फर्जी चिकित्सक तापोश ने किया आत्मसमर्पण

मामला नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त का

ग्वालियर। आखिरकार फर्जी झोलाछाप चिकित्सक तापोश गुप्ता पुलिस के पास पहुंच ही गया। क्राइम ब्रांच के सामने उसने अवैध कमाई के कई राज उजागर किए हैं। पुलिस लगातर उससे नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त के मामले में गहनता से पूछताछ कर रही है, तो वहीं दलाल और सरगना अरुण भदौरिया का पुलिस रिमांड नहीं मिल सका है।

पलाश अस्पताल का संचालक फर्जी और झोलाछाप चिकित्सक तापोश गुप्ता रायपुर से लौट आया है। तापोश सीधा क्राइम ब्रांच के पास पहुंचा और आत्म समर्पण कर दिया। क्राइम ब्रांच से पूछताछ के दारौन तापोश गुप्ता ने कहा कि पलाश अस्पताल को उसने चार-पांच साल पहले खोला था और दलाल अरुण के साथ मिलकर पार्टनरशिप में अस्पताल चल रहा था। सूत्रों की मानें तो तापोश का महीने का हिसाब लाखों रुपए में होता था, जिसका लेनदेन उसकी पत्नी तुलसी गुप्ता करती थी क्योंकि तापोश ने बदनामी और दुश्मनी के कारण शहर छोड़ दिया था। तापोश ने अस्पताल से लाखों रुपए कमाए हैं। यह उसके रहन-सहन और सम्पत्ति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। क्राइम ब्रांच ने उसके पुराने ठिकाने पर ले जाकर पड़ताल भी की है। तापोश ने कौन से राज पुलिस को बताए हैं। फिलहाल पुलिस जानकारी देने से बच रही है। अस्पताल में अभी तक कितने बच्चों को बेचा गया है। पुलिस तापोश से पूछताछ में उगलवा रही है। पुलिस सरगना और दलाल अरुण भदौरिया को पुलिस रिमांड पर लेने में एक बार फिर असफल रही। मंगलवार को संभवत: उसे रिमांड पर ले लिया जाएगा। पुलिस इन दोनों से उन लोगों के नाम व पते-ठिकानो के बारे में पूछेगी, जो इनके साथ मिलकर यह गोरखधंधा कर रहे थे।

तापोश व अरुण का होगा आमना-सामना
क्राइम ब्रांच अब तापोश गुप्ता और अरुण भदौरिया को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करेगी। दोनों से बहुत बड़े राज का खुलासा होने की उम्मीद है। प्रदेश ही नहीं, देश में यह संगीन मामला है, जब नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त की जा रही थी। पुलिस के सज्ञान में यह संगीन मामला तब आया था, जब बाल संरक्षण आयोग की टीम ने पलाश अस्पताल का निरीक्षण किया।

14 घण्टे में मासूम ने दम तोड़ा
पलाश अस्पताल में नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त का सनसनीखेज मामला उजागर होने के बाद पलाश अस्पताल में मिले दो बच्चों को मुरार स्थित जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया था, जिनमें से एक बच्चे की तबियत ज्यादा खराब होने के कारण उसे कमलाराजा अस्पताल में रैफर कर दिया गया था। कमलाराजा में भर्ती होने के 14 घण्टे बाद ही बच्चे की मृत्यु हो गई। शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय गौड़ ने बताया कि बच्चे को बहुत ही नाजुक स्थिति में कमलाराजा अस्पताल में लाया गया था। बच्चे को संक्रमण होने के साथ ही कई बीमारियां भी थीं। इसके साथ ही बच्चे का वजन सिर्फ 18 सौ ग्राम ही था, जिसके चलते बच्चे की सोमवार को सुबह तीन बजे मृत्यु हो गई। बच्चे की मृत्यु की सूचना पुलिस को भी दी गई। इसके बाद बच्चे का शव अंत:परीक्षण कराने के लिए विच्छेदन गृह भेज दिया गया।

मकान का मालिक बना तापोश
आज से एक दशक पहले झोलाछाप चिकित्सक तापोश ने मुरार के नदीपार टाल पर एक कमरा किराए पर लिया था। पत्नी के साथ जिदंगी की शुरुआत की और घर के पास ही एक छोटे से कमरे में दुकान खोली। उसकी दुकान चल निकली तो उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तापोश तरक्की के पायदान ऐसा चढ़ा कि उसने कुछ ही समय में क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली। झोलाछाप चिकित्सक तापोश गुप्ता ने देखते ही देखते लाखों रुपए कमाकर नदीपार टाल पर आलीशान मकान बनाया, जो उसने 35 लाख रुपए में बेच दिया था। दुष्कर्म के आरोप में फंसने के कारण मकान बेचकर उसने महेशपुरा में नया मकान बनवाया था। तापोश का गलत कार्यों से हमेशा से साथ रहा है और नदीपार टाल पर महिलाओं से उसकी नजदीकियां भी रही हैं। कुछ ही सालों में तापोश फर्श से अर्श पर पहुंच गया था। तापोश शाही जिदंगी जीने का आदी है। उसके पास ओमनी मारुति कार भी है, जिसमें वह घूमता था। दोपहिया वाहन तो उसने कई बार बदल दिए हैं।

साले के कारण किया आत्मसमर्पण
सूत्र बातते हैं कि क्राइम ब्रांच ने हाल ही में तापोश के साले नारायण को उठा लिया था। जैसे ही उसे पता चला तो उसने भी आत्म समर्पण करने का मन बना लिया था। सूत्र बातते हैं कि जब तापोश की दुकान चल पड़ी थी तो उसने अपने साले को भी यहीं पर बुला लिया था और पलाश अस्पताल में मेडीकल स्टोर खुलवा दिया था। साला नारायण भी जीजा की काली कमाई का राजदार है।

''तापोश से नवजात बच्चों की खरीद-फरोख्त के मामले में सघन पूछताछ की जा रही है। पलाश अस्पताल चार साल पहले खोला गया था। ऐसा तापोश ने बताया है। अरुण को रिमांड पर लेने के बाद और जानकारी एकत्रित की जाएगी।''

कुमार प्रतीक
प्रभारी पुलिस अधीक्षक

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