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देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किसने किया?


देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किसने किया?

जयकृष्ण गौड़

राष्ट्रवादी भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे हो रहे हैं। जिन राष्ट्रवादी सिद्धांतों का उद्घोष जनसंघ से लेकर भाजपा तक करती रही। जिस तरह देश की एकता अखंडता एवं सुरक्षा के लिए भाजपा संसद और संसद के बाहर कांग्रेस को घेरती रही, उन्हीं प्रमुख बिन्दुओं की चर्चा करना प्रासंगिक होगा। जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर का निर्माण के लिए भाजपा ने आंदोलन किया। वहां के बाबरी ढांचे को भी आक्रोशित भीड़ ने ध्वस्त कर उस स्थान पर रामलला को विराजित कर दिया। भाजपा का हमेशा तर्करहा है कि यह हिन्दू संतों का आंदोलन था, इसलिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा के अनुरूप हमने भी इस मुहिम का साथ दिया, अब वहां रामलला का अस्थाई मंदिर बन चुका है, उसे न्यायालय के निर्देश से निर्मित किया जाएगा। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में राम जन्मभूमि माना है, अब केवल जमीन का विवाद है, जिस बारे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा है। जिस प्रकार हाईकोर्ट का निर्णय है, उससे यह संभावना प्रबल हुई है कि दो वर्ष के अंदर इस संकल्प की पूर्ति हो जाएगी।

गरीबी-बेकारी की स्थिति कांग्रेस सरकारों के समय भयानक थी, अब भी ये समस्याएं संक्रमण रोग की तरह लगी हुई है। इसे दृढ़ता से निपटने का संकल्प भाजपा का है। गरीबी लाइन के ऊपर गरीबों को लाने के लिए सरकार ने बैंकों में खाते खुलवाए है, ताजा समाचार यह है कि रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी स्वेच्छा से छोडऩे का आग्रह प्रधानमंत्री ने सम्पन्न लोगों से किया, इसका सार्थक प्रभाव हुआ और करीब सवा करोड़ लोगों ने सब्सिडी को स्वेच्छा से छोड़ दिया। अब केन्द्र सरकार इसका उपयोग गरीबों को नि:शुल्क रसोई गैस के कनेक्शन देने की व्यवस्था करेगी। इसी प्रकार प्रधानमंत्री सड़क योजना की सफलता भी दिखाई दे रही है, सुदूर गांवों तक पक्की सड़कें और बिजली का प्रकाश पहुंच रहा है। अभी तक नरेन्द्र मोदी सरकार पर यह आरोप लगते रहे कि यह पूंजीपतियों को विशेष सुविधा देने वाली सरकार है। हालांकि औद्योगिक विकास की दृष्टि से कठिनाई को दूर करना सरकार का दायित्व है। भारत का औद्योगिक विकास की रफ्तार भी पहले से बढ़ी है। पहली बार विदेशों में बसे भारतीयों के अंदर यह विश्वास जगा है कि भारत के विकास में हम भी सहयोग प्रदान करें और वहां के भारतीय भारत के विकास में सहयोग देने लगे हैं।

दुनिया में भारत की लोकप्रियता नई ऊंचाई पर पहुंची है। चाहे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस आदि समृद्ध देश हो या हमारे पड़ौसी नेपाल, श्रीलंका, ब्रह्मा, बांग्लादेश हो, इनमें जब प्रधानमंत्री श्री मोदी गए तो वहां मोदी-मोदी के नारे भारतीय मूल के लोगों ने लगाकर उनका अभिनंदन किया। पहली बार अमेरिका जैसे समृद्ध देश के राष्ट्रपति ओबामा ने श्री मोदी की सराहना करते हुए लेख लिखा। यह सवाल चर्चा में हो सकता है कि क्या मोदी-मोदी के नारे और भारतमाता की जय के नारे लगाने वाले केवल श्री मोदी के व्यक्तित्व को प्रभावित होकर नारे लगाए? यह समीक्षा नरेन्द्र मोदी और भारत के पूरे भाव लोक के अनुरूप नहीं हो सकती। पूर्व में भी भारत के प्रधानमंत्री विदेश की यात्रा पर गए, उन्होंने भारतीय मूल के लोगों के बीच भाषण भी दिए, लेकिन उनका विशेष प्रभाव नहीं हुआ और न भारतमाता की जय का उद्घोष हुआ। अब भारतीय मूल के लोगों को यह भरोसा हुआ है कि यह हमारा अपना प्रधानमंत्री है। श्री मोदी हमारी जड़ों से जुड़ा है। श्री मोदी के स्वागत में भारत की सांस्कृतिक झलक भी दिखाई दी। जहां तक कूटनीतिक आंकलन का सवाल है, उस बारे में भी बदलाव दिखाई देता है। इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा कोई भी देश गुटनिरपेक्ष न पहले था और न अब है, चाहे भारत की घोषित नीति गुटनिरपेक्ष है, होना भी चाहिए। पूर्व में भी सोवियत संघ और अमेरिका के बीच शीत युद्ध चलता रहा, उस समय भी हर देश की बाध्यता थी कि वह किसी एक गुट का समर्थन करे। पहले भी विदेशी दबाव नीतियों में अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करता था। कमोवेश अब भी वैसी ही स्थिति है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस घोषणा से दुनिया प्रभावित हुई है, भारत को कोई आँख दिखाकर बात नहीं कर सकता। अब जो भी बात होगी, वह बराबरी के रिश्ते से होगी। इसका परिणाम भी दिखाई देने लगा है, पाकिस्तान के हुक्मरानों में घबराहट है, उनकी आतंकी साजिश सफल नहीं हो पा रही है। सुरक्षा बलों को स्पष्ट निर्देश है कि जो भी सीमा पर अतिक्रमण करे, उसे घुसकर भी समाप्त करो, यह पहली बार हुआ है कि सेना के हाथ बांधकर नहीं रखे हैं। उन्हें भारत की सुरक्षा की पूरी छूट है। अब जो घुसपैठ करते हैं वे मारे जा रहे हैं। अब तो पाकिस्तान राष्ट्रसंघ में भारत के खिलाफ आर्तपुकार कर रहा है। कश्मीर के अलगाववादी भी अपने घरों में छुपे बैठे हुए है। जो हिंसा होती है, उनसे शक्ति से निपटा जा रहा है। कश्मीर के टेक्नीकल विश्वविद्यालय में अध्ययनरत भारत के अन्य राज्यों के छात्रों ने राष्ट्रध्वज फहराते हुए भारतमाता की जय के नारे लगाए, उनको पुलिस ने बर्बारता से पीटा। इसके विरोध में पूरे देश में लहर उठी। तिरंगा यात्राएं निकली। अब वहां की मेहबूबा सरकार ने स्पष्ट कहा है कि बाहरी छात्रों को पूरी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। यह भी शर्मसार करने वाली स्थिति है कि भारतमाता की जय पर हिन्दू विरोधी मुस्लिम संगठन के नेता असरूद्दीन ओवैसी कहते हैं कि इसका उल्लेख संविधान में नहीं है। ऐसे ओवैसियों को देश विरोधी कीड़े-मकोड़े की श्रेणी में ही रखा जाएगा, जिनके खिलाफ कीटनाशक दवा ही कारगर हो सकती है। इसी प्रकार जिन्होंने विपक्षी दलों की जड़ों को समाप्त करने के लिए राजनीतिक षड्यंत्र किए, इसके बारे में यह तर्क रहता है कि राजनीति में उठा-पटक के षड्यंत्र सदियों से चल रहे हैं। इसलिए इस प्रकार के षड्यंत्रों को राजनीति से जोड़कर ही देखा जाना चाहिए। इंदिराजी ने चाहे लोकतंत्र का गला घोटकर विपक्ष को कुचलने की कार्रवाई की, वह भी उन्होंने अपनी कुर्सी बचाने के लिए की थी, लेकिन कभी भी उन्होंने भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया। उन्होंने दृढ़ता के साथ कार्रवाई कर पाकिस्तान को विभाजित कर दिया। राजीव गांधी की भी सरकार रही, उन्होंने इटली की लड़की सोनिया स्टेफिनो मायनो के साथ प्रेम विवाह किया। उन्होंने करीब दस वर्षों तक भारत की नागरिकता भी प्राप्त नहीं की। राजीव जी पायलट थे, कई दिनों तक उनके द्वारा यह प्रचारित किया जाता रहा कि सोनिया जी राजनीति में आने की इच्छुक नहीं, विदेशी मूल का मुद्दा उस समय गर्माया जब उन्होंने राजनीति में सक्रिय होकर प्रधानमंत्री बनने के लिए विभिन्न दलों के 272 सदस्यों के समर्थन का दावा किया। ऐसे समय सपा के मुलायमसिंह यादव ने समर्थन वापिस लेकर प्रखर देशभक्ति का प्रमाण दिया। अब भी कांग्रेस पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी का वर्चस्व है। मनमोहनसिंह की यूपीए सरकार दस वर्षों तक उनके निर्देश में चली। दूसरे कार्यकाल में 2-जी स्पेक्ट्रम, कोयला खदान आदि के घोटाले उजागर हुए, उनके मंत्रियों को जेल की हवा खानी पड़ी। अब जो तथ्य उजागर हो रहे हैं वे केवल रा.स्व.संघ और भाजपा को लांछित करने के षड्यंत्र नहीं थे, वरन् इन षड्यंत्रों ने राष्ट्र की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ किया। इशरत जहां एनकाउन्टर मामले में न केवल गुजरात के उस समय के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को फंसाने का षड्यंत्र था, इससे देश की सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया। इशरत जहां और इनके साथ मारे गए चार आतंकी लश्करे तैयवा के थे और उनको मोदी के जीवन पर आघात करने के लिए भेजा गया था। सही एनआईए रिपोर्ट को क्यों बदला गया, इसमें आतंकवादियों के नामों को बदलकर हिन्दू नाम शामिल किए गए। इसी प्रकार समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में कुछ मुस्लिम भी मारे गए, इसलिए इसे भगवा आतंकवाद, हिन्दू आतंकवाद कहा गया। अब बदली गई रिपोर्ट की सच्चाई उजागर हो गई है। सेना के पूर्व अधिकारी कर्नल पुरोहित स्वामी असीमानंद, प्रज्ञाभारती को फंसाया गया। यह भी बांग्लादेशी आतंकियों की साजिश थी। सात वर्षों से ये देशभक्त जेल की यातना सहन कर रहे हैं। सच रिपोर्ट को बदलने की साजिश किसने की। प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह राष्ट्र की सुरक्षा में दखल नहीं दे सकते थे। कांग्रेस नेतृत्व जो सरकार चला रहा था, उन्होंने ही ये षड्यंत्र किए। अपने निहित स्वार्थ के लिए देश की सुरक्षा को खतरे में डालने की साजिश वह कर सकता है, जिनकी जीन में विदेश है, जिन्हें विदेशी मूल के आरोप से कांग्रेसियों ने ही घेरा था। जिन्हें देश से लगाव है, जिनके खून में देशभक्ति का प्रवाह है, वे ऐसे षड्यंत्र में भागीदारी नहीं कर सकते।

''लेखक राष्ट्रवादी लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार''

Updated : 26 April 2016 12:00 AM GMT
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