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छोटी रेल के यात्री मुश्किल में

पंखे और उजाले का प्रबंध नहीं

ग्वालियर। स्टेट जमाने की ग्वालियर से सबलगढ़ के बीच चलने वाली नेरोगेज ट्रेन अब बदहाली के कगार पर है। इस ट्रेन में लगने वाली बोगियों की हालत दयनीय हो चुकी है। इसमें किराया देकर यात्रा करने वाले यात्रियों को वह सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जो उन्हें मिलना चाहिए। इस ओर रेल प्रबंधन भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

ग्वालियर से सबलगढ़ के बीच छोटी लाइन पर दौडऩे वाली नेरोगेज ट्रेन इस क्षेत्र के लोगों के लिए लाइफ लाइन का काम करती है, साथ ही सबलगढ़ को भी ग्वालियर से जोड़ती है। सुबह-शाम चलने वाली इस ट्रेन से प्रतिदिन सैकड़ों यात्री सफर करते हैं, लेकिन इस ट्रेन में लगने वाली बोगियों की हालत यह है कि सीटें टूटी हुई हैं। पंखे हैं, लेकिन चलते नहीं और अंधेरा होने पर इन बोगियों में उजाले का कोई इंतजाम नहीं है। वैसे रेलवे समय-समय पर इन बोगियों का रखरखाव कर उन्हें चलाने का प्रयास करता रहता है, लेकिन दम तोड़ चुकी यह बोगियां अब उपयोग के लायक नहीं रह गई हैं। यही हाल नेरोगेज ट्रेक का भी है। ट्रेक की बदहाली का आलम यह है कि आए दिन इस रेल मार्ग पर ट्रेन के डिब्बे या इंजन पटरी से उतरते रहते हैं। इससे कई बार गंभीर हादसे भी हो चुके हैं। वैसे नेरोगेज को ब्राडगेज में बदलने की योजना स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन इस रेल खंड पर कब काम प्रांरभ होगा। इसका कोई पता नहीं है। फिलहाल बदहाल नेरोगेज ट्रेन ही सबलगढ़ क्षेत्र के लोगों को ग्वालियर तक आने के लिए एक सस्ता साधन बनी हुई है।

गर्मी में यात्री हो रहे परेशान:- श्योपुर-सबलगढ़ और ग्वालियर के बीच चलने वाली नैरोगेज ट्रेन में पंखे तो लगे हैं, लेकिन वे सिर्फ शोपीस बने हुए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि सालों से बिजली चालू नहीं होने के कारण कोच में लगे पंखे बंद पड़े हैं। वहीं बोगियों की हालत यह है कि कोई व्यक्ति इसमें बैठना पसंद नहीं करेगा, लेकिन यात्रियों को मजबूरन इसमें बैठकर यात्रा करना पड़ती है। बोगियों की हालत यह है कि जिन सीटों पर यात्री बैठकर सफर करते हैं, उन पर कीचड़ डला रहता है। इसके बावजूद यात्रियों को मजबूरन इतनी गंदगी में बैठकर यात्रा करना पड़ती है।

रात होते ही ट्रेन में बैठे लोग जलाते हैं मोबाइल की टॉर्च
ग्वालियर से सबलगढ़़ की ओर जाने वाली नेरोगेज टे्रन की हालत यह है कि दोपहर तीन बजे सबलगढ़ की ओर जाने वाली टे्रन जब ग्वालियर से रवाना होती है तो उजाले में जाती है, लेकिन सबलगढ़ पहुंचते-पहुंचते अंधरा छा जाता है, जिसके चलते ट्रेन में बैठे यात्री अपने मोबाइल की टॉर्च जलाकर उजाला कर लेते हैं।

इन्होंने कहा
नेरोगेज ट्रेन के लिए नए कोच तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें यात्रियों को सभी सुविधाएं मिलेंगी।

गिरीश कंचन
जनसम्पर्क अधिकारी, रेलवे

Updated : 12 May 2016 12:00 AM GMT
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