इतना प्रदूषित तो नहीं है मेरा शहर ग्वालियर

इतना प्रदूषित तो नहीं है मेरा शहर ग्वालियर
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साफ-स्वच्छ बनाएंगे, विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेंगे सहयोग

ग्वालियर। हमारा शहर ग्वालियर इतना प्रदूषित तो नहीं है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में प्रदूषण के मामले में इसे विश्व में दूसरे और भारत में पहले स्थान पर अंकित किया गया है। दुनिया ही नहीं, भारत के भी अनेक ऐसे शहर हैं, जहां ग्वालियर से कहीं अधिक प्रदूषण है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट न तो जनप्रतिनिधियों को हजम हो रही है और न ही अधिकारी इसे आत्मसात कर पा रहे हैं। वि

श्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट को पढ़कर ग्वालियर शहरवासी अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंतित हो उठे हैं, लेकिन इस बात पर सहज विश्वास वह भी नहीं कर पा रहे हैं कि हमारा शहर इतना अधिक प्रदूषित हो सकता है कि प्रदूषण के मामले में 67 देशों के 795 शहरों में किए गए सर्वें में वह शीर्ष दूसरे स्थान पर हो। यह संदेह इसलिए भी है क्योंकि विश्व में प्रदूषण के मामले में पहले स्थान पर मौजूद ईरान के जाबोल शहर में गर्मी में महीनों धूल भरे तूफान आते हैं। शहरवासी सवाल उठा रहे हैं कि शहर में प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयां भी नहीं हैं। डीजल इंजन वाले टेम्पो भी बंद किए जाकर सीएनजी और ई-रिक्शा को बढ़ावा दिया जा रहा है। शहर में वृक्षारोपण कार्यक्रम विगत कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। ऐसी स्थिति में रिपोर्ट पर सहज विश्वास नहीं होता। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह सर्वे सामान्य वातावरणीय अवस्था में किया गया है अथवा आंधी-धूल के मौसम में या फिर किसी क्रेशर के आसपास बैठकर तो नहीं किया गया। खैर, रिपोर्ट से शहर शर्मिंदा तो हुआ है। शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों, शासकीय विभागों के साथ-साथ स्वयं शहरवासियों को संकल्प लेना होगा तभी शहर के माथे पर लगा यह कलंक मिट पाएगा।

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि और अधिकारी

विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस रिपोर्ट में गड़बड़ी दिखाई पड़ती है। सर्वे से पहले क्या मानदंड अपनाए गए। किन परस्थितियों में प्रदूषण के नमूने लिए गए होंगे। हमारा शहर देश के कई शहरों से प्रदूषण के मामले में तुलनात्मक बहुत अच्छा है। यहां औद्योगिक प्रदूषण भी नहीं है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी सीएनजी को बढ़ाया गया है। संभवत: आंकड़ों में धूल के कणों का प्रतिशत रहा होगा। धूल कम करने के लिए शहर में उद्यान विकसित करेंगे और वृक्षारोपण करेंगे।

विवेक शेजवलकर, महापौर, ग्वालियर

'कांग्रेस एक साल से कहती आ रही है कि ग्वालियर में प्रदूषण निरंतर बढ़ता जा रहा है। लैण्डफिल साइट बंद पड़ी है। नगर निगम कॉलोनियों के निकट कई स्थानों पर कचरे को फैंक रही है। बाद में इस कचरे में आग लगा दी जाती है। इस कचरे से उठा धुंआ शहर को प्रदूषित करता है। प्रदेश की शिवराज सरकार और शहर की शेजवलकर सरकार शहर को प्रदूषण से बचाने में पूरी तरह असफल रही हैं।'

डॉ. दर्शन सिंह
जिलाध्यक्ष, शहर जिला कांग्रेस कमेटी, ग्वालियर

'विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह रिपोर्ट पिछले डेढ़-दो वर्ष पूर्व के नमूनों के आधार पर तैयार की होगी। साफ-सफाई और प्रदूषण के मामले में ग्वालियर शहर अन्य कई शहरों से बेहतर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की यह रिपोर्ट आज के परिपेक्ष्य में कतईं विश्वसनीय नहीं है।'

देवेश शर्मा
जिलाध्यक्ष, भाजपा ग्वालियर महानगर

'विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट दो वर्ष में एक बार आती है। यह रिपोर्ट संभवत: वर्ष 2013-14 में लिए गए नमूनों की होगी। वर्तमान में शहर में प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब नहीं है। प्रदूषण बोर्ड भी इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण की बात से इनकार कर रहा है। प्रदूषण का प्रतिशत पता करने वाले उपकरण शहर में चार स्थानों पर लगाए जा रहे हैं। डीजल के टेम्पो भी बंद कर हाल ही में 50 ई-रिक्शा चलवाए गए हैं। शहर में पेड़ लगवाए जा रहे हैं। इस संबंध में नगर निगम से भी चर्चा हुई है। इस संबंध में कल एक बैठक भी रखी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुरोध कर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए दिशा निर्देश लिए जाएंगे।'

डॉ. संजय गोयल
जिलाधीश, ग्वालियर

'ग्वालियर में प्रदूषण की स्थिति को लेकर हाल ही में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट से हमारे आंकड़े मैच नहीं होते हैं। इस रिपोर्ट के आंकड़ों पर टिप्पणी तो नहीं करूंगा, लेकिन इतनी भयाभय स्थिति नहीं है, जितनी कि रिपोर्ट में दर्शाई गई है। शहर में धूल और आवागमन ही प्रदूषण का मुख्य श्रोत हैं। यहां औद्योगिक इकाइयां भी नहीं हैं। सर्वे किन परस्थितियों में और किस विशेष स्थान पर किया गया होगा, कह नहीं सकते, लेकिन हम साल भर प्रदूषण की स्थिति पर नजर रखते हैं।'

आलोक जैन
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी, ग्वालियर

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