बासित का बयान

बासित का बयान
पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित के हाल के बयान से यह तो साफ हो गया है कि पाकिस्तान की भारत के साथ अच्छे पड़ौसी रिश्ते बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है, इन रिश्तों को निभाना तो दूर की बात है। बासित के बयान से मोदी सरकार की पहल को धक्का लगा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसम्बर २०१६ में दोनों देशों को और करीब लाने की जो पहल की थी, वह पाकिस्तान को लगता है रास नहीं आई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अचानक लाहौर पहुंच कर जिस सदाशयता का परिचय दिया और दोनों देशों के बीच रिश्तों को नया आयाम देने की जो कोशिश की उसी का परिणाम था दोनों देशों के बीच आपसी सहमति विकसित हुई।
पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल के भारत दौरे के बाद बारी एनआईए के पाकिस्तान जाने की है, दौरा तय होता इससे पहले ही पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने शांति प्रक्रिया को निलंबन की स्थिति में बताकर शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने की बेहूदा कोशिश की। यह इस बात का संकेत है कि इस्लामाबाद भारत के जांच अधिकारियों को अपने यहां की यात्रा करने की इजाजत नहीं देगा। बासित दिल्ली में मीडिया से बातचीत में यहीं नहीं रुके उन्होंने भारत पर पाकिस्तान में अशांति पैदा करने का आरोप भी लगाया। बासित के बयान के बाद बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने साफ कर दिया कि एनआईए के पाकिस्तान दौरे को लेकर दोनों देशों में पहले ही सहमति बन चुकी थी। विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तानी जेआईटी (संयुक्त जांच दल) के भारत दौरे से पहले, पाकिस्तान इस बात पर सहमत हुआ था कि यह आपसी आदान-प्रदान के आधार पर होगा। इसे कूटनीति के पीछे छिपी पाकिस्तान की कुटिल नीति ही कहा जाएगा। बासित ने भारत पर पाकिस्तान में अशांति फैलाने का आरोप लगाया, साथ ही उन्होंने पठानकोट हमले के मास्टर माइंड अजहर मसूद के मामले में भी चीन के रुख का समर्थन किया। जिसने संयुक्त राष्ट्र में वीटो का इस्तेमाल कर मसूद पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों पर पानी फेर दिया था।
दरअसल पठानकोट हमले में अजहर मसूद की भूमिका सामने आ चुकी है और पाकिस्तान के हुक्मरान नहीं चाहते हैं कि मसूद के मामले में पाकिस्तान की और फजीहत हो। बासित के बयान के पीछे की कड़वी सच्चाई यह भी है। पाकिस्तान नहीं चाहता है कि एनआईए पठानकोट हमले की जांच के सिलसिले में पाकिस्तान आए। पाकिस्तान के हाल के रवैए से यह भी स्पष्ट हो गया है कि वह पठानकोट हमले के गुनहगारों पर शायद ही कार्रवाई करे। मुंबई हमला हो या संसद पर हमले का मामला, पाकिस्तान का आतंकवादियों के मामले में रवैया किसी से नहीं छिपा है। पठानकोट हमले के मामले में भी पाकिस्तान ने अपना पुराना रवैया अपना कर यह साबित कर दिया कि आतंकवादियों के प्रति उसके नजरिए और रवैये में कोई बदलाव नहीं आएगा।