवान का नम्बर था। सीमा के घर पर पुलिस ने दबिश दी तो ताला लगा मिला। उसका पूरा परिवार लापता हो गया है।
40 वर्ष से चल रहा है आश्रम
वैष्णव वृद्ध आश्रम बाबा मस्तराम 40 वर्षों से चला रहे हंै। इसकी शुरुआत 1978 में की गई थी। वैसे नियम यह है कि कोई भी आश्रम को घनी बस्ती के बीच में नहीं बनाया जाना चाहिए, लेकिन आज जितने भी आश्रम हैं, वह बस्तियों के बीच संचालित हो रहे हैं। स्वयं अधिकारी भी इस बात को मानते हैं।